सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

"अन्नाहजारे पूंजीपतियो के बकरे"

रावण मृत्यु लोक में अहिरावण पाताल लोक में रहता था कहते है दोनों का स्वरूप, प्रबित्ती और आचरण एक जैसा था, दोनों में फर्क बस इतना था की रावण सामने था लोगो को दिखाई देता था अहिरावण लोगो को दिखाई नहीं देता था विलुप्त था, आज दोनों हमारे सामने समाज में मौजूद होते हुए भी आम आदमी रावण को तो कुछ कुछ पहचानने लगा है लेकिन अहिरावण को पहचानने में आज भी भूल कर रहा है जबकि रावण से ज्यादा घातक अहिरावण है ख़ैर ये तो थे अन्याय के प्रतीक, अब मुद्दे की बात पर आते है, भ्रष्टाचारियो, अत्याचारियो, दलालों, देशद्रोहियो, पूंजीपतियो, पूंजीवादियो, काले धनकुबेरो और लुटेरो को हम दो भागो में बांटे तो "रावण" के स्वरूप में लोकतंत्र के चारो स्तंभों में से बिधाइका के कुछ भ्रष्ट "नेता" और कार्यपालिका, न्यायपालिका और सुचना तंत्र के कुछ भ्रष्ट "बड़े अधिकारी" है वहीँ पर अहिरावण के स्वरूप में सभी पूंजीपती है, अहिरावण में कोई बिभेद या संसय नहीं है यदि कोई पूंजीपती है तो अहिरावण ही है, वैसे तो रावण और अहिरावण में काफी घालमेल है, पूंजीपती नेता बन गए है और नेता पूंजीपती, लेकिन उपरोक्त बाते लिखने का मेरा तात्पर्य बर्तमान समय में रावण(भ्रष्टाचारी नेताओ) और अहिरावण(पूंजीपतियों) के बिच एक शीतयुद्ध चल रहा है इस युद्ध में अन्नाहजारे जैसे तथाकथित जननायको और उनके गणों का बखूबी इस्तेमाल किया जा रहा है लोकपाल बिल से अहिरावण(पूंजीपतियों) का कोई नुकसान नहीं होगा उल्टा फायदा होगा क्युकी भ्रष्टाचार की अग्नि में हवन सामग्री तो उनको भी डालनी ही पड़ती है अपना काम कराने के लिए, वो बच जायेगा और इसी लिए "खूब खिला पिला कर" अन्नाहजारे को बकरा बना कर मिमियाने के लिए आगे कर दिया है पीछे से अपने पालतू डमरुओ(मिडिया) को लगा दिया है बजाते रहो और तबतक बजाओ जब तक हिंदुस्तान की सारी भेड़े अन्नाहजारे जैसे बकरे के पीछे सर झुका कर खड़ी न हो जाय, क्युकी तभी तो आसानी से गड्डे में गिराया जा सकता है ख़ैर इसका दूसरा पहलु देखिये, रावण(भ्रष्टाचारी नेताओ) की तो लुटिया डूब जाएगी क्युकी भ्रष्टाचार ही उनकी रोजी रोटी है कमाई का जरिया है हाँथ से निकल गया तो कल क्या करेगे इसी लिए दिग्गी बाबु जैसे लोग काट खाने को दौड़ रहे है, जो भी हो मेरे कहने का सारांस रावण(भ्रष्टाचारियो) और अहिरावण(पूंजीपतियो) को इकठ्ठा करके साथ में मिटाना होगा इन्हें बदला नहीं जा सकता, और "देश का मुद्दा सिर्फ जन लोकपाल नहीं है" "इसलिए हमें कालाधन, ब्यवस्था परिवर्तन, और भ्रष्टाचार" को सामूहिक मुद्दा बनाकर ही आगे बढना होगा बाबा रामदेव को देख कर मिडिया घायल साड़ की तरह क्यों भड़कती है क्युकी ब्यवस्था परिवर्तन और काले धन से सीधे और ज्यादा पूंजीपती प्रभावित होगे और मिडिया तो उनकी ही बपौती है तो मिडिया का भडकना लाजमी है वैसे रामदेवजी लाल कपडे पहनते भी तो है, रावण से पहले अहिरावण मारा गया था यहाँ रावण और अहिरावण दोनों आपस में आत्मसात हो गए है इसलिए अलग करके मिटाना मुस्किल है, इसलिए महात्मा अन्नाहजारे जी आप अपना भी मुद्दा सुधारिए " कालाधन, ब्यवस्था परिवर्तन, और भ्रष्टाचार" को सामूहिक मुद्दा बनाकर बाबारामदेव जी के साथ आगे बढिए... ॐ बंदेमातरम जयहिंद                                        

