जिनका खानदानी इतिहास अंग्रेजो से रोटी बेटी के रिश्ते का रहा हो वो भारत के बारे में कैसे सोच पाएंगे चाहे वो मोतीलाल नेहरु रहे हो या फिर राहुल गाँधी, किसी दलित के घर रोटी खाकर उस परिवार की आँखों में आंखे डालकर सिर्फ इतना कहे की "मेरा या मेरे खानदान में से किसी का कालाधन बिदेसी बैंको में जमा नहीं है"
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