रविवार, 18 दिसंबर 2011

"अन्ना" नहीं हथियार है, "देस" का गद्दार है,

अब ये बात बिलकुल साफ और साबित हो चुकी है कि कांग्रेस अपने अंतिम चरण की लड़ाई लड़ रही है और अन्नाहजारे सबसे अंतिम मोहरे बन कर कांग्रेस के हांथो एक हथियार कि तरह इस्तेमाल हो रहे है, भ्रष्ट्राचार, कालाधन, ब्यवस्था परिवर्तन जैसे मुद्दों से पूरी तरह से घिर चुकी सरकार लोकपाल बिल रूपी अंग्रेजी दवा के सहारे अन्नाहजारे को सबसे बड़ा डाक्टर साबित करवाने में जुटी है, कभी "हाँ" तो कभी "ना" देस कि जनता कि आँखों में धुल झोकने के लिए है और वैसे भी जितना लम्बा खिचेगा उतना ही महात्मा अन्नाहजारे का भाव बढेगा जो कांग्रेस का मूल मकसद है, अन्नाहजारे कि आड़ में सबकुछ पीछे धकेलना, उधर भारतीय जनता पार्टी सबकुछ जानते और समझते हुए भी अन्नाहजारे को दुधारू गाय होने के भ्रम में सौ सौ लात खा के भी लिपटने कि कोशिश में लगी हुई है देस कि बाकी पार्टियो का भी कमो बेस वही हाल है बहती गंगा में लुटिया डुबो लिया जाय भले ही हाँथ कि लुटिया भी चली जाय, अन्नाहजारे शुद्ध कांग्रेसी है और कांग्रेस के मिसन २०१४ के लिए काम कर रहे है ये बात जनता को जानना बहुत जरुरी है, कांग्रेस २०१४ तक ये भ्रम लोगो में बना कर रखेगी अंत में अन्नाहजारे कांग्रेस के उड़न खटोले मे बैठ लोकपाल का झुन झुना हाँथ में पकड़ कर लोगो से कांग्रेस के लिए वोट मांगेंगे तब क्या करेगा देस का आम आदमी, यु तो अन्ना हजारे कई बार कई मौको पर ये बात दुहरा चुके है कि "यदि कंग्रेस लोकपाल बिल लेकर आती है तो मै कांग्रेस और राहुल के लिए वोट मागुंगा" इसके बाद भी देस का आम आदमी अन्नाहजारे कि हकीकत और गद्दारी को समझने को तैयार क्यों नहीं है, पूंजीपतियो, काले धन कुबेरों, देशद्रोहियो, भ्रष्टाचारियो और कांग्रेसियो द्वारा संचालित मिडिया अपने आकाओ के निर्देस पर अपनी पूरी ताकत लगा चुकी है अन्नाहजारे को महात्मा बनाने के लिए, ख़ैर पूंजीपतियो, काले धन कुबेरों, देशद्रोहियो, भ्रष्टाचारियो और कांग्रेसियो के इस खेल को देस के तीन लोग "बाबारामदेव" नरेंद्र मोदी, और सुब्रमनियम स्वामी यदि मिल जाय तो रोक सकते है एसा मेरा मानना है देश हित में येसा करना भी चाहिए ॐ बंदेमातरम जयहिंद