"अन्ना हजारे और काली बिल्ली"

अन्नाहजारे जी आप एक अच्छे "इन्सान" है निर्विवाद सत्य है, आप "गाँधीवादी" है रहिये कोई बात नहीं हर इन्सान को कमजोरी छिपाने के लिए एक नाम की जरुरत होती है, आप "लोकपाल बिल" चाहते है अच्छा है, देश का हर नागरिक यही चाहता है, लेकिन आप देस का अच्छा सोचकर भी देस का बुरा कर रहे है और आप इसबात को समझने के लिए तैयार नहीं है की देस को लोकपाल बिल चाहिए लेकिन साथ में "कालाधन" और "ब्यवस्था परिवर्तन" भी चाहिए, बिना "काले धन" और "ब्यवस्था परिवर्तन" के "लोकपाल बिल" सिर्फ और सिर्फ एक ढोल से अधिक कुछ नहीं होगा देस एसे ही भूखा नंगा घूमता रहेगा आप उसे गले में डालकर बजाना और राहुल बाबा के लिए वोट मांगना, महात्मा अन्ना जी, यदि आप आत्म परिक्च्झण करना चाहते है तो कृपया कल से बोलना सुरु कर दीजिये की "कलाधन" "ब्यवस्था परिवर्तन" और "लोकपाल बिल" तीनो साथ में चाहिए फिर देखिये दूध का दूध, पानी का पानी हो जायेगा, भ्रष्टाचारियो, अत्याचारियो, दलालों, देशद्रोहियो, पूंजीपतियो, पूंजीवादियो, काले धनकुबेरो, लुटेरो की डुग डुगी मिडिया जो अभी "अन्ना बाथरूम के अंदर" "अन्ना का बैल हरियाणा में" "अन्ना की गाय पंजाब में" "अन्ना का गधा कश्मीर में" दिखा कर देश को पका रही है वो गधे के सर के सींग की तरह एसे गायब हो जाएगी जैसे कभी उगी ही नहीं थी फिर आप राले गाँव में "रहट" चला कर लोगो को पानी पिलाते रहना, बड़ा अफसोस होगा एसा होने पर लेकिन कम से कम आप को ये बात समझ में आ जाएगी कि भ्रष्टाचारियो, अत्याचारियो, दलालों, देशद्रोहियो, पूंजीपतियो, पूंजीवादियो, काले धनकुबेरो, लुटेरो ने आपको कठपुतली बना रक्खा है, और कही आप का जमीर जाग गया तो देश का भला होगा, हमारी तीनो मागे ("कलाधन" "ब्यवस्था परिवर्तन" और "लोकपाल बिल") पूरी होगी और आप "काली बिल्ली" कि तरह रास्ता काटने के पाप से भी बच जायेगे ॐ बन्दे मातरम जय हिंद

शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

"नेहरु" "खानदान" (माफ कीजिये) फेमली के कुछ दलाल

 "नेहरु" "खानदान" (माफ कीजिये) फेमली के कुछ दलाल कभी एक अंग्रेजन को तो कभी उसके "पुत्र" (माफ कीजिये) सन को प्रधानमंत्री बनाने की होड़ में इतने उतावले हो चुके है की चमचागिरी की सारी हदे पारकर किसी को भी कुछ भी कहने से गुरेज नहीं कर रहे है, जबकि सच तो ये है की ये चमचे खुद राजनीती के स्वर्ण वर्ष पार कर चुके है और इतने बड़े महारथी है की कम से कम कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार हो सकते है पर अफसोस की चमचागिरी ने इन्हें इतना अंदर से खोखला कर दिया है की "बाबाडाल" के चरणों से उपर नजरे ही नहीं हटाते खुद का नहीं तो कमसे कम देस के सम्मान का तो लिहाज करे ... ॐ जयहिंद बंदेमातरम

मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

"हिसार चुनाव की खिड़की से ६०० साल की गुलामी का कारन झलकता है"

भ्रष्टाचारियो, अत्याचारियो, दलालों, देशद्रोहियो, पूंजीपतियो, पूंजीवादियो, काले धनकुबेरो, लुटेरो का पर्याय बन चुकी कांग्रेस को १,४९,७८५ वोट मिलना एक दुखद, चिंताजनक, और आश्चर्यजनक घटना है, दुखद क्यों? - बाबा रामदेव जैसे युगपुरुष योगी द्वारा घर घर जनजागरण अभियान चलाने के बाद भी कांग्रेस को १,४९,७८५, वोट मिले,  चिंताजनक क्यों? - यदि देसवासियो की सोच एसी ही रही तो असंभव तो नहीं पर मुस्किल जरुर होगी कांग्रेस के वजूद को पूरी तरह ख़त्म करने में, आश्चर्यजनक क्यों? - कांग्रेस पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है अपने कुकृत्यो को लेकर देश को पता चल चूका है देश की दुर्दसा का कारण कांग्रेस है, संसद से लेकर जेल तक देखा जाय तो कांग्रेस को अपनी सफाई में भी कहने के लिए कुछ नहीं बचा है और अपनी सफाई में कांग्रेस भी कुछ नहीं कह रही है हा डरा धमका कर या जुल्म करके लोगो का मुह बंद करने की कोसिस में लगी है इसके बावजूद भी १,४९,७८५ वोट कांग्रेस को मिलना आठवे आस्चर्य के बराबर ही है और आम देसवासियो का खुद पर हो रहे जुल्म के प्रति असम्बेदन हीन होना सोचने पर मजबूर करता है की ६०० साल की गुलामी हमें अपनी ही गलतियो स्वरूप भोगना पड़ा था और उसी गुलामी की अगली कड़ी में हम आज भी गुलाम है और १,४९,७८५ मतदाताओ को अपने सोच पर फिर से सोचना होगा, सच्चाई की जित तो तब होगी जब .. ॐ बंदेमातरम जयहिंद

सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

"अन्नाहजारे" "गाँधी" और "कांग्रेस"


