tag:blogger.com,1999:blog-57988381290591950822024-03-19T09:28:55.544+05:30भारत स्वाभिमान सत्यमेवजयतेशम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,
"सत्य से लड़ेंगें, सत्य के लिए लड़ेंगें और सत्य के साथ लड़ेंगें"
"हमेसा आगे रहो या दुसरे को आगे जाने दो"
"अगर तुम अच्छे हो तो मै बुरा नहीं हो सकता"RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.comBlogger61125tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-2461332031073836692015-10-14T16:29:00.001+05:302015-10-14T16:30:15.032+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">"भारत को कभी FDI, बिदेसी निवेस और बिदेसी कर्ज की जरुरत नही थी आज भी नहीं" ए प्रमाण १९४७ से लेकर अबतक के सरकारी फाइलों के आकड़ो में दर्ज है!</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">हम इसे किसी भी खुली बहस में सिद्ध कर सकते है, राजीव भाई यही बात देस को बता रहे थे जिसके लिए उन्हें मार दिया गया </span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">राजीव भाई के विचारो को शब्द देने की कोशिश कर रहा हु, इसे आप अवश्य पढ़े, सही लगे तो राजीव भक्तो तक पहुचाने की कृपा करे </span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">=========</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">1- मुग़ल भारत आये लूटने के लिए ऐ तो आप मानते है ? वो आपको लूटने आये क्युकी आपके पास बहुत कुछ था आप बौधिक, और आर्थिक रूप से दुनिया में सबसे आगे थे, आप उनसे 350 सालो तक लुटे भी और उन्हें अंगीकार भी कर लिया यहाँ तक की उनके अनैतिक सम्प्रदाय को भी जिसका परिणाम है भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमान !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">2- ठीक ऐसा ही कुछ अंग्रेजो ने भी किया, जब मुगलिया सल्तनत अपनी ऐयासियो और अत्याचारों से उठ रहे बिद्रोह के चलते चरमरा रहा था तो अंग्रेज आ धमके और बड़ी आसानी से मुगलों की बुरी लत का फायदा उठाकर सत्ता पर काबिज हो गये, अंग्रेजो ने भी लगभग 300 सालो तक लूटा लेकिन सांप्रदायिक बिस्तार में उनकी कोई रुची नहीं थी जब तक लूट सके लूटा, क्रान्तिकारियो से लोहा न ले पाने की स्थिती में माहौल बिगड़ता देख दलालों को सशर्त सत्ता देकर भाग लिए, लेकिन अपने पीछे रखैलो, बेस्याओ और कुछ नाजायज औलादों को छोड़ गए जिसका परिणाम है इसाई समुदाय और एंग्लो इंडियन्स लोग !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">3- इन 650 सालो के लुटने के बाद भी भारत सम्ब्रिद्ध और सबल बचा रहा तो इसके दो मुख्य कारण थे पहला तो मुग़ल या अंग्रेज पुरे भारत पर अपना साम्राज्य कभी कायम नहीं कर पाए और दूसरा भारत की अपार सम्पदा !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">4- अब हम आते है १९४७ के बाद जब भारत तथाकथिक रूप से आजाद हुआ तो अंग्रेजो ने अपने भविष्य के अप्रत्यक्ष लाभ को देखते हुए सत्ता उन्ही के द्वारा तैयार किये कंग्रेस और अपने चाटुकार नेहरु शाश्त्री पटेल गाँधी को दे दिया ख़ैर उस समय ईस्ट इंडिया कम्पनी को तो भारत से निकाल गया जिनका कम्पनी के रूप में कोई वजूद बचा ही नहीं था, वो तो बहुत पहले ही अंग्रेजो के सैन्य संस्थान बन चका था लेकिन लगभग १५० बिदेसी कम्पनिया जो भारत को लूटने में लगी थी उन्हें नहीं निकाला गया ये भी भारतीय दलालों और अंग्रेजो के बिच अनौपचारिक समझौते के कारण हुआ !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">5- आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सभी बिदेसी कम्पनिया भारत में एसा कोई काम नही करती थी जिसके चले जाने से भारत पर कोई आर्थिक असर होता, उस समय 50% बिदेसी कम्पनिया तो ट्रेडिंग का काम करती थी मतलब दलाली का, दुसरे देसों से गैर जरूरी चीजे खरीदकर भारत में बेचती थी, 50% बिदेसी कम्पनिया भारत में गैर जरूरी चीजो का उत्पादन करती थी जैसे सिगरेट, सराब, अफीम, चाय, चीनी, बिस्किट, नील, जूते इत्यादि जिनके बंद होने से भारत पर कोई असर नहीं होता जिसे तत्कालीन अर्थशाश्त्रियो ने भी माना था और आप भी आसानी से समझ सकते है !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">6- उस समय नेहरु और उनके मंत्रियो ने भी बिकास को मुद्दा बनाकर बिदेसी कम्पनियो की आवश्यकता को अनिवार्य कर दिया, देस को गुमराह किया, देश को धोका दिया लेकिन आम आदमी उनके झूठ का अफीम खाकर नकली आजादी के नसे में चूर होकर उन्ही दलालों के साथ खड़ी हो गई, ऐसी बात नहीं की बिदेसी कम्पनियो के बिरोध में स्वर नहीं उठे, उठे थे लेकिन उन्हें मुर्ख पागल कह कर उनको दबा दिया गया, परिणाम आपके सामने है !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">7- बिदेसी निवेस के नाम पर भारत में बिदेसी कम्पनियो का सिलसिला सुरु हो गया, बिदेसी निवेस एक असत्य और छलावा है इस बात को आप इस तरह समझ सकते है:-</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">क- १९४७ के बाद भी जितनी बिदेसी कम्पनिया भारत में आई वो सभी ज्यादातर ट्रेडिंग में आई या फिर ०% तकनीकी के उत्पादन के छेत्र में आई जिनकी भारत को कोई जरुरत नहीं थी!</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">ख- बिदेसी कम्पनियो ने निवेस के नाम पर यदि एक करोड़ की लागत से उत्पादन की इकाई लगाई तो दो साल के अंदर उत्पादन सुरु होने से पहले ही शेयर मार्किट में शेयर बेचकर तिन करोड़ यानि अपनी लागत से तीन गुना ज्यादा अपने देस वापस भेज दिया बाद में हमारे पैसे से ही हमको अब तक लूट रहे है, अर्थात बिदेसी निवेस की बात सिरे से असत्य है !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">ग- बिदेसी कम्पनिया भारत में ०% तकनीकी खासकर FMCG और मजदूर बिहीन उत्पादन के छेत्र में आती है, जिनमे कम से कम मजदूर लगे जो आटोमेटिक मसीनो से अधिक से अधिक उत्पादन कर सके जिन्हें मात्र प्रचार माध्यमो से बेचा जा सके, अर्थात रोजगार देने वाली बात भी असत्य है !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">घ- मात्र ५% कम्पनिया जो मध्यम तकनीकी (हाई टेक्नोलॉजी नही) के छेत्र में आती भी है वो यहाँ उत्पादन नहीं असेम्बलिग़ करती है जिससे कोई खास फायदा देस को नहीं होता और लाभ उनके देस को होता है, </span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">च-ज्यादातर बिदेसी कम्पनिया मोरिसस जैसे देसों के जरिये भारत में घुसती है जिसके कारण भारत को टेक्स का फायदा भी नहीं मिल पाता क्युकी उनसे कर मुक्त ब्यापार का समझौता है, यु भी इस समझौते का कोई औचित्य नहीं है क्युकी भारतीय उद्योगपतियो का ब्यापार इन देसों में न के बराबर है !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">छ- भारत का दुर्भाग्य देखिये की समय समय पर हो रहे बिरोधो के बावजूद बिदेसी निवेस के नाम पर FDI को सर्वमान्य १००% कर दिया गया और इसे ऐसे लोग कर रहे है जो पूर्व में इसके बिरोधी रहे है, जो खुद को राष्ट्रवादी कहते है, जो देस की सबसे राष्ट्रवादी पार्टी खुद को बताते है !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">8- भारत को कभी कर्ज की जरुरत नहीं रही है, आज भारत पर १८० बिलियन डोलर कर्ज है आज डोलर के मुकाबले रूपये की कीमत ६६ रूपये हो गई है, यानी लगभग 13 लाख करोड़ रूपये का कर्ज भारत पर है जबकि भारत का कालाधन देस और बिदेस में मिलाकर कर्ज से ३० गुने से भी ज्यादा ३४५ करोड़ रूपये से भी उपर है, अब सोचिये भारत को कर्ज की जरुरत कहा थी भारत अगर ईमानदारी से अपना खुद का धन लगाकर बिकास करता तो आज से ३० साल पहले बिकसित हो चूका होता दुनिया की महाशक्ति बन चूका होता, अर्थात भारत को कर्ज की नहीं इमानदार, ताकतवर राष्ट्रवादी नेता की जरुरत है कर्ज की नहीं !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">9- आकड़ो के अनुसार भारत एक तरफ हर पञ्च वर्षीय योजनाओ के लिए 1 लाख 50 हजार करोड़ का कर्ज लिया है और इसका ३० गुना यानि 45 लाख करोड़ चोर चुरा कर बिदेस भेज देता था तो कर्ज fdi या बिदेसी निवेस की क्या जरुरत थी, आप जानते है की अबसे पहले की सरकारे चोर भ्रष्ट और लुटेरी थी, तो अब तो मोदी जी जैसे राष्ट्रवादी के समय में भी वो नीतिया जारी है या यु कहे की पूर्व सरकारों से 10 गुना तेजी से जारी है !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">10- होना तो चाहिए था कि, काले धन को राष्ट्रिय संपत्ति घोषित करने का अध्यादेस मोदी लाते, तो देस को कम से कम २०० लाख करोड़ रुपया तो तत्काल मिल गया होता !