शनिवार, 25 अगस्त 2012

हमारी दुर्दशा का कारण …

हमारे देश का लगभग 400 लाख करोड़ रुपये कालाधन देश-विदेशों में जमा है तथा देश गरीबी, महंगाई व बेरोजगारी आदि समस्याओं से जूझ रहा है। आज पूरा राष्ट्र एक बहुत बड़े संकट के दौर से गुजर रहा है। पूरे देश में त्राहि-त्राहि मची
 हुई है। सभी जाति, वर्ग व सभी मजहबों के लोग भ्रष्ट- व्यवस्था से त्रस्त हैं। देश के 121 करोड़ लोगों में एक बहुत बड़े परिवर्तन के लिए जबरदस्त आक्रोश है। भारत माता के सीने को देश के ही कुछ गद्दारों ने धोखा व विश्वासघात करके लहू-लुहान कर दिया है। ऐसे में करोड़ो देशभक्त नागरिकों के हृदय में जुनून, आक्रोश, शौर्य व स्वाभिमान उमड़ रहा है और उनका खून खौल रहा है। जब कालेधन, भ्रष्टाचार, महंगाई व गरीबी के मुद्दे पर मिस्र, लीबिया व ट्यूनेशिया में प्रलयंकारी परिवर्तन हो सकता है तो भारत में शान्तिपूर्ण व अहिंसक परिवर्तन क्यों नहीं। अब और कितने दिनों तक लुटते रहेंगे तथा गरीबी, भूख व अपमान की जिंदगी जीते रहेंगे। आज जब देश को लूटने में यदि कुछ चंद लोग हैं तो भारत माता की रक्षा के लिए करोड़ों लोगों के खड़े होने की आवश्यकता है।
हमारा देश कमजोर नहीं है, हमारी किस्मत(भाग्य) या कर्म भी खराब नहीं तथा हम अपनी जाति, वर्ग या मजहब के कारण गरीब, अनपढ़ या बेरोजगार नहीं हैं, बल्कि कालाधन, भ्रष्टाचार व भ्रष्ट-व्यवस्था के कारण हमारी व हमारे देश की यह दुर्दशा हुई है।




शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,

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