शनिवार, 5 नवंबर 2011

"अन्नाहजारे देश से "धोका" और "गद्दारी" कर रहे है"

अन्नाहजारे कांग्रेस से सासबहू का तूतू मैमै और देस के साथ धोका कर रहे है यह धोका ठीक वैसा ही है जैसा १९४७ में कांग्रेस का अंग्रेजो के साथ सासबहू का तूतू मैमै और देस के साथ धोका किया था "ब्यवस्था का हस्तांतरण" (Transfer of power) के जरिये आजादी को मान कर वैसे तो देस के क़त्ल से लेकर ६४ साल की गुलामी तक बहुत से दुष्परिणाम निकले उस एतिहासिक भूल से, लेकिन अन्नाहजारे की आज के "धोके" और "गद्दारी" का दुष्परिणाम उससे भी भयानक होगा अगले सौ सालो तक फिर कटोरा लेकर अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में घूमता फिरेगा भारत अपनी छोटी से छोटी जरूरतों के लिए सर्वोपरी होने का भारत का सपना मिटटी में मिल जायेगा, देसी और बिदेसी पूंजीपतियो के मोहरे है अन्नाहजारे और इस बात को मै कही भी और कभी भी साबित कर सकता हूँ, अगर अन्नाहजारे मुझ जैसे आम आदमी का जबाब देने की जरुरत नहीं समझते या समय नहीं निकालते तो उन्हें प्रधानमंत्री से सवाल पूछने का हक़ किसने दिया और अगर पूंजीपतियो की नुमाइन्दगी करनी ही है तो देश के आम आदमी की आँखों में धुल क्यों झोक रहे है...ॐ बंदेमातरम जय हिंद