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">11- होना तो चाहिए था कि, १००० और ५०० रूपये के नोट को तत्काल प्रभाव से 1 महीने की बिनिमय अवधि और टेक्स पर छुट देकर बंद कर देते तो ३५ लाख करोड़ रूपये जो जमीन में बिस्तर में तकिये में छुपकर रखे है वो बाहर आ जाता तो भी भारत कर्जमुक्त हो जाता !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">12- होना तो चाहिए था कि, बिदेसो में जमा कलाधन तो बाद में अपने देस का कालाधन जमीन सोना और प्रतिभूति और कई अन्य माध्यमो में लोगो ने ७० लाख करोड़ दबा रखा है, उसे ही निकलवा लेते तो भी भारत कर्ज मुक्त और बिकसित बन जाता है !</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.32px;">नोट- बिकास का एक मात्र रास्ता है स्वदेसी स्वावलंबी, स्वभाषी भारत का निर्माण</span><br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEijszNS6saxG7ADnzgNEwn8HHCDLt1OWXiqceXwYklQQgmmIdnmyQ-0mQn6kWGqJZWNBd2c8S-DLepYoRB95fgQLGFw1O_HjPXneeJ96H1HPmMigAIixau_iFmGpSDS6mkmzQ5cTZnm92Ql/s1600/14.png" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="278" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEijszNS6saxG7ADnzgNEwn8HHCDLt1OWXiqceXwYklQQgmmIdnmyQ-0mQn6kWGqJZWNBd2c8S-DLepYoRB95fgQLGFw1O_HjPXneeJ96H1HPmMigAIixau_iFmGpSDS6mkmzQ5cTZnm92Ql/s320/14.png" width="320" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
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शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-25675809472348104302014-07-15T15:45:00.002+05:302014-07-15T15:45:34.605+05:30क्या स्वामी रामदेव जी बेदप्रकाश बैदिक के बयान "अलग कश्मीर" का समर्थन करते है?? अगर हाँ, तो हमे भी सोचना होगा "कृतज्ञता" किससे ??<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
क्या स्वामी रामदेव जी बेदप्रकाश बैदिक के बयान "अलग कश्मीर" का समर्थन करते है?? अगर हाँ, तो हमे भी सोचना होगा "कृतज्ञता" किससे ??<br />
====================<br />
हमे इस बात से कोई मतलब नहीं की बेदप्रकास बैदिक कांग्रेसी दलाल कब, कहाँ और किससे मिलता है, लेकिन इसने कश्मीर को अलग करने का जो बयान दिया उससे मतलब है, इसका भी प्रशांत भूषण की तरह जूतम पैजार होना चाहिए<br />
============================= <br />
स्वामी रामदेव जी को बेदप्रकाश बैदिक से अपने सम्बन्धो को स्पष्ट करना चाहिए और उससे तथा उसके बयान से दुरी बना लेनी चाहिए, देसद्रोह की बात करने वाले से भारतस्वाभिमान का कोई रिस्ता नहीं होना चाहिए <br />
========================<br />
बेद प्रकाश बैदिक का बीजेपी या आरएसएस और मोदी जी से कोई रिस्ता नहीं है, हाँ इसने स्वामी रामदेव जी को बरगलाकर उनका राजनैतिक इस्तेमाल किया है,या यु कहे की उन्हें गुमराह किया है <br />
========================<br />
बेद प्रकाश बैदिक कांग्रेसी दलाल है, इसने स्वामी रामदेव जी को सीढ़ी बनाकर भारतीय जनतापार्टी में घुसपैठ करने की कोशिश की है, हाफिज सईद से मुलाकात भी इसने कांग्रेस के इसारे पर किया है, कश्मीर पर बिवादित बयान से इसका मकसद भारत में अस्थिरता पैदा करना है <br />
शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-24358262976378409112013-10-23T14:58:00.000+05:302013-10-23T14:58:26.228+05:30सोनिया सीआईए एजेंट है और मनमोहन सिंह अमेरिका का नौकर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
दुनिया का सबसे गरीब और कर्ज में डूबा देस अमेरिका खाड़ी देसों के तेल भण्डारो पर कब्जा करने के बाद दुनिया के सबसे बड़े बाजार भारत पर कब्जा करना चाहता है, सोनिया सीआईए एजेंट है और मनमोहन सिंह अमेरिका का नौकर तीनो मिलकर २०१४ के बाद पाकिस्तान से भारत पर हमला करवायेगे, भारत के अन्दर भारत को इस्लामिक देस घोषित करने की कोशिश करेगे जिसे हिन्दू कभीं स्वीकार नहीं करेगे, परिणाम स्वरूप में भारत में गृह युद्ध हो जायेगा और इसी बात का बहाना लेकर सीरिया, इराक, अफगानिस्तान की तर्ज पर अमेरिका भारत में घुस आएगा और अपने कब्जे में ले लेगा, अमेरिका अपनी गरीबी और कर्ज से निकलने के लिए, अपने खुद के वजूद को जिन्दा रखना चाहे तो बस यही एक रास्ता है भारत के बाजार पर कब्ज़ा करना, वरना अमेरिका दिवालिया हो जायेगा, इस बात को चीन भली भाति जानता है चूकी चीन को भी भारत के बाजार की सख्त जरुरत है यदि अमेरिका भारत और भारत के बाजारों पर कब्जा कर लिया तो चीन अपने आप ५० साल पीछे चला जायेगा यानि सुपर पावर बनने का उसका सपना अधुरा रह जायेगा, चीनी अर्थ ब्यवस्था को ३०% तक भारत के बाजारों ने सभाल रखा है, यहाँ चीन किसी भी कीमत पर भारत के बाजार को खोना नहीं चाहेगा, इसलिए अमेरिका को भारत की और बढने से रोकना चाहता है, हाल में की गई चीन की सरारते सीमा पर घुसपैठ इसी का हिस्सा है, चीन भारत से दुश्मनी नहीं दोस्ती चाहता है भारत में बढ़ता अमेरिका का दखल चीन से बर्दास्त नहीं हो रहा है, आज के अंतर्राष्ट्रीय परिपेक्छ में चीन को भारत से दोस्ती की सख्त जरुरत है, क्युकी इसमें उसका अपना स्वार्थ है, ये बात बिलकुल साफ है की बंगलादेस और पाकिस्तान की औकात नहीं है भारत पर हमला करने की और भारत पर हमला करने की हिमाकत चीन किसी भी कीमत में नहीं करेगा, भारत पर हमला करके चीन खुद को बर्बाद नहीं करेगा, १९६२ में चीन का भारत पर हमला जवाहरलाल नेहरु द्वारा प्रायोजित था भारत का कुछ हिस्सा चीन को देना तय था जिसकी भूमिका १९४७ में अड्विना माउन्ट बेटन द्वारा तैयार की गई थी, १९६२ में चीन की औकात और सैन्य छमता भारत पर हमला करके जीतने की नहीं थी चीन से कई गुना ताकत वर हमारी वायु सेना थी जिसका इस्तेमाल ही जवाहर लाल नेहरु ने नहीं किया और लोगो को मालूम है चीन को जितनी जमीन लेनी थी लेने के बाद खुद से ही युद्ध बिराम भी कर दिया था इसका सीधा अर्थ है चीन भारत से दुश्मनी नहीं दोस्ती चाहता है, सिर्फ और सिर्फ अमेरिका से ही खतरा है भारत को, मित्रो भारत का दुर्भाग्य देखिये की भारत की कीमत अमेरिका और चीन को तो मालूम है लेकिन खुद भारत के नेत्रित्व को नहीं मालूम, भारत को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी समझ कर अमेरिका और चीन आमने सामने है यहाँ तक की युद्ध भी लड़ने को तैयार है, अमेरिका भारत के लिए १९४७ के बाद से ही साजिस रचना सुरु कर दिया था चूकी भारत का झुकाव हमेसा रूस के साथ रहा ये बात हमेसा अमेरिका को खलती रही इसी कड़ी में सोनिया के बाप को जो केजीबी (रुसी ख़ुफ़िया एजेंसी) और सीआईए (अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी) का डबल एजेंट था, को गिरफ्तार कर मजबूर करके सोनिया को पहले तो सीआईए का एजेंट बनाया फिर राजीव के सामने परोसा जैसा की आप सभी जानते है सोनिया पांचवी फेल है बार वेटर का काम करती थी, फिर राजीव और सोनिया से मुलाकात और प्रेम का सवाल ही नहीं पैदा होता, सोनिया को साजिस के तहत राजीव पर थोपा गया यहाँ तक की कुटनीतिक दबाव डाल कर राजीव से सादी का ढोग रचाकर भारत में दाखिल करवाया गया, क्यों की राजीव सोनिया से सादी भी नहीं करना चाहते थे, फिर यहाँ से खेल सुरु हुआ अमेरिका का, यु तो जवाहर लाल नेहरु ने ही स्यामा प्रसाद मुखर्जी को मरवा कर खुनी खेल की सुरुआत कर दी थी लेकिन सीआईए की साजिस का पहला सिकार बने लालबहादुर शास्त्री जिसे तासकंद में इंदिरा गाँधी को प्रधान मंत्री बनवाने की लालच में फसाकर रहस्यमई मौत दे दी क्युकी लालबहादुर शास्त्री अमेरिका के घोर बिरोधी थे, इंदिरा प्रधानमंत्री बनी और सोनिया १० जनपथ में दाखिल हो गई, अब सोनिया के जरिये सीआईए ने अपना अड्डा १० जनपथ को बना लिया, और सीआईए ने सोनिया से मिलकर संजय गाँधी को इसलिए मार दिया की संजय की राजनितिक दखलंदाजी बढ़ गई थी वो भी अमेरिका बिरोधी, इंदिरा भी अमेरिका को भारत से दूर ही रखना चाहती थी इसलिए सोनिया और सीआईए मिलकर खालिस्तानी आतंकवादियो से इंदिरा गाँधी को मरवा दिया क्युकी इंदिरा भी रूस से अच्छे रिश्ते की पक्छ्धर थी सो उन्हें रास्ते से हटा कर राजीव गाँधी को प्रधानमंत्री बनाया, यु भी खालिस्तानी आतंकवादियो की पूरी फंडिंग अमेरिका ही पाकिस्तान के जरिये करता था, अब राजीव गाँधी के प्रधानमंत्री बनने पर भी अमेरिका का मकसद पूरा नहीं हुआ क्युकी राजीव सोनिया की हकीकत से वाकिफ थे इसीलिए कुटनीतिक रूप से रूस को दोस्त बनाये रखना ही उचित समझा जिसके लिए उनको भी रास्ते से हटा दिया गया, राजीव गाँधी को मारने की सारी साजिस सीआईए और सोनिया ने बनाया सिर्फ उसे लिट्टे के सदस्यों ने अंजाम तक पहुचाया, अमेरिका राजीव के मरते ही सोनिया को प्रधनमंत्री बनाना चाहता था लेकिन मुमकिन नहीं हुआ, सीआईए ने सोनिया को प्रधानमंत्री बनाने की