सोमवार, 12 दिसंबर 2011

"अन्ना हजारे, पूंजीपतियो, काले धन कुबेरों, देशद्रोहियो, भ्रष्टाचारियो, और कांग्रेसियो द्वारा काले धन और ब्यवस्था परिवर्तन जैसे बिशाल मुद्दों को दबाने की साजिस का हथियार है लोकपाल बिल"

"अन्ना हजारे, पूंजीपतियो, काले धन कुबेरों, देशद्रोहियो, भ्रष्टाचारियो, और कांग्रेसियो द्वारा काले धन और ब्यवस्था परिवर्तन जैसे बिशाल मुद्दों को दबाने की साजिस का हथियार है लोकपाल बिल" अन्ना हजारे सुरु से ही पूंजीपतियो के मोहरे के रूप में काम कर रहे है, पूरी की पूरी गतिबिधि उसका संचालन, और उसके लिए प्रयोग में आनेवाला धन सभी कुछ पूंजीपतियो द्वारा प्रायोजित है, कल ११ दिसेम्बर के सांकेतिक अनसन में आनेवाले सभी राजनैतिक दलों ने जो भी बोला उनमे उनका "वोट" प्रलोभन तो दीखता था लेकिन सच्चाई नहीं सिर्फ ब्रिंदा करात ने पूंजीपतियो और भ्रष्टाचार का कोना पकड़ कर छोड़ दिया, कांग्रेस लोकपाल बिल के साथ जो भी कर रही है, मानना, मुकरना, लटकाना, दो कदम आगे एक कदम पीछे सब कुछ जान बूझ कर अन्नाहजारे की सहमती से कर रही है, इसके तिन बड़े और तीनो पक्छो को फायदा है, पहला अन्नाहजारे को इस लोकपाल बिल में जितनी नाटक नौटंकी होगी लम्बा खिचेगा उतने ही बड़े महात्मा और बापू कहलायेगे, दूसरा कांग्रेस को अन्ततोगत्वा अन्नाहजारे के समर्थन से "लोलू बाबा युवराज" के ताजपोशी में आसानी होगी, और तीसरा "पूंजीपतियो, काले धन कुबेरों, देशद्रोहियो, भ्रष्टाचारियो" को कालेधन और ब्यवस्था परिवर्तन जैसे देस की मूल समस्याओ को पीछे धकेलने में कामयाबी मिल जाएगी, देस फिर कुछ सालो के लिए गुलाम का गुलाम रह जायेगा, मै नहीं जानता की आप मेरी बात को कितना समझ पाते है अगर ठीक लगे तो दुसरो तक भी पहुचाये बस डरता हु कही देर न हो जाये ॐ जयहिंद बंदेमातरम