सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

"अन्नाहजारे" "गाँधी" और "कांग्रेस"


अन्ना हजारे और उनके चेलो को काफी ठोक बजाकर कांग्रेश ने मैदान में उतरा है, बाबा रामदेव के एक भी सवालों का जबाब नहीं था कांग्रेस के पास तास के पत्तो के "जोकर" की तरह अन्ना हजारे को आगे करने पर बात न बनती देख बिकास से लेकर इतिहास तक में हर जगह फेल हो जाने पर बोखलाई कांग्रेस चार जून को रामदेव पर हमला बोल दिया, टूट पड़ी परिणाम जो हुआ सो हुआ कुछ दिनों का जीवन दान जरुर मिल गया कांग्रेस को, और एक ससक्त हथियार अन्ना हजारे के रूप में लोगो को बरगलाने, गुमराह करने तथा अँधेरे में रखने के लिए, लेकिन ये बीसवी सदी २०११ है, उन्नीसवी सदी १९११ नहीं, महात्मा अन्नाहजारे जी "गाँधी" आप सौक से बनिए पर देश को गुमराह मत कीजिये आज हम १९४१ के मोड़ पर खड़े है जब अत्याचारी अंग्रेजो को मार गिराने समूल उखाड़ फेकने का वक्त था तो गाँधी ने देश की सोच को पंगु बनाकर सेना को अत्याचारी अंग्रेजो का साथ देने को मजबूर किया आन्दोलन चलाकर सेना में भर्ती करवाई और अंग्रेजो ने भी बदले में शाबासी भी दी कोई बात नहीं, देश के बंटवारे का तोहफा भी देश को दिया, बंटवारा न होता अगर हम अंग्रेजो को पहले ही मार गिराए होते तो, बंटवारा न होता अगर "गाँधी" न होते तो, ख़ैर अब आप हमारी सम्पूर्ण आजादी के बिच रोड़े अटका रहे है जिस लोकपाल बिल से ६०% भ्रष्टाचार ख़त्म करने की बात आप कर रहे है उसे तो यदि १०००, ५००, १००, की नोट बंद कर दिया जाय तो ९०% भ्रष्टाचार ख़त्म हो जायेगा और ये तो आप चिठ्ठी से करवा सकते है  अनसन की भी जरुरत नहीं पड़ेगी रहा १०% भ्रष्टाचार की बात तो ब्यवस्था की मज़बूरी के चलते है ब्यवस्था बदल जाएगी अपने आप ख़त्म हो जायेगा, आज की हमारी मूल समस्या है "कालाधन" देसी या बिदेसी और "ब्यवस्था परिवर्तन" जैसे सिक्छा, स्वास्थ्य, वितरण, न्याय, सुरक्छा, खाद्य, उर्जा इत्यादि लेकिन कांग्रेस के इशारे पर आप देश का ध्यान भटकने में लगे है, भ्रष्टाचारी, दलाल, देशद्रोही, गद्दार, पूंजीपति और लुटेरे आपको आगे करके देस के पुरे आन्दोलन को पीछे धकेलना चाहते है इसमें आपका साथ बिदेशी ताकते भी दे रही है और उन्ही के इशारे पर मिडिया आपको गाँधी बनाने में लगी हुए है, १९४८ में गाँधी नहीं रहे लेकिन उनकी नीतिओ का खामियाजा सदीओ हम भुगतेगे, आप में जरा भी देश भक्ति है तो आप अपनी सोच पर एक बार फिर सोचिये