भरपूर कोशिश की लेकिन एसा हो न सका, फिर सीआईए सोनिया को भारत में स्थापित करने के लिए पूरी ताकत झोक दिया, नरसिंघाराव, देवगौड़ा, गुजराल, और चन्द्रसेखर को आगे करके सीआईए सोनिया को प्रधानमंत्री बनाने में लगी रही क्युकी राहुल इस योग्य नहीं थे लेकिन जब 2004 में भी सोनिया को प्रधानमंत्री बनाने से सुब्रमनियम स्वामी के बिरोध के कारन बाधा पड़ गई तो मनमोहन जैसे अयोग्य टट्टू को प्रधानमंत्री बनाया वैसे तो मन मोहन पहले से भी अमेरिका के नौकर थे, इसी दौरान कुछ एसे लोगो को भी अपनी जान गवानी पड़ी जो प्रधानमंत्री बनने के सपने पालने की हिमाकत कर बैठे और उनमे प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना भी थी, जैसे राजेस पायलट जिन्हें सीआईए और सोनिया ने एक बेहद संदिग्ध कार दुर्घटना से मरवा दिया, माधवराव सिंधिया जिसे बिलकुल नए प्लेन को क्रेश करवा कर मरवा दिया जिनके प्रधानमंत्री बनने की भरपूर सम्भावना थी सीआईए का मकसद था सोनिया नहीं तो कम से कम मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाना जो पहले से ही अमेरिका के नौकर थे, यहाँ आकर सीआईए अमेरिका और सोनिया को अपने साजिस में कामयाबी मिली, आज भारत पर अमेरिका परोक्छ रूप से सासन कर रहा है जैसा की मै उपर लिख चूका हूँ अब भारत की कमान अमेरिका के हाँथ में है जिसे वो छोड़ नहीं सकता अब २०१४ के चुनाव में यदि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना बनती है तो अमेरिका सीआईए और सोनिया पाकिस्तान से सीमा पर बिवाद खड़ा करवाएगा और भारत में दंगे करवा देगे गृह युद्ध की आग में झोकेगे और इसी बहाने से सांति बहाली के नाम पर भारत पर कब्जा कर लेगे, और यदि मोदी के प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना नहीं बनती है तो चुनाव के बाद कांग्रेस का सासन आते ही कांग्रेस और सोनिया भारत को इस्लामिक देस बनाने की वकालत करेगी, हिन्दू एसा किसी भी कीमत पर होने नहीं देगे परिणाम स्वरूप भारत में गृह युद्ध होगा और अमेरिका भारत में शांति स्थापित करने के बहाने अपने कब्जे में ले लेगा, मित्रो इसकी पूरी तैयारी सीआईए अमेरिका और सोनिया ने कर ली है भारत के सारे मिडिया पर अमेरिकी कम्पनियो का कब्जा हो चूका है, बैकिंग ब्यवस्था, उत्पादन और आन्तरिक सुरक्छा जैसे बिभागो पर अमेरिका का कब्ज़ा हो चूका है, सिक्छा, और स्वास्थ्य पर अमेरिकन मिस्नरियो का कब्जा है अब हम अमेरिकी गुलामी से बस एक कदम पीछे है, मित्रो हो सके तो उठो आगे आओ और देस को बचा लो हिन्दुओ यदि आज भी आप आगे नहीं आये तो न हिन्दू बचेगा न हिंदुस्तान <br />
शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,<br />
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<br /></div>
शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-51841754175578592932013-09-08T20:40:00.002+05:302013-09-08T20:40:14.912+05:30सोनिया सीआईए एजेंट है और मनमोहन सिंह अमेरिका का नौकर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
अमेरिका खाड़ी देसों के तेल भण्डारो पर कब्जा करने के बाद दुनिया के सबसे बड़े बाजार भारत पर कब्जा करना चाहता है, <br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEikQ6L2Q7PDNzQ-1Elv9hLhCiEwNnpNHjlVJosHKxYHW8DNvnzGIRs8-84N3TdIdpxrfXGtAz4GH3LkCLlRb7eOuhRpU7XLUBphcP_rli1W79akKLQRi7QQvEY9QlKsjNxjyv_HrrXIxQvO/s1600/603723_409557859098635_1388737575_n.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEikQ6L2Q7PDNzQ-1Elv9hLhCiEwNnpNHjlVJosHKxYHW8DNvnzGIRs8-84N3TdIdpxrfXGtAz4GH3LkCLlRb7eOuhRpU7XLUBphcP_rli1W79akKLQRi7QQvEY9QlKsjNxjyv_HrrXIxQvO/s320/603723_409557859098635_1388737575_n.jpg" width="272" /></a></div>
सोनिया सीआईए एजेंट है और मनमोहन सिंह अमेरिका का नौकर तीनो मिलकर २०१४ के बाद भारत को इस्लामिक देस घोषित करेगे जिसके बिरोध में भारत में गृह युद्ध हो जायेगा और इसी बात का बहाना लेकर सीरिया, इराक, अफगानिस्तान की तर्ज पर अमेरिका भारत पर हमला करेगा और अपने कब्जे में ले लेगा, अमेरिका अगर अपने खुद के वजूद को जिन्दा रखना चाहे तो बस यही एक रास्ता है भारत के बाजार पर कब्ज़ा करना वरना अमेरिका दिवालिया हो जायेगा, इस बात को चीन भली भाति जानता है चूकी चीन को भी भारत के बाजार की सख्त जरुरत है यदि अमेरिका भारत पर कब्जा कर लिया तो चीन अपने आप ५० साल पीछे चला जायेगा यानि सुपर पावर बनने का उसका सपना अधुरा रह जायेगा, चीन अर्थ ब्यवस्था को ३०% तक भारत के बाजारों ने सभाल रखा है, यहाँ चीन किसी भी कीमत पर भारत के बाजार को खोना नहीं चाहेगा, इसलिए अमेरिका को भारत की और बढने से रोकना चाहता है क्युकी इसमें उसका अपना स्वार्थ है, ये बात बिलकुल साफ है की बंगलादेस और पाकिस्तान की औकात नहीं है भारत पर हमला करने की और भारत पर हमला करने की हिमाकत चीन किसी भी कीमत में नहीं करेगा, भारत पर हमला करके चीन खुद को बर्बाद नहीं करेगा, सिर्फ और सिर्फ अमेरिका से ही खतरा है भारत को, मित्रो भारत का दुर्भाग्य देखिये की भारत की कीमत अमेरिका और चीन को तो मालूम है लेकिन खुद भारत के नेत्रित्व को नहीं मालूम, भारत को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी समझ कर अमेरिका और चीन आमने सामने है यहाँ तक की युद्ध भी लड़ने को तैयार है, अमेरिका भारत पर १९४७ के बाद से ही साजिस रचना सुरु कर दिया था चूकी भारत का झुकाव हमेसा रूस के साथ रहा ये बात हमेसा अमेरिका को खलती रही इसी कड़ी में सोनिया के बाप को जो केजीबी (रुसी ख़ुफ़िया एजेंसी) और सीआईए (अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी) का डबल एजेंट था, को गिरफ्तार कर मजबूर करके सोनिया को पहले तो सीआईए का एजेंट बनाया फिर राजीव के सामने परोसा यहाँ तक कुटनीतिक दबाव डाल कर राजीव से सादी का ढोग रचाकर भारत में दाखिल करवाया, अमेरिकी सीआईए की साजिस का पहला सिकार बने लालबहादुर शास्त्री जिसे तासकंद में इंदिरा गाँधी को लालच में फसाकर रहस्यमई मौत दे दी, अब सोनिया के जरिये सीआईए ने अपना अड्डा १० जनपथ को बना लिया, और सोनिया से मिलकर संजय गाँधी को इसलिए मार दिया की संजय की राजनितिक दखलंदाजी बढ़ गई थी वो भी अमेरिका बिरोधी, सोनिया सीआईए मिलकर खालिस्तानी आतंकवादियो से इंदिरा गाँधी को मरवा दिया क्युकी इंदिरा भी रूस से अच्छे रिश्ते की पक्छ्धर थी सो उन्हें रास्ते से हटा कर राजीव गाँधी को प्रधानमंत्री बनाया, यु भी खालिस्तानी आतंकवादियो की पूरी फंडिंग अमेरिका ही पाकिस्तान के जरिये करता था, अब राजीव गाँधी के प्रधानमंत्री बनने पर भी अमेरिका का मकसद पूरा नहीं हुआ राजीव भी सोनिया की हकीकत से वाकिफ थे इसीलिए कुटनीतिक रूप से रूस को दोस्त बनाये रखना ही उचित समझा जिसके लिए उनको भी रास्ते से हटा दिया गया, राजीव गाँधी को मारने की सारी साजिस सीआईए और सोनिया ने बनाया सिर्फ उसे लिट्टे के सदस्यों ने अंजाम तक पहुचाया, सीआईए ने फिर सुरु किया सोनिया को प्रधानमंत्री बनाने की कोशिस लेकिन एसा हो न सका, फिर सीआईए सोनिया को भारत में स्थापित करने के लिए पूरी ताकत झोक दिया, नरसिंघाराव, देवगौड़ा, गुजराल, और चन्द्रसेखर को आगे करके सीआईए सोनिया के जरिये टट्टू की तलास में लगी रही क्युकी राहुल इस योग्य नहीं थे, इसी दौरान कुछ एसे लोगो को भी अपनी जान गवानी पड़ी जो प्रधानमंत्री बनने के सपने पालने की हिमाकत कर बैठे और उनमे प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना भी थी, जैसे राजेस पायलट जिन्हें सीआईए और सोनिया ने एक बेहद संदिग्ध कार दुर्घटना से मरवा दिया, माधवराव सिंधिया जिसे बिलकुल नए प्लेन को क्रेश करवा कर मरवा दिया जिनके प्रधानमंत्री बनने की भरपूर सम्भावना थी सीआईए का मकसद था मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाना जो पहले से ही अमेरिका के नौकर थे, यहाँ आकर सीआईए अमेरिका और सोनिया को अपने साजिस में कामयाबी मिली, आज भारत पर अमेरिका परोक्छ रूप से सासन कर रहा है जैसा की मै उपर लिख चूका हूँ अब भारत की कमान अमेरिका के हाँथ में है जिसे वो छोड़ नहीं सकता अब २०१४ के चुनाव में यदि नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना बनती है तो अमेरिका सीआईए और सोनिया भारत में दंगे करवा देगे गृह युद्ध की आग में झोकेगे और इसी बहाने से हमला करके भारत पर कब्जा कर लेगे, और यदि मोदी के प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना नहीं बनती है तो चुनाव के बाद कांग्रेस का सासन आते ही भारत को इस्लामिक देस बनाने की वकालत करेगी सरकार और सोनिया, हिन्दू एसा किसी भी कीमत पर होने नहीं देगे परिणाम स्वरूप भारत में गृह युद्ध होगा और अमेरिका भारत में शांति स्थापित करने के बहाने अपने कब्जे में ले लेगा, मित्रो इसकी पूरी तैयारी सीआईए अमेरिका और सोनिया ने कर ली है भारत के सारे मिडिया पर अमेरिकी कम्पनियो का कब्जा हो चूका है, बैकिंग ब्यवस्था, उत्पादन और आन्तरिक सुरक्छा जैसे बिभागो पर अमेरिका का कब्ज़ा हो चूका है, सिक्छा, और स्वास्थ्य पर अमेरिकन मिस्नरियो का कब्जा है अब हम अमेरिकी गुलामी से बस एक कदम पीछे है, मित्रो हो सके तो उठो आगे आओ और देस को बचा लो वर्ना <br />
शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-34103409668841763032013-08-13T16:34:00.003+05:302013-08-13T16:34:42.878+05:30अखंड भारत के खंडन का इतिहास <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<header class="entry-header" style="border: 0px; font-family: 'Open Sans', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 12px; line-height: 9.600000381469727px; margin: 0px 0px 1.714285714rem; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><h2 style="border: 0px; clear: both; font-size: 20px; margin: 15px 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;">
<span style="background-color: white; color: red;">अखंड भारत के खंडन का इतिहास</span></h2>
<div class="comments-link" style="border: 0px; font-size: 14px; line-height: 19px; margin: 1.714285714rem 0px 0px; outline: none; padding: 0px; text-align: justify; vertical-align: baseline; width: 625px;">
<span style="background-color: white; font-size: 14px;"><span style="color: red;">(14 अगस्त, अखंड भारत संकल्प दिन)</span></span></div>
</header><div class="entry-content" style="border: 0px; font-family: 'Open Sans', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; text-align: justify; vertical-align: baseline; width: 625px;">
<div style="border: 0px; font-size: 14px; margin-bottom: 1.714285714rem; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline; width: 625px;">
<span style="background-color: white; color: red;">डेढ़ सौ वर्षों में भारत के खंडन से बने 9 नए देश</span></div>
<div style="border: 0px; font-size: 14px; margin-bottom: 1.714285714rem; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline; width: 625px;">
<span style="background-color: white; color: red;">सम्भवत: ही कोई पुस्तक (ग्रन्थ) होगी जिसमें यह वर्णन मिलता हो कि इन आक्रमणकारियों ने अफगानिस्तान, (म्यांमार), श्रीलंका (सिंहलद्वीप), नेपाल, तिब्बत (त्रिविष्टप), भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया। यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि यह भू-प्रदेश कब, कैसे गुलाम हुए और स्वतन्त्र हुए। प्राय: पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। शेष इतिहास मिलता तो है परन्तु चर्चित नहीं है। सन 1947 में विशाल भारतवर्ष का पिछले 2500 वर्षों में 24वां विभाजन है।<br style="outline: none;" />- इन्द्रेश कुमार<br style="outline: none;" />सम्पूर्ण पृथ्वी का जब जल और थल इन दो तत्वों में वर्गीकरण करते हैं, तब सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्दू महासागर कहते हैं, के निवासी हैं। इस जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है। हिमालय पर्वत में विश्व की सर्वाधिक ऊँची चोटी सागरमाथा, गौरीशंकर हैं, जिसे 1835 में अंग्रेज शासकों ने एवरेस्ट नाम देकर इसकी प्राचीनता व पहचान को बदलने का कूटनीतिक षड्यंत्र रचा।<br style="outline: none;" />हम पृथ्वी पर जिस भू-भाग अर्थात् राष्ट्र के निवासी हैं उस भू-भाग का वर्णन अग्नि, वायु एवं विष्णु पुराण में लगभग समानार्थी श्लोक के रूप में है :-<br style="outline: none;" />उत्तरं यत् समुद्रस्य, हिमाद्रश्चैव दक्षिणम्।<br style="outline: none;" />वर्ष तद् भारतं नाम, भारती यत्र संतति।।<br style="outline: none;" />अर्थात् हिन्द महासागर के उत्तर में तथा हिमालय पर्वत के दक्षिण में जो भू-भाग है उसे भारत कहते हैं और वहां के समाज को भारती या भारतीय के नाम से पहचानते हैं।<br style="outline: none;" />वर्तमान में भारत के निवासियों का पिछले सैकडों हजारों वर्षों से हिन्दू नाम भी प्रचलित है और हिन्दुओं के देश को हिन्दुस्तान कहते हैं। विश्व के अनेक देश इसे हिन्द व नागरिक को हिन्दी व हिन्दुस्तानी भी कहते हैं। बृहस्पति आगम में इसके लिए निम्न श्लोक उपलब्ध है :-<br style="outline: none;" />हिमालयं समारम्भ्य यावद् इन्दु सरोवरम।<br style="outline: none;" />तं देव निर्मित देशं, हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।।<br style="outline: none;" />अर्थात् हिमालय से लेकर इन्दु (हिन्द) महासागर तक देव पुरुषों द्वारा निर्मित इस भूगोल को हिन्दुस्तान कहते हैं। इन सब बातों से यह निश्चित हो जाता है कि भारतवर्ष और हिन्दुस्तान एक ही देश के नाम हैं तथा भारतीय और हिन्दू एक ही समाज के नाम हैं।<br style="outline: none;" />जब हम अपने देश (राष्ट्र) का विचार करते हैं तब अपने समाज में प्रचलित एक परम्परा रही है, जिसमें किसी भी शुभ कार्य पर संकल्प पढ़ा अर्थात् लिया जाता है। संकल्प स्वयं में महत्वपूर्ण संकेत करता है। संकल्प में काल की गणना एवं भूखण्ड का विस्तृत वर्णन करते हुए, संकल्प कर्ता कौन है ? इसकी पहचान अंकित करने की परम्परा है। उसके अनुसार संकल्प में भू-खण्ड की चर्चा करते हुए बोलते (दोहराते) हैं कि जम्बूद्वीपे (एशिया) भरतखण्डे (भारतवर्ष) यही शब्द प्रयोग होता है। सम्पूर्ण साहित्य में हमारे राष्ट्र की सीमाओं का उत्तर में हिमालय व दक्षिण में हिन्द महासागर का वर्णन है, परन्तु पूर्व व पश्चिम का स्पष्ट वर्णन नहीं है। परंतु जब श्लोकों की गहराई में जाएं और भूगोल की पुस्तकों अर्थात् एटलस का अध्ययन करें तभी ध्यान में आ जाता है कि श्लोक में पूर्व व पश्चिम दिशा का वर्णन है। जब विश्व (पृथ्वी) का मानचित्र आँखों के सामने आता है तो पूरी तरह से स्पष्ट हो जाता है कि विश्व के भूगोल ग्रन्थों के अनुसार हिमालय के मध्य स्थल ‘कैलाश मानसरोवर’ से पूर्व की ओर जाएं तो वर्तमान का इण्डोनेशिया और पश्चिम की ओर जाएं तो वर्तमान में ईरान देश अर्थात् आर्यान प्रदेश हिमालय के अंतिम छोर हैं। हिमालय 5000 पर्वत शृंखलाओं तथा 6000 नदियों को अपने भीतर समेटे हुए इसी प्रकार से विश्व के सभी भूगोल ग्रन्थ (एटलस) के अनुसार जब हम श्रीलंका (सिंहलद्वीप अथवा सिलोन) या कन्याकुमारी से पूर्व व पश्चिम की ओर प्रस्थान करेंगे या दृष्टि (नजर) डालेंगे तो हिन्द (इन्दु) महासागर इण्डोनेशिया व आर्यान (ईरान) तक ही है। इन मिलन बिन्दुओं के पश्चात् ही दोनों ओर महासागर का नाम बदलता है।<br style="outline: none;" />इस प्रकार से हिमालय, हिन्द महासागर, आर्यान (ईरान) व इण्डोनेशिया के बीच के सम्पूर्ण भू-भाग को आर्यावर्त अथवा भारतवर्ष अथवा हिन्दुस्तान कहा जाता है। प्राचीन भारत की चर्चा अभी तक की, परन्तु जब वर्तमान से 3000 वर्ष पूर्व तक के भारत की चर्चा करते हैं तब यह ध्यान में आता है कि पिछले 2500 वर्ष में जो भी आक्रांत यूनानी (रोमन ग्रीक) यवन, हूण, शक, कुषाण, सिरयन, पुर्तगाली, फेंच, डच, अरब, तुर्क, तातार, मुगल व अंग्रेज आदि आए, इन सबका विश्व के सभी इतिहासकारों ने वर्णन किया। परन्तु सभी पुस्तकों में यह प्राप्त होता है कि आक्रान्ताओं ने भारतवर्ष पर, हिन्दुस्तान पर आक्रमण किया है। सम्भवत: ही कोई पुस्तक (ग्रन्थ) होगी जिसमें यह वर्णन मिलता हो कि इन आक्रमणकारियों ने अफगानिस्तान, (म्यांमार), श्रीलंका (सिंहलद्वीप), नेपाल, तिब्बत (त्रिविष्टप), भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया। यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि यह भू-प्रदेश कब, कैसे गुलाम हुए और स्वतन्त्र हुए। प्राय: पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। शेष इतिहास मिलता तो है परन्तु चर्चित नहीं है। सन 1947 में विशाल भारतवर्ष का पिछले 2500 वर्षों में 24वां विभाजन है। अंग्रेज का 350 वर्ष पूर्व के लगभग ईस्ट इण्डिया कम्पनी के रूप में व्यापारी बनकर भारत आना, फिर धीरे-धीरे शासक बनना और उसके पश्चात् सन 1857 से 1947 तक उनके द्वारा किया गया भारत का 7वां विभाजन है। आगे लेख में सातों विभाजन कब और क्यों किए गए इसका संक्षिप्त वर्णन है।<br style="outline: none;" />सन् 1857 में भारत का क्षेत्रफल 83 लाख वर्ग कि.मी. था। वर्तमान भारत का क्षेत्रफल 33 लाख वर्ग कि.