बुधवार, 23 अक्तूबर 2013

सोनिया सीआईए एजेंट है और मनमोहन सिंह अमेरिका का नौकर

दुनिया का सबसे गरीब और कर्ज में डूबा देस अमेरिका खाड़ी देसों के तेल भण्डारो पर कब्जा करने के बाद दुनिया के सबसे बड़े बाजार भारत पर कब्जा करना चाहता है, सोनिया सीआईए एजेंट है और मनमोहन सिंह अमेरिका का नौकर तीनो मिलकर २०१४ के बाद पाकिस्तान से भारत पर हमला करवायेगे, भारत के अन्दर भारत को इस्लामिक देस घोषित करने की कोशिश करेगे जिसे हिन्दू कभीं स्वीकार नहीं करेगे, परिणाम स्वरूप में भारत में गृह युद्ध हो जायेगा और इसी बात का बहाना लेकर सीरिया, इराक, अफगानिस्तान की तर्ज पर अमेरिका भारत में घुस आएगा और अपने कब्जे में ले लेगा, अमेरिका अपनी गरीबी और कर्ज से निकलने के लिए, अपने खुद के वजूद को जिन्दा रखना चाहे तो बस यही एक रास्ता है भारत के बाजार पर कब्ज़ा करना, वरना अमेरिका दिवालिया हो जायेगा, इस बात को चीन भली भाति जानता है चूकी चीन को भी भारत के बाजार की सख्त जरुरत है यदि अमेरिका भारत और भारत के बाजारों पर कब्जा कर लिया तो चीन अपने आप ५० साल पीछे चला जायेगा यानि सुपर पावर बनने का उसका सपना अधुरा रह जायेगा, चीनी अर्थ ब्यवस्था को ३०% तक भारत के बाजारों ने सभाल रखा है, यहाँ चीन किसी भी कीमत पर भारत के बाजार को खोना नहीं चाहेगा, इसलिए अमेरिका को भारत की और बढने से रोकना चाहता है, हाल में की गई चीन की सरारते सीमा पर घुसपैठ इसी का हिस्सा है, चीन भारत से दुश्मनी नहीं दोस्ती चाहता है भारत में बढ़ता अमेरिका का दखल चीन से बर्दास्त नहीं हो रहा है, आज के अंतर्राष्ट्रीय परिपेक्छ में चीन को भारत से दोस्ती की सख्त जरुरत है, क्युकी इसमें उसका अपना स्वार्थ है, ये बात बिलकुल साफ है की बंगलादेस और पाकिस्तान की औकात नहीं है भारत पर हमला करने की और भारत पर हमला करने की हिमाकत चीन किसी भी कीमत में नहीं करेगा, भारत पर हमला करके चीन खुद को बर्बाद नहीं करेगा, १९६२ में चीन का भारत पर हमला जवाहरलाल नेहरु द्वारा प्रायोजित था भारत का कुछ हिस्सा चीन को देना तय था जिसकी भूमिका १९४७ में अड्विना माउन्ट बेटन द्वारा तैयार की गई थी, १९६२ में चीन की औकात और सैन्य छमता भारत पर हमला करके जीतने की नहीं थी चीन से कई गुना ताकत वर हमारी वायु सेना थी जिसका इस्तेमाल ही जवाहर लाल नेहरु ने नहीं किया और लोगो को मालूम है चीन को जितनी जमीन लेनी थी लेने के बाद खुद से ही युद्ध बिराम भी कर दिया था इसका सीधा अर्थ है चीन भारत से दुश्मनी नहीं दोस्ती चाहता है, सिर्फ और सिर्फ अमेरिका से ही खतरा है भारत को, मित्रो भारत का दुर्भाग्य देखिये की भारत की कीमत अमेरिका और चीन को तो मालूम है लेकिन खुद भारत के नेत्रित्व को नहीं मालूम, भारत को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी समझ कर अमेरिका और चीन आमने सामने है यहाँ तक की युद्ध भी लड़ने को तैयार है, अमेरिका भारत के लिए १९४७ के बाद से ही साजिस रचना सुरु कर दिया था चूकी भारत का झुकाव हमेसा रूस के साथ रहा ये बात हमेसा अमेरिका को खलती रही इसी कड़ी में सोनिया के बाप को जो केजीबी (रुसी ख़ुफ़िया एजेंसी) और सीआईए (अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी) का डबल एजेंट था, को गिरफ्तार कर मजबूर करके सोनिया को पहले तो सीआईए का एजेंट बनाया फिर राजीव के सामने परोसा जैसा की आप सभी जानते है सोनिया पांचवी फेल है बार वेटर का काम करती थी, फिर राजीव और सोनिया से मुलाकात और प्रेम का सवाल ही नहीं पैदा होता, सोनिया को साजिस के तहत राजीव पर थोपा गया यहाँ तक की कुटनीतिक दबाव डाल कर राजीव से सादी का ढोग रचाकर भारत में दाखिल करवाया गया, क्यों की राजीव सोनिया से सादी भी नहीं करना चाहते थे, फिर यहाँ से खेल सुरु हुआ अमेरिका का, यु तो जवाहर लाल नेहरु ने ही स्यामा प्रसाद मुखर्जी को मरवा कर खुनी खेल की सुरुआत कर दी थी लेकिन सीआईए की साजिस का पहला सिकार बने लालबहादुर शास्त्री जिसे तासकंद में इंदिरा गाँधी को प्रधान मंत्री बनवाने की लालच में फसाकर