अन्ना हजारे और उनके चेलो को काफी ठोक बजाकर कांग्रेश ने मैदान में उतरा है, बाबा रामदेव के एक भी सवालों का जबाब नहीं था कांग्रेस के पास तास के पत्तो के "जोकर" की तरह अन्ना हजारे को आगे करने पर बात न बनती देख बिकास से लेकर इतिहास तक में हर जगह फेल हो जाने पर बोखलाई कांग्रेस चार जून को रामदेव पर हमला बोल दिया, टूट पड़ी परिणाम जो हुआ सो हुआ कुछ दिनों का जीवन दान जरुर मिल गया कांग्रेस को, और एक ससक्त हथियार अन्ना हजारे के रूप में लोगो को बरगलाने, गुमराह करने तथा अँधेरे में रखने के लिए, लेकिन ये बीसवी सदी २०११ है, उन्नीसवी सदी १९११ नहीं, महात्मा अन्नाहजारे जी "गाँधी" आप सौक से बनिए पर देश को गुमराह मत कीजिये आज हम १९४१ के मोड़ पर खड़े है जब अत्याचारी अंग्रेजो को मार गिराने समूल उखाड़ फेकने का वक्त था तो गाँधी ने देश की सोच को पंगु बनाकर सेना को अत्याचारी अंग्रेजो का साथ देने को मजबूर किया आन्दोलन चलाकर सेना में भर्ती करवाई और अंग्रेजो ने भी बदले में शाबासी भी दी कोई बात नहीं, देश के बंटवारे का तोहफा भी देश को दिया, बंटवारा न होता अगर हम अंग्रेजो को पहले ही मार गिराए होते तो, बंटवारा न होता अगर "गाँधी" न होते तो, ख़ैर अब आप हमारी सम्पूर्ण आजादी के बिच रोड़े अटका रहे है जिस लोकपाल बिल से ६०% भ्रष्टाचार ख़त्म करने की बात आप कर रहे है उसे तो यदि १०००, ५००, १००, की नोट बंद कर दिया जाय तो ९०% भ्रष्टाचार ख़त्म हो जायेगा और ये तो आप चिठ्ठी से करवा सकते है  अनसन की भी जरुरत नहीं पड़ेगी रहा १०% भ्रष्टाचार की बात तो ब्यवस्था की मज़बूरी के चलते है ब्यवस्था बदल जाएगी अपने आप ख़त्म हो जायेगा, आज की हमारी मूल समस्या है "कालाधन" देसी या बिदेसी और "ब्यवस्था परिवर्तन" जैसे सिक्छा, स्वास्थ्य, वितरण, न्याय, सुरक्छा, खाद्य, उर्जा इत्यादि लेकिन कांग्रेस के इशारे पर आप देश का ध्यान भटकने में लगे है, भ्रष्टाचारी, दलाल, देशद्रोही, गद्दार, पूंजीपति और लुटेरे आपको आगे करके देस के पुरे आन्दोलन को पीछे धकेलना चाहते है इसमें आपका साथ बिदेशी ताकते भी दे रही है और उन्ही के इशारे पर मिडिया आपको गाँधी बनाने में लगी हुए है, १९४८ में गाँधी नहीं रहे लेकिन उनकी नीतिओ का खामियाजा सदीओ हम भुगतेगे, आप में जरा भी देश भक्ति है तो आप अपनी सोच पर एक बार फिर सोचिये                         

शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

"कांग्रेस पार्टी" = "अंग्रेज" "अंग्रेजी" और "अंग्रेजियत"


कांग्रेस पार्टी १८८५ से लेकर आज २०११ तक किसान, जवान और मजदुर से कभी नाता नही रक्खा, "एलन हूम" से निकल कर १९१५ के "गाँधी" से होते हुए २०११ के "गाँधी" तक कोई भी किसान जवान और मजदुर नहीं रहा, चाँदी की थाली में सोने के चम्मच से खाने वाले लोग गरीबो की थाली से रोटी तक चुरा कर बेच कर बिदेसो में जमा करने वाले, गरीबो को ही मिटा कर गरीबी दूर करने के सूत्र लागु करने वाले लोग १२६ साल के अपने इतिहास में एक भी अपने राष्ट्र हित में किये गए कार्य को बताये जिन पर उनको गर्व हो ? वर्ना देश से पूंछे देश कांग्रेस की १०० एसे अत्याचारों को बता देगा जिसका परिणाम है लाचार इंडिया (जंगल), मजबूर इंडियन (जंगली), और बिकासशील भारत ॐ जयहिंद बंदेमातरम

"अंग्रेजी, अंग्रेज और राहुल गाँधी"

 जिनका खानदानी इतिहास अंग्रेजो से रोटी बेटी के रिश्ते का रहा हो वो भारत के बारे में कैसे सोच पाएंगे चाहे वो मोतीलाल नेहरु रहे हो या फिर राहुल गाँधी, किसी दलित के घर रोटी खाकर उस परिवार की आँखों में आंखे डालकर सिर्फ इतना कहे की "मेरा या मेरे खानदान में से किसी का कालाधन बिदेसी बैंको में जमा नहीं है"

जो जितना शीतल होता है उतना ही ज्वलनशील "पेट्रोल" से लेकर "परमाणु" तक छू कर देख सकते है"