मी. है। पड़ोसी 9 देशों का क्षेत्रफल 50 लाख वर्ग कि.मी. बनता है।<br style="outline: none;" />भारतीयों द्वारा सन् 1857 के अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े गए स्वतन्त्रता संग्राम (जिसे अंग्रेज ने गदर या बगावत कहा) से पूर्व एवं पश्चात् के परिदृश्य पर नजर दौडायेंगे तो ध्यान में आएगा कि ई. सन् 1800 अथवा उससे पूर्व के विश्व के देशों की सूची में वर्तमान भारत के चारों ओर जो आज देश माने जाते हैं उस समय देश नहीं थे। इनमें स्वतन्त्र राजसत्ताएं थीं, परन्तु सांस्कृतिक रूप में ये सभी भारतवर्ष के रूप में एक थे और एक-दूसरे के देश में आवागमन (व्यापार, तीर्थ दर्शन, रिश्ते, पर्यटन आदि) पूर्ण रूप से बे-रोकटोक था। इन राज्यों के विद्वान् व लेखकों ने जो भी लिखा वह विदेशी यात्रियों ने लिखा ऐसा नहीं माना जाता है। इन सभी राज्यों की भाषाएं व बोलियों में अधिकांश शब्द संस्कृत के ही हैं। मान्यताएं व परम्पराएं भी समान हैं। खान-पान, भाषा-बोली, वेशभूषा, संगीत-नृत्य, पूजापाठ, पंथ सम्प्रदाय में विविधताएं होते हुए भी एकता के दर्शन होते थे और होते हैं। जैसे-जैसे इनमें से कुछ राज्यों में भारत इतर यानि विदेशी पंथ (मजहब-रिलीजन) आये तब अनेक संकट व सम्भ्रम निर्माण करने के प्रयास हुए।<br style="outline: none;" />सन 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम से पूर्व-मार्क्स द्वारा अर्थ प्रधान परन्तु आक्रामक व हिंसक विचार के रूप में मार्क्सवाद जिसे लेनिनवाद, माओवाद, साम्यवाद, कम्यूनिज्म शब्दों से भी पहचाना जाता है, यह अपने पांव अनेक देशों में पसार चुका था। वर्तमान रूस व चीन जो अपने चारों ओर के अनेक छोटे-बडे राज्यों को अपने में समाहित कर चुके थे या कर रहे थे, वे कम्यूनिज्म के सबसे बडे व शक्तिशाली देश पहचाने जाते हैं। ये दोनों रूस और चीन विस्तारवादी, साम्राज्यवादी, मानसिकता वाले ही देश हैं। अंग्रेज का भी उस समय लगभग आधी दुनिया पर राज्य माना जाता था और उसकी साम्राज्यवादी, विस्तारवादी, हिंसक व कुटिलता स्पष्ट रूप से सामने थी। <br style="outline: none;" />अफगानिस्तान :- सन् 1834 में प्रकिया प्रारम्भ हुई और 26 मई, 1876 को रूसी व ब्रिटिश शासकों (भारत) के बीच गंडामक संधि के रूप में निर्णय हुआ और अफगानिस्तान नाम से एक बफर स्टेट अर्थात् राजनैतिक देश को दोनों ताकतों के बीच स्थापित किया गया। इससे अफगानिस्तान अर्थात् पठान भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम से अलग हो गए तथा दोनों ताकतों ने एक-दूसरे से अपनी रक्षा का मार्ग भी खोज लिया। परंतु इन दोनों पूंजीवादी व मार्क्सवादी ताकतों में अंदरूनी संघर्ष सदैव बना रहा कि अफगानिस्तान पर नियन्त्रण किसका हो ? अफगानिस्तान (उपगणस्तान) शैव व प्रकृति पूजक मत से बौद्ध मतावलम्बी और फिर विदेशी पंथ इस्लाम मतावलम्बी हो चुका था। बादशाह शाहजहाँ, शेरशाह सूरी व महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में उनके राज्य में कंधार (गंधार) आदि का स्पष्ट वर्णन मिलता है।<br style="outline: none;" />नेपाल :- मध्य हिमालय के 46 से अधिक छोटे-बडे राज्यों को संगठित कर पृथ्वी नारायण शाह नेपाल नाम से एक राज्य का सुगठन कर चुके थे। स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों ने इस क्षेत्र में अंग्रेजों के विरुद्ध लडते समय-समय पर शरण ली थी। अंग्रेज ने विचारपूर्वक 1904 में वर्तमान के बिहार स्थित सुगौली नामक स्थान पर उस समय के पहाड़ी राजाओं के नरेश से संधी कर नेपाल को एक स्वतन्त्र अस्तित्व प्रदान कर अपना रेजीडेंट बैठा दिया। इस प्रकार से नेपाल स्वतन्त्र राज्य होने पर भी अंग्रेज के अप्रत्यक्ष अधीन ही था। रेजीडेंट के बिना महाराजा को कुछ भी खरीदने तक की अनुमति नहीं थी। इस कारण राजा-महाराजाओं में जहां आन्तरिक तनाव था, वहीं अंग्रेजी नियन्त्रण से कुछ में घोर बेचैनी भी थी। महाराजा त्रिभुवन सिंह ने 1953 में भारतीय सरकार को निवेदन किया था कि आप नेपाल को अन्य राज्यों की तरह भारत में मिलाएं। परन्तु सन 1955 में रूस द्वारा दो बार वीटो का उपयोग कर यह कहने के बावजूद कि नेपाल तो भारत का ही अंग है, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने पुरजोर वकालत कर नेपाल को स्वतन्त्र देश के रूप में यू.एन.ओ. में मान्यता दिलवाई। आज भी नेपाल व भारतीय एक-दूसरे के देश में विदेशी नहीं हैं और यह भी सत्य है कि नेपाल को वर्तमान भारत के साथ ही सन् 1947 में ही स्वतन्त्रता प्राप्त हुई। नेपाल 1947 में ही अंग्रेजी रेजीडेंसी से मुक्त हुआ।<br style="outline: none;" />भूटान :- सन 1906 में सिक्किम व भूटान जो कि वैदिक-बौद्ध मान्यताओं के मिले-जुले समाज के छोटे भू-भाग थे इन्हें स्वतन्त्रता संग्राम से लगकर अपने प्रत्यक्ष नियन्त्रण से रेजीडेंट के माध्यम से रखकर चीन के विस्तारवाद पर अंग्रेज ने नजर रखना प्रारम्भ किया। ये क्षेत्र(राज्य) भी स्वतन्त्रता सेनानियों एवं समय-समय पर हिन्दुस्तान के उत्तर दक्षिण व पश्चिम के भारतीय सिपाहियों व समाज के नाना प्रकार के विदेशी हमलावरों से युद्धों में पराजित होने पर शरणस्थली के रूप में काम आते थे। दूसरा ज्ञान (सत्य, अहिंसा, करुणा) के उपासक वे क्षेत्र खनिज व वनस्पति की दृष्टि से महत्वपूर्ण थे। तीसरा यहां के जातीय जीवन को धीरे-धीरे मुख्य भारतीय (हिन्दू) धारा से अलग कर मतान्तरित किया जा सकेगा। हम जानते हैं कि सन 1836 में उत्तर भारत में चर्च ने अत्यधिक विस्तार कर नये आयामों की रचना कर डाली थी। सुदूर हिमालयवासियों में ईसाईयत जोर पकड़ रही थी।<br style="outline: none;" />तिब्बत :- सन 1914 में तिब्बत को केवल एक पार्टी मानते हुए चीनी साम्राज्यवादी सरकार व भारत के काफी बड़े भू-भाग पर कब्जा जमाए अंग्रेज शासकों के बीच एक समझौता हुआ। भारत और चीन के बीच तिब्बत को एक बफर स्टेट के रूप में मान्यता देते हुए हिमालय को विभाजित करने के लिए मैकमोहन रेखा निर्माण करने का निर्णय हुआ। हिमालय सदैव से ज्ञान-विज्ञान के शोध व चिन्तन का केंद्र रहा है। हिमालय को बांटना और तिब्बत व भारतीय को अलग करना यह षड्यंत्र रचा गया। चीनी और अंग्रेज शासकों ने एक-दूसरों के विस्तारवादी, साम्राज्यवादी मनसूबों को लगाम लगाने के लिए कूटनीतिक खेल खेला। अंग्रेज ईसाईयत हिमालय में कैसे अपने पांव जमायेगी, यह सोच रहा था परन्तु समय ने कुछ ऐसी करवट ली कि प्रथम व द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् अंग्रेज को एशिया और विशेष रूप से भारत छोड़कर जाना पड़ा। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने समय की नाजकता को पहचानने में भूल कर दी और इसी कारण तिब्बत को सन 1949 से 1959 के बीच चीन हड़पने में सफल हो गया। पंचशील समझौते की समाप्ति के साथ ही अक्टूबर सन 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर हजारों वर्ग कि.मी. अक्साई चीन (लद्दाख यानि जम्मू-कश्मीर) व अरुणाचल आदि को कब्जे में कर लिया। तिब्बत को चीन का भू-भाग मानने का निर्णय पं. नेहरू (तत्कालीन प्रधानमंत्री) की भारी ऐतिहासिक भूल हुई। आज भी तिब्बत को चीन का भू-भाग मानना और चीन पर तिब्बत की निर्वासित सरकार से बात कर मामले को सुलझाने हेतु दबाव न डालना बड़ी कमजोरी व भूल है। नवम्बर 1962 में भारत के दोनों सदनों के संसद सदस्यों ने एकजुट होकर चीन से एक-एक इंच जमीन खाली करवाने का संकल्प लिया। आश्चर्य है भारतीय नेतृत्व (सभी दल) उस संकल्प को शायद भूल ही बैठा है। हिमालय परिवार नाम के आन्दोलन ने उस दिवस को मनाना प्रारम्भ किया है ताकि जनता नेताओं द्वारा लिए गए संकल्प को याद करवाएं।<br style="outline: none;" />श्रीलंका व म्यांमार :- अंग्रेज प्रथम महायुद्ध (1914 से 1919) जीतने में सफल तो हुए परन्तु भारतीय सैनिक शक्ति के आधार पर। धीरे-धीरे स्वतन्त्रता प्राप्ति हेतु क्रान्तिकारियों के रूप में भयानक ज्वाला अंग्रेज को भस्म करने लगी थी। सत्याग्रह, स्वदेशी के मार्ग से आम जनता अंग्रेज के कुशासन के विरुद्ध खडी हो रही थी। द्वितीय महायुद्ध के बादल भी मण्डराने लगे थे। सन् 1935 व 1937 में ईसाई ताकतों को लगा कि उन्हें कभी भी भारत व एशिया से बोरिया-बिस्तर बांधना पड़ सकता है। उनकी अपनी स्थलीय शक्ति मजबूत नहीं है और न ही वे दूर से नभ व थल से वर्चस्व को बना सकते हैं। इसलिए जल मार्ग पर उनका कब्जा होना चाहिए तथा जल के किनारों पर भी उनके हितैषी राज्य होने चाहिए। समुद्र में अपना नौसैनिक बेड़ा बैठाने, उसके समर्थक राज्य स्थापित करने तथा स्वतन्त्रता संग्राम से उन भू-भागों व समाजों को अलग करने हेतु सन 1965 में श्रीलंका व सन 1937 में म्यांमार को अलग राजनीतिक देश की मान्यता दी। ये दोनों देश इन्हीं वर्षों को अपना स्वतन्त्रता दिवस मानते हैं। म्यांमार व श्रीलंका का अलग अस्तित्व प्रदान करते ही मतान्तरण का पूरा ताना-बाना जो पहले तैयार था उसे अधिक विस्तार व सुदृढ़ता भी इन देशों में प्रदान की गई। ये दोनों देश वैदिक, बौद्ध धार्मिक परम्पराओं को मानने वाले हैं। म्यांमार के अनेक स्थान विशेष रूप से रंगून का अंग्रेज द्वारा देशभक्त भारतीयों को कालेपानी की सजा देने के लिए जेल के रूप में भी उपयोग होता रहा है।