रहस्यमई मौत दे दी क्युकी लालबहादुर शास्त्री अमेरिका के घोर बिरोधी थे, इंदिरा प्रधानमंत्री बनी और सोनिया १० जनपथ में दाखिल हो गई, अब सोनिया के जरिये सीआईए ने अपना अड्डा १० जनपथ को बना लिया, और सीआईए ने सोनिया से मिलकर संजय गाँधी को इसलिए मार दिया की संजय की राजनितिक दखलंदाजी बढ़ गई थी वो भी अमेरिका बिरोधी, इंदिरा भी अमेरिका को भारत से दूर ही रखना चाहती थी इसलिए सोनिया और सीआईए मिलकर खालिस्तानी आतंकवादियो से इंदिरा गाँधी को मरवा दिया क्युकी इंदिरा भी रूस से अच्छे रिश्ते की पक्छ्धर थी सो उन्हें रास्ते से हटा कर राजीव गाँधी को प्रधानमंत्री बनाया, यु भी खालिस्तानी आतंकवादियो की पूरी फंडिंग अमेरिका ही पाकिस्तान के जरिये करता था, अब राजीव गाँधी के प्रधानमंत्री बनने पर भी अमेरिका का मकसद पूरा नहीं हुआ क्युकी राजीव सोनिया की हकीकत से वाकिफ थे इसीलिए कुटनीतिक रूप से रूस को दोस्त बनाये रखना ही उचित समझा जिसके लिए उनको भी रास्ते से हटा दिया गया, राजीव गाँधी को मारने की सारी साजिस सीआईए और सोनिया ने बनाया सिर्फ उसे लिट्टे के सदस्यों ने अंजाम तक पहुचाया, अमेरिका राजीव के मरते ही सोनिया को प्रधनमंत्री बनाना चाहता था लेकिन मुमकिन नहीं हुआ, सीआईए ने सोनिया को प्रधानमंत्री बनाने की भरपूर कोशिश की लेकिन एसा हो न सका, फिर सीआईए सोनिया को भारत में स्थापित करने के लिए पूरी ताकत झोक दिया, नरसिंघाराव, देवगौड़ा, गुजराल, और चन्द्रसेखर को आगे करके सीआईए सोनिया को प्रधानमंत्री बनाने में लगी रही क्युकी राहुल इस योग्य नहीं थे लेकिन जब 2004 में भी सोनिया को प्रधानमंत्री बनाने से सुब्रमनियम स्वामी के बिरोध के कारन बाधा पड़ गई तो मनमोहन जैसे अयोग्य टट्टू को प्रधानमंत्री बनाया वैसे तो मन मोहन पहले से भी अमेरिका के नौकर थे, इसी दौरान कुछ एसे लोगो को भी अपनी जान गवानी पड़ी जो प्रधानमंत्री बनने के सपने पालने की हिमाकत कर बैठे और उनमे प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना भी थी, जैसे राजेस पायलट जिन्हें सीआईए और सोनिया ने एक बेहद संदिग्ध कार दुर्घटना से मरवा दिया, माधवराव सिंधिया जिसे बिलकुल नए प्लेन को क्रेश करवा कर मरवा दिया जिनके प्रधानमंत्री बनने की भरपूर सम्भावना थी सीआईए का मकसद था सोनिया नहीं तो कम से कम मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाना जो पहले से ही अमेरिका के नौकर थे, यहाँ आकर सीआईए अमेरिका और सोनिया को अपने साजिस में कामयाबी मिली, आज भारत पर अमेरिका परोक्छ रूप से सासन कर रहा है जैसा की मै उपर लिख चूका हूँ अब भारत की कमान अमेरिका के हाँथ में है जिसे वो छोड़ नहीं सकता अब २०१४ के चुनाव में यदि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना बनती है तो अमेरिका सीआईए और सोनिया पाकिस्तान से सीमा पर बिवाद खड़ा करवाएगा और भारत में दंगे करवा देगे गृह युद्ध की आग में झोकेगे और इसी बहाने से सांति बहाली के नाम पर भारत पर कब्जा कर लेगे, और यदि मोदी के प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना नहीं बनती है तो चुनाव के बाद कांग्रेस का सासन आते ही कांग्रेस और सोनिया भारत को इस्लामिक देस बनाने की वकालत करेगी, हिन्दू एसा किसी भी कीमत पर होने नहीं देगे परिणाम स्वरूप भारत में गृह युद्ध होगा और अमेरिका भारत में शांति स्थापित करने के बहाने अपने कब्जे में ले लेगा, मित्रो इसकी पूरी तैयारी सीआईए अमेरिका और सोनिया ने कर ली है भारत के सारे मिडिया पर अमेरिकी कम्पनियो का कब्जा हो चूका है, बैकिंग ब्यवस्था, उत्पादन और  आन्तरिक सुरक्छा जैसे बिभागो पर अमेरिका का कब्ज़ा हो चूका है, सिक्छा, और स्वास्थ्य पर अमेरिकन मिस्नरियो का कब्जा है अब हम अमेरिकी गुलामी से बस एक कदम पीछे है, मित्रो हो सके तो उठो आगे आओ और देस को बचा लो हिन्दुओ यदि आज भी आप आगे नहीं आये तो न हिन्दू बचेगा न हिंदुस्तान        
शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,

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