 मित्रो "मै" इस समय बाबा रामदेव जी के ब्लॉग पर लिखने वालो और पढने वालो से मुखातिब हूँ मै जो भी बाबा के ब्लॉग पर लिखता हूँ वो सिर्फ और सिर्फ सच होता है और तर्क के साथ होता है लेकिन कडवा होता है इसमें मेरी कोई गलती नहीं है "सच तो कडवा होता ही है" और जो यहाँ लिखता हु वही अपने ब्लॉग पर कापी करता हु लेकिन दुर्भाग्य बस मेरा ब्लॉग गूगल वालो ने बंद कर दिया है ((((नमस्‍कार, http://rdmunmohan.blogspot.com/ पर स्थित आपके ब्‍लॉग की समीक्षा और पुष्टिकरण में SPAM के लिए हमारी सेवा शर्तों का उल्‍लंघन हुआ है. शर्तों के अनुपालन में, हमने ब्‍लॉग को निकाल दिया है और उसके URL पर अब अभिगमन नहीं किया जा सकता))) कोई बात नहीं लेखक नदी की एक धार की तरह होता है जब भी बांध लगाने की कोसिस होती है धार एक नई नदी खोद डालता है मैने भी संकल्प लिया है एक साल के अंदर अक्तूबर २०१२ यानि अगली दीपावली से पहले बाबा की सेवा में सिर्फ सच को आवाज देने व् लोगो तक पहुचने के लिए नया "न्यूज चैनल" समर्पित करूँगा और आप सबो का सहयोग रहेगा इसका मुझे पूरा बिस्वास है, धन्यवाद ॐ जयहिंद बंदेमातरम

"देशभक्त" या "देशद्रोही"?

"देशभक्त" या "देशद्रोही"?,,,,काले धन को वापस लाने रास्ट्रीय संपत्ति घोषित करने और कालाधन रखने वालो को फाँसी की सजा दिलाने, सम्पूर्ण ब्यस्था परिवर्तन करने, संबिधान में ब्यापक संसोधन कर "भारतीय संबिधान" की संरचना करने जैसे मूल और साफ मुद्दों से हट कर जो भी बात करेगा वो भ्रष्टाचारी, दलाल, देशद्रोही, गद्दार, और लुटेरा होगा या प्रत्यक्छ या परोक्छ उनका सहयोगी होगा, ये बात तथाकथित लोकतंत्र के चौपायो (बिधाइका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, और सूचनातंत्र {मिडिया}) पर भी लागू होगा, आम लोगो से लेकर विशिस्ट लोगो तक को भी अपनी भूमिका तय तथा साफ करनी होगी...ॐ जय हिंद बन्दे मातरम

शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

संघ एक राष्ट्रवादी व आध्यात्मवादी संघटन है यह निर्विवाद सत्य है,

 संघ एक राष्ट्रवादी व आध्यात्मवादी संघटन है यह निर्विवाद सत्य है, उतना ही निर्विवाद सत्य जितना कांग्रेस में कुछ भ्रष्टाचारी, दलाल, देशद्रोही, गद्दार, और लुटेरे, काले धन कुबेरों का होना और महात्मा अन्ना हजारे का कांग्रेसी होना, बात समझ में न याये तो इतिहास एक बार फिर पढ़े या २०१४ तक का इंतजार करे ॐ जय हिंद बन्दे मातरम

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

संघ एक राष्ट्रवादी व आध्यात्मवादी संघटन है यह निर्विवाद सत्य है,

संघ एक राष्ट्रवादी व आध्यात्मवादी संघटन है यह निर्विवाद सत्य है, उतना ही निर्विवाद सत्य जितना कांग्रेस में कुछ भ्रष्टाचारी, दलाल, देशद्रोही, गद्दार, और लुटेरे, काले धन कुबेरों का होना और महात्मा अन्ना हजारे का कांग्रेसी होना, बात समझ में न याये तो इतिहास एक बार फिर पढ़े या २०१४ तक का इंतजार करे ॐ जय हिंद बन्दे मातरम