<br style="outline: none;" />पाकिस्तान, बांग्लादेश व मालद्वीप :- 1905 का लॉर्ड कर्जन का बंग-भंग का खेल 1911 में बुरी तरह से विफल हो गया। परन्तु इस हिन्दु मुस्लिम एकता को तोड़ने हेतु अंग्रेज ने आगा खां के नेतृत्व में सन 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना कर मुस्लिम कौम का बीज बोया। पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश जनजातीय जीवन को ईसाई के रूप में मतान्तरित किया जा रहा था। ईसाई बने भारतीयों को स्वतन्त्रता संग्राम से पूर्णत: अलग रखा गया। पूरे भारत में एक भी ईसाई सम्मेलन में स्वतन्त्रता के पक्ष में प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। दूसरी ओर मुसलमान तुम एक अलग कौम हो, का बीज बोते हुए सन् 1940 में मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में पाकिस्तान की मांग खड़ी कर देश को नफरत की आग में झोंक दिया। अंग्रेजीयत के दो एजेण्ट क्रमश: पं. नेहरू व मो. अली जिन्ना दोनों ही घोर महत्वाकांक्षी व जिद्दी (कट्टर) स्वभाव के थे। अंग्रेजों ने इन दोनों का उपयोग गुलाम भारत के विभाजन हेतु किया। द्वितीय महायुद्ध में अंग्रेज बुरी तरह से आर्थिक, राजनीतिक दृष्टि से इंग्लैण्ड में तथा अन्य देशों में टूट चुके थे। उन्हें लगता था कि अब वापस जाना ही पड़ेगा और अंग्रेजी साम्राज्य में कभी न अस्त होने वाला सूर्य अब अस्त भी हुआ करेगा। सम्पूर्ण भारत देशभक्ति के स्वरों के साथ सड़क पर आ चुका था। संघ, सुभाष, सेना व समाज सब अपने-अपने ढंग से स्वतन्त्रता की अलख जगा रहे थे। सन 1948 तक प्रतीक्षा न करते हुए 3 जून, 1947 को अंग्रेज अधीन भारत के विभाजन व स्वतन्त्रता की घोषणा औपचारिक रूप से कर दी गयी। यहां यह बात ध्यान में रखने वाली है कि उस समय भी भारत की 562 ऐसी छोटी-बड़ी रियासतें (राज्य) थीं, जो अंग्रेज के अधीन नहीं थीं। इनमें से सात ने आज के पाकिस्तान में तथा 555 ने जम्मू-कश्मीर सहित आज के भारत में विलय किया। भयानक रक्तपात व जनसंख्या की अदला-बदली के बीच 14, 15 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि में पश्चिम एवं पूर्व पाकिस्तान बनाकर अंग्रेज ने भारत का 7वां विभाजन कर डाला। आज ये दो भाग पाकिस्तान व बांग्लादेश के नाम से जाने जाते हैं। भारत के दक्षिण में सुदूर समुद्र में मालद्वीप (छोटे-छोटे टापुओं का समूह) सन 1947 में स्वतन्त्र देश बन गया, जिसकी चर्चा व जानकारी होना अत्यन्त महत्वपूर्ण व उपयोगी है। यह बिना किसी आन्दोलन व मांग के हुआ है।<br style="outline: none;" />भारत का वर्तमान परिदृश्य :- सन 1947 के पश्चात् फेंच के कब्जे से पाण्डिचेरी, पुर्तगीज के कब्जे से गोवा देव- दमन तथा अमेरिका के कब्जें में जाते हुए सिक्किम को मुक्त करवाया है। आज पाकिस्तान में पख्तून, बलूच, सिंधी, बाल्टीस्थानी (गिलगित मिलाकर), कश्मीरी मुजफ्फरावादी व मुहाजिर नाम से इस्लामाबाद (लाहौर) से आजादी के आन्दोलन चल रहे हैं। पाकिस्तान की 60 प्रतिशत से अधिक जमीन तथा 30 प्रतिशत से अधिक जनता पाकिस्तान से ही आजादी चाहती है। बांग्लादेश में बढ़ती जनसंख्या का विस्फोट, चटग्राम आजादी आन्दोलन उसे जर्जर कर रहा है। शिया-सुन्नी फसाद, अहमदिया व वोहरा (खोजा-मल्कि) पर होते जुल्म मजहबी टकराव को बोल रहे हैं। हिन्दुओं की सुरक्षा तो खतरे में ही है। विश्वभर का एक भी मुस्लिम देश इन दोनों देशों के मुसलमानों से थोडी भी सहानुभूति नहीं रखता। अगर सहानुभूति होती तो क्या इन देशों के 3 करोड़ से अधिक मुस्लिम (विशेष रूप से बांग्लादेशीय) दर-दर भटकते। ये मुस्लिम देश अपने किसी भी सम्मेलन में इनकी मदद हेतु आपस में कुछ-कुछ लाख बांटकर सम्मानपूर्वक बसा सकने का निर्णय ले सकते थे। परन्तु कोई भी मुस्लिम देश आजतक बांग्लादेशी मुसलमान की मदद में आगे नहीं आया। इन घुसपैठियों के कारण भारतीय मुसलमान अधिकाधिक गरीब व पिछड़ते जा रहा है क्योंकि इनके विकास की योजनाओं पर खर्च होने वाले धन व नौकरियों पर ही तो घुसपैठियों का कब्जा होता जा रहा है। मानवतावादी वेष को धारण कराने वाले देशों में से भी कोई आगे नहीं आया कि इन घुसपैठियों यानि दरबदर होते नागरिकों को अपने यहां बसाता या अन्य किसी प्रकार की सहायता देता। इन दर-बदर होते नागरिकों के आई.एस.आई. के एजेण्ट बनकर काम करने के कारण ही भारत के करोडों मुस्लिमों को भी सन्देह के घेरे में खड़ा कर दिया है। आतंकवाद व माओवाद लगभग 200 के समूहों के रूप में भारत व भारतीयों को डस रहे हैं। लाखों उजड़ चुके हैं, हजारों विकलांग हैं और हजारों ही मारे जा चुके हैं। विदेशी ताकतें हथियार, प्रशिक्षण व जेहादी, मानसिकता देकर उन प्रदेश के लोगों के द्वारा वहां के ही लोगों को मरवा कर उन्हीं प्रदेशों को बर्बाद करवा रही हैं। इस विदेशी षड्यन्त्र को भी समझना आवश्यक है।<br style="outline: none;" />सांस्कृतिक व आर्थिक समूह की रचना आवश्यक :- आवश्यकता है वर्तमान भारत व पड़ोसी भारतखण्डी देशों को एकजुट होकर शक्तिशाली बन खुशहाली अर्थात विकास के मार्ग में चलने की। इसलिए अंग्रेज अर्थात् ईसाईयत द्वारा रचे गये षड्यन्त्र को ये सभी देश (राज्य) समझें और साझा व्यापार व एक करन्सी निर्माण कर नए होते इस क्षेत्र के युग का सूत्रपात करें। इन देशों 10 का समूह बनाने से प्रत्येक देश का भय का वातावरण समाप्त हो जायेगा तथा प्रत्येक देश का प्रतिवर्ष के सैंकड़ों-हजारों-करोड़ों रुपये रक्षा व्यय के रूप में बचेंगे जो कि विकास पर खर्च किए जा सकेंगे। इससे सभी सुरक्षित रहेंगे व विकसित होंगे।<br style="outline: none;" />- लेखक मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक हैं।</span></div>
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RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-34192605956741662072013-08-13T16:30:00.003+05:302013-08-13T16:30:37.680+05:30अखंड भारत के खंडन का इतिहास <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<header class="entry-header" style="background-color: #11100b; border: 0px; color: #444444; font-family: 'Open Sans', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 12px; line-height: 9.600000381469727px; margin: 0px 0px 1.714285714rem; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><h2 style="border: 0px; clear: both; color: #c5953b; font-size: 20px; margin: 15px 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;">
अखंड भारत के खंडन का इतिहास</h2>
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</header><div class="entry-content" style="background-color: #11100b; border: 0px; color: #fafad3; font-family: 'Open Sans', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; text-align: justify; vertical-align: baseline; width: 625px;">
<div style="border: 0px; font-size: 14px; margin-bottom: 1.714285714rem; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline; width: 625px;">
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<a href="http://sanghmarg.com/wp-content/uploads/2013/08/255_10_58_26_Akhand-Bharat_H@@IGHT_501_W@@IDTH_608.jpg" style="border: 0px; color: #f4ac2e; font-size: 13px; margin: 0px 0px 5px; outline: none; padding: 0px; text-decoration: none; vertical-align: baseline;"><img alt="255_10_58_26_Akhand-Bharat_H@@IGHT_501_W@@IDTH_608" class="alignnone size-full wp-image-1644" height="501" src="http://sanghmarg.com/wp-content/uploads/2013/08/255_10_58_26_Akhand-Bharat_H@@IGHT_501_W@@IDTH_608.jpg" style="border-bottom-left-radius: 3px; border-bottom-right-radius: 3px; border-top-left-radius: 3px; border-top-right-radius: 3px; border: none; box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.2) 0px 1px 4px; height: auto; margin: 0px; max-width: 100%; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;" width="608" /></a></div>
