शनिवार, 10 दिसंबर 2011

"अन्ना हजारे की देस से गद्दारी और अवाम से धोका"

अन्ना हजारे जी आज न चाहते हुए भी आपको देस का गद्दार और धोखेबाज कहने को दिल करता है, आपने फिर एक बार रालेगावं से निकलते ही इंदिरा गाँधी से लेकर, राजीव, सोनिया, यहाँ तक की राहुल तक की बिसेस रूप से प्रसंसा की, यदि नेहरु, इंदिरा, राजीव, या फिर कांग्रेसी अच्छे ही होते तो आज आपको रामलीला मैदान में अनसन की लीला क्यों करनी पड़ती, और दिल्ली पहुँच कर तो आपने हद ही कर दी, "आपकी मर्जी का जन लोकपाल बिल पास हो जाता है तो आप अगले चुनाव में राहुल का साथ देगे मतलब प्रधानमंत्री बनवा देगे" तो क्या यही आपकी और कांग्रेस की डील है जिसे पूंजीपतियो ने मिल कर बना रक्खी है, लोकपाल बिल का नाटक अगले संसदीय चुनाव तक चलेगा और ठीक पहले लोकपाल बिल पास हो जायेगा बदले में आप राहुल गाँधी के पच्छ में वोट मांगेंगे तो क्या देस से गद्दारी और अवाम के साथ धोका नहीं होगा, लोकपाल बिल से पहले काला धन और ब्यवस्था परिवर्तन जरुरी है और यही पूंजीपतियो की साजिस है लोकपाल बिल के पीछे "काला धन और ब्यवस्था परिवर्तन" जैसे बड़े गंभीर मुद्दे को धकेलना ॐ जयहिंद बंदेमातरम