<div style="border: 0px; font-size: 14px; margin-bottom: 1.714285714rem; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline; width: 625px;">
(14 अगस्त, अखंड भारत संकल्प दिन)</div>
<div style="border: 0px; font-size: 14px; margin-bottom: 1.714285714rem; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline; width: 625px;">
डेढ़ सौ वर्षों में भारत के खंडन से बने 9 नए देश</div>
<div style="border: 0px; font-size: 14px; margin-bottom: 1.714285714rem; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline; width: 625px;">
सम्भवत: ही कोई पुस्तक (ग्रन्थ) होगी जिसमें यह वर्णन मिलता हो कि इन आक्रमणकारियों ने अफगानिस्तान, (म्यांमार), श्रीलंका (सिंहलद्वीप), नेपाल, तिब्बत (त्रिविष्टप), भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया। यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि यह भू-प्रदेश कब, कैसे गुलाम हुए और स्वतन्त्र हुए। प्राय: पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। शेष इतिहास मिलता तो है परन्तु चर्चित नहीं है। सन 1947 में विशाल भारतवर्ष का पिछले 2500 वर्षों में 24वां विभाजन है।<br style="outline: none;" />- इन्द्रेश कुमार<br style="outline: none;" />सम्पूर्ण पृथ्वी का जब जल और थल इन दो तत्वों में वर्गीकरण करते हैं, तब सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्दू महासागर कहते हैं, के निवासी हैं। इस जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है। हिमालय पर्वत में विश्व की सर्वाधिक ऊँची चोटी सागरमाथा, गौरीशंकर हैं, जिसे 1835 में अंग्रेज शासकों ने एवरेस्ट नाम देकर इसकी प्राचीनता व पहचान को बदलने का कूटनीतिक षड्यंत्र रचा।<br style="outline: none;" />हम पृथ्वी पर जिस भू-भाग अर्थात् राष्ट्र के निवासी हैं उस भू-भाग का वर्णन अग्नि, वायु एवं विष्णु पुराण में लगभग समानार्थी श्लोक के रूप में है :-<br style="outline: none;" />उत्तरं यत् समुद्रस्य, हिमाद्रश्चैव दक्षिणम्।<br style="outline: none;" />वर्ष तद् भारतं नाम, भारती यत्र संतति।।<br style="outline: none;" />अर्थात् हिन्द महासागर के उत्तर में तथा हिमालय पर्वत के दक्षिण में जो भू-भाग है उसे भारत कहते हैं और वहां के समाज को भारती या भारतीय के नाम से पहचानते हैं।<br style="outline: none;" />वर्तमान में भारत के निवासियों का पिछले सैकडों हजारों वर्षों से हिन्दू नाम भी प्रचलित है और हिन्दुओं के देश को हिन्दुस्तान कहते हैं। विश्व के अनेक देश इसे हिन्द व नागरिक को हिन्दी व हिन्दुस्तानी भी कहते हैं। बृहस्पति आगम में इसके लिए निम्न श्लोक उपलब्ध है :-<br style="outline: none;" />हिमालयं समारम्भ्य यावद् इन्दु सरोवरम।<br style="outline: none;" />तं देव निर्मित देशं, हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।।<br style="outline: none;" />अर्थात् हिमालय से लेकर इन्दु (हिन्द) महासागर तक देव पुरुषों द्वारा निर्मित इस भूगोल को हिन्दुस्तान कहते हैं। इन सब बातों से यह निश्चित हो जाता है कि भारतवर्ष और हिन्दुस्तान एक ही देश के नाम हैं तथा भारतीय और हिन्दू एक ही समाज के नाम हैं।<br style="outline: none;" />जब हम अपने देश (राष्ट्र) का विचार करते हैं तब अपने समाज में प्रचलित एक परम्परा रही है, जिसमें किसी भी शुभ कार्य पर संकल्प पढ़ा अर्थात् लिया जाता है। संकल्प स्वयं में महत्वपूर्ण संकेत करता है। संकल्प में काल की गणना एवं भूखण्ड का विस्तृत वर्णन करते हुए, संकल्प कर्ता कौन है ? इसकी पहचान अंकित करने की परम्परा है। उसके अनुसार संकल्प में भू-खण्ड की चर्चा करते हुए बोलते (दोहराते) हैं कि जम्बूद्वीपे (एशिया) भरतखण्डे (भारतवर्ष) यही शब्द प्रयोग होता है। सम्पूर्ण साहित्य में हमारे राष्ट्र की सीमाओं का उत्तर में हिमालय व दक्षिण में हिन्द महासागर का वर्णन है, परन्तु पूर्व व पश्चिम का स्पष्ट वर्णन नहीं है। परंतु जब श्लोकों की गहराई में जाएं और भूगोल की पुस्तकों अर्थात् एटलस का अध्ययन करें तभी ध्यान में आ जाता है कि श्लोक में पूर्व व पश्चिम दिशा का वर्णन है। जब विश्व (पृथ्वी) का मानचित्र आँखों के सामने आता है तो पूरी तरह से स्पष्ट हो जाता है कि विश्व के भूगोल ग्रन्थों के अनुसार हिमालय के मध्य स्थल ‘कैलाश मानसरोवर’ से पूर्व की ओर जाएं तो वर्तमान का इण्डोनेशिया और पश्चिम की ओर जाएं तो वर्तमान में ईरान देश अर्थात् आर्यान प्रदेश हिमालय के अंतिम छोर हैं। हिमालय 5000 पर्वत शृंखलाओं तथा 6000 नदियों को अपने भीतर समेटे हुए इसी प्रकार से विश्व के सभी भूगोल ग्रन्थ (एटलस) के अनुसार जब हम श्रीलंका (सिंहलद्वीप अथवा सिलोन) या कन्याकुमारी से पूर्व व पश्चिम की ओर प्रस्थान करेंगे या दृष्टि (नजर) डालेंगे तो हिन्द (इन्दु) महासागर इण्डोनेशिया व आर्यान (ईरान) तक ही है। इन मिलन बिन्दुओं के पश्चात् ही दोनों ओर महासागर का नाम बदलता है।<br style="outline: none;" />इस प्रकार से हिमालय, हिन्द महासागर, आर्यान (ईरान) व इण्डोनेशिया के बीच के सम्पूर्ण भू-भाग को आर्यावर्त अथवा भारतवर्ष अथवा हिन्दुस्तान कहा जाता है। प्राचीन भारत की चर्चा अभी तक की, परन्तु जब वर्तमान से 3000 वर्ष पूर्व तक के भारत की चर्चा करते हैं तब यह ध्यान में आता है कि पिछले 2500 वर्ष में जो भी आक्रांत यूनानी (रोमन ग्रीक) यवन, हूण, शक, कुषाण, सिरयन, पुर्तगाली, फेंच, डच, अरब, तुर्क, तातार, मुगल व अंग्रेज आदि आए, इन सबका विश्व के सभी इतिहासकारों ने वर्णन किया। परन्तु सभी पुस्तकों में यह प्राप्त होता है कि आक्रान्ताओं ने भारतवर्ष पर, हिन्दुस्तान पर आक्रमण किया है। सम्भवत: ही कोई पुस्तक (ग्रन्थ) होगी जिसमें यह वर्णन मिलता हो कि इन आक्रमणकारियों ने अफगानिस्तान, (म्यांमार), श्रीलंका (सिंहलद्वीप), नेपाल, तिब्बत (त्रिविष्टप), भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया। यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि यह भू-प्रदेश कब, कैसे गुलाम हुए और स्वतन्त्र हुए। प्राय: पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। शेष इतिहास मिलता तो है परन्तु चर्चित नहीं है। सन 1947 में विशाल भारतवर्ष का पिछले 2500 वर्षों में 24वां विभाजन है। अंग्रेज का 350 वर्ष पूर्व के लगभग ईस्ट इण्डिया कम्पनी के रूप में व्यापारी बनकर भारत आना, फिर धीरे-धीरे शासक बनना और उसके पश्चात् सन 1857 से 1947 तक उनके द्वारा किया गया भारत का 7वां विभाजन है। आगे लेख में सातों विभाजन कब और क्यों किए गए इसका संक्षिप्त वर्णन है।<br style="outline: none;" />सन् 1857 में भारत का क्षेत्रफल 83 लाख वर्ग कि.मी. था। वर्तमान भारत का क्षेत्रफल 33 लाख वर्ग कि.मी. है। पड़ोसी 9 देशों का क्षेत्रफल 50 लाख वर्ग कि.मी. बनता है।<br style="outline: none;" />भारतीयों द्वारा सन् 1857 के अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े गए स्वतन्त्रता संग्राम (जिसे अंग्रेज ने गदर या बगावत कहा) से पूर्व एवं पश्चात् के परिदृश्य पर नजर दौडायेंगे तो ध्यान में आएगा कि ई. सन् 1800 अथवा उससे पूर्व के विश्व के देशों की सूची में वर्तमान भारत के चारों ओर जो आज देश माने जाते हैं उस समय देश नहीं थे। इनमें स्वतन्त्र राजसत्ताएं थीं, परन्तु सांस्कृतिक रूप में ये सभी भारतवर्ष के रूप में एक थे और एक-दूसरे के देश में आवागमन (व्यापार, तीर्थ दर्शन, रिश्ते, पर्यटन आदि) पूर्ण रूप से बे-रोकटोक था। इन राज्यों के विद्वान् व लेखकों ने जो भी लिखा वह विदेशी यात्रियों ने लिखा ऐसा नहीं माना जाता है। इन सभी राज्यों की भाषाएं व बोलियों में अधिकांश शब्द संस्कृत के ही हैं। मान्यताएं व परम्पराएं भी समान हैं। खान-पान, भाषा-बोली, वेशभूषा, संगीत-नृत्य, पूजापाठ, पंथ सम्प्रदाय में विविधताएं होते हुए भी एकता के दर्शन होते थे और होते हैं। जैसे-जैसे इनमें से कुछ राज्यों में भारत इतर यानि विदेशी पंथ (मजहब-रिलीजन) आये तब अनेक संकट व सम्भ्रम निर्माण करने के प्रयास हुए।<br style="outline: none;" />सन 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम से पूर्व-मार्क्स द्वारा अर्थ प्रधान परन्तु आक्रामक व हिंसक विचार के रूप में मार्क्सवाद जिसे लेनिनवाद, माओवाद, साम्यवाद, कम्यूनिज्म शब्दों से भी पहचाना जाता है, यह अपने पांव अनेक देशों में पसार चुका था। वर्तमान रूस व चीन जो अपने चारों ओर के अनेक छोटे-बडे राज्यों को अपने में समाहित कर चुके थे या कर रहे थे, वे कम्यूनिज्म के सबसे बडे व शक्तिशाली देश पहचाने जाते हैं। ये दोनों रूस और चीन विस्तारवादी, साम्राज्यवादी, मानसिकता वाले ही देश हैं। अंग्रेज का भी उस समय लगभग आधी दुनिया पर राज्य माना जाता था और उसकी साम्राज्यवादी, विस्तारवादी, हिंसक व कुटिलता स्पष्ट रूप से सामने थी। <br style="outline: none;" />अफगानिस्तान :- सन् 1834 में प्रकिया प्रारम्भ हुई और 26 मई, 1876 को रूसी व ब्रिटिश शासकों (भारत) के बीच गंडामक संधि के रूप में निर्णय हुआ और अफगानिस्तान नाम से एक बफर स्टेट अर्थात् राजनैतिक देश को दोनों ताकतों के बीच स्थापित किया गया। इससे अफगानिस्तान अर्थात् पठान भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम से अलग हो गए तथा दोनों ताकतों ने एक-दूसरे से अपनी रक्षा का मार्ग भी खोज लिया। परंतु इन दोनों पूंजीवादी व मार्क्सवादी ताकतों में अंदरूनी संघर्ष सदैव बना रहा कि अफगानिस्तान पर नियन्त्रण किसका हो ? अफगानिस्तान (उपगणस्तान) शैव व प्रकृति पूजक मत से बौद्ध मतावलम्बी और फिर विदेशी पंथ इस्लाम मतावलम्बी हो चुका था। बादशाह शाहजहाँ, शेरशाह सूरी व महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में उनके राज्य में कंधार (गंधार) आदि का स्पष्ट वर्णन मिलता है।<br style="outline: none;" />नेपाल :- मध्य हिमालय के 46 से अधिक छोटे-बडे राज्यों को संगठित कर पृथ्वी नारायण शाह नेपाल नाम से एक राज्य का सुगठन कर चुके थे। स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों ने इस क्षेत्र में अंग्रेजों के विरुद्ध लडते समय-समय पर शरण ली थी। अंग्रेज ने विचारपूर्वक 1904 में वर्तमान के बिहार स्थित सुगौली नामक स्थान पर उस समय के पहाड़ी राजाओं के नरेश से संधी कर नेपाल को एक स्वतन्त्र अस्तित्व प्रदान कर अपना रेजीडेंट बैठा दिया। इस प्रकार से नेपाल स्वतन्त्र राज्य होने पर भी अंग्रेज के अप्रत्यक्ष अधीन ही था। रेजीडेंट के बिना महाराजा को कुछ भी खरीदने तक की अनुमति नहीं थी। इस कारण राजा-महाराजाओं में जहां आन्तरिक तनाव था, वहीं अंग्रेजी नियन्त्रण से कुछ में घोर बेचैनी भी थी। महाराजा त्रिभुवन सिंह ने 1953 में भारतीय सरकार को निवेदन किया था कि आप नेपाल को अन्य राज्यों की तरह भारत में मिलाएं। परन्तु सन 1955 में रूस द्वारा दो बार वीटो का उपयोग कर यह कहने के बावजूद कि नेपाल तो भारत का ही अंग है, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने पुरजोर वकालत कर नेपाल को स्वतन्त्र देश के रूप में यू.एन.ओ. में मान्यता दिलवाई। आज भी नेपाल व भारतीय एक-दूसरे के देश में विदेशी नहीं हैं और यह भी सत्य है कि नेपाल को वर्तमान भारत के साथ ही सन् 1947 में ही स्वतन्त्रता प्राप्त हुई। नेपाल 1947 में ही अंग्रेजी रेजीडेंसी से मुक्त हुआ।<br style="outline: none;" />भूटान :- सन 1906 में सिक्किम व भूटान जो कि वैदिक-बौद्ध मान्यताओं के मिले-जुले समाज के छोटे भू-भाग थे इन्हें स्वतन्त्रता संग्राम से लगकर अपने प्रत्यक्ष नियन्त्रण से रेजीडेंट के माध्यम से रखकर चीन के विस्तारवाद पर अंग्रेज ने नजर रखना प्रारम्भ किया। ये क्षेत्र(राज्य) भी स्वतन्त्रता सेनानियों एवं समय-समय पर हिन्दुस्तान के उत्तर दक्षिण व पश्चिम के भारतीय सिपाहियों व समाज के नाना प्रकार के विदेशी हमलावरों से युद्धों में पराजित होने पर शरणस्थली के रूप में काम आते थे। दूसरा ज्ञान (सत्य, अहिंसा, करुणा) के उपासक वे क्षेत्र खनिज व वनस्पति की दृष्टि से महत्वपूर्ण थे। तीसरा यहां के जातीय जीवन को धीरे-धीरे मुख्य भारतीय (हिन्दू) धारा से अलग कर मतान्तरित किया जा सकेगा। हम जानते हैं कि सन 1836 में उत्तर भारत में चर्च ने अत्यधिक विस्तार कर नये आयामों की रचना कर डाली थी। सुदूर हिमालयवासियों में ईसाईयत जोर पकड़ रही थी।<br style="outline: none;" />तिब्बत :- सन 1914 में तिब्बत को केवल एक पार्टी मानते हुए चीनी साम्राज्यवादी सरकार व भारत के काफी बड़े भू-भाग पर कब्जा जमाए अंग्रेज शासकों के बीच एक समझौता हुआ। भारत और चीन के बीच तिब्बत को एक बफर स्टेट के रूप में मान्यता देते हुए हिमालय को विभाजित करने के लिए मैकमोहन रेखा निर्माण करने का निर्णय हुआ। हिमालय सदैव से ज्ञान-विज्ञान के शोध व चिन्तन का केंद्र रहा है। हिमालय को बांटना और तिब्बत व भारतीय को अलग करना यह षड्यंत्र रचा गया। चीनी और अंग्रेज शासकों ने एक-दूसरों के विस्तारवादी, साम्राज्यवादी मनसूबों को लगाम लगाने के लिए कूटनीतिक खेल खेला। अंग्रेज ईसाईयत हिमालय में कैसे अपने पांव जमायेगी, यह सोच रहा था परन्तु समय ने कुछ ऐसी करवट ली कि प्रथम व द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् अंग्रेज को एशिया और विशेष रूप से भारत छोड़कर जाना पड़ा। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने समय की नाजकता को पहचानने में भूल कर दी और इसी कारण तिब्बत को सन 1949 से 1959 के बीच चीन हड़पने में सफल हो गया। पंचशील समझौते की समाप्ति के साथ ही अक्टूबर सन 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर हजारों वर्ग कि.मी. अक्साई चीन (लद्दाख यानि जम्मू-कश्मीर) व अरुणाचल आदि को कब्जे में कर लिया। तिब्बत को चीन का भू-भाग मानने का निर्णय पं. नेहरू (तत्कालीन प्रधानमंत्री) की भारी ऐतिहासिक भूल हुई। आज भी तिब्बत को चीन का भू-भाग मानना और चीन पर तिब्बत की निर्वासित सरकार से बात कर मामले को सुलझाने हेतु दबाव न डालना बड़ी कमजोरी व भूल है। नवम्बर 1962 में भारत के दोनों सदनों के संसद सदस्यों ने एकजुट होकर चीन से एक-एक इंच जमीन खाली करवाने का संकल्प लिया। आश्चर्य है भारतीय नेतृत्व (सभी दल) उस संकल्प को शायद भूल ही बैठा है। हिमालय परिवार नाम के आन्दोलन ने उस दिवस को मनाना प्रारम्भ किया है ताकि जनता नेताओं द्वारा लिए गए संकल्प को याद करवाएं।<br style="outline: none;" />श्रीलंका व म्यांमार :- अंग्रेज प्रथम महायुद्ध (1914 से 1919) जीतने में सफल तो हुए परन्तु भारतीय सैनिक शक्ति के आधार पर। धीरे-धीरे स्वतन्त्रता प्राप्ति हेतु क्रान्तिकारियों के रूप में भयानक ज्वाला अंग्रेज को भस्म करने लगी थी। सत्याग्रह, स्वदेशी के मार्ग से आम जनता अंग्रेज के कुशासन के विरुद्ध खडी हो रही थी। द्वितीय महायुद्ध के बादल भी मण्डराने लगे थे। सन् 1935 व 1937 में ईसाई ताकतों को लगा कि उन्हें कभी भी भारत व एशिया से बोरिया-बिस्तर बांधना पड़ सकता है। उनकी अपनी स्थलीय शक्ति मजबूत नहीं है और न ही वे दूर से नभ व थल से वर्चस्व को बना सकते हैं। इसलिए जल मार्ग पर उनका कब्जा होना चाहिए तथा जल के किनारों पर भी उनके हितैषी राज्य होने चाहिए। समुद्र में अपना नौसैनिक बेड़ा बैठाने, उसके समर्थक राज्य स्थापित करने तथा स्वतन्त्रता संग्राम से उन भू-भागों व समाजों को अलग करने हेतु सन 1965 में श्रीलंका व सन 1937 में म्यांमार को अलग राजनीतिक देश की मान्यता दी। ये दोनों देश इन्हीं वर्षों को अपना स्वतन्त्रता दिवस मानते हैं। म्यांमार व श्रीलंका का अलग अस्तित्व प्रदान करते ही मतान्तरण का पूरा ताना-बाना जो पहले तैयार था उसे अधिक विस्तार व सुदृढ़ता भी इन देशों में प्रदान की गई। ये दोनों देश वैदिक, बौद्ध धार्मिक परम्पराओं को मानने वाले हैं। म्यांमार के अनेक स्थान विशेष रूप से रंगून का अंग्रेज द्वारा देशभक्त भारतीयों को कालेपानी की सजा देने के लिए जेल के रूप में भी उपयोग होता रहा है।<br style="outline: none;" />पाकिस्तान, बांग्लादेश व मालद्वीप :- 1905 का लॉर्ड कर्जन का बंग-भंग का खेल 1911 में बुरी तरह से विफल हो गया। परन्तु इस हिन्दु मुस्लिम एकता को तोड़ने हेतु अंग्रेज ने आगा खां के नेतृत्व में सन 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना कर मुस्लिम कौम का बीज बोया। पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश जनजातीय जीवन को ईसाई के रूप में मतान्तरित किया जा रहा था। ईसाई बने भारतीयों को स्वतन्त्रता संग्राम से पूर्णत: अलग रखा गया। पूरे भारत में एक भी ईसाई सम्मेलन में स्वतन्त्रता के पक्ष में प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। दूसरी ओर मुसलमान तुम एक अलग कौम हो, का बीज बोते हुए सन् 1940 में मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में पाकिस्तान की मांग खड़ी कर देश को नफरत की आग में झोंक दिया। अंग्रेजीयत के दो एजेण्ट क्रमश: पं. नेहरू व मो. अली जिन्ना दोनों ही घोर महत्वाकांक्षी व जिद्दी (कट्टर) स्वभाव के थे। अंग्रेजों ने इन दोनों का उपयोग गुलाम भारत के विभाजन हेतु किया। द्वितीय महायुद्ध में अंग्रेज बुरी तरह से आर्थिक, राजनीतिक दृष्टि से इंग्लैण्ड में तथा अन्य देशों में टूट चुके थे। उन्हें लगता था कि अब वापस जाना ही पड़ेगा और अंग्रेजी साम्राज्य में कभी न अस्त होने वाला सूर्य अब अस्त भी हुआ करेगा। सम्पूर्ण भारत देशभक्ति के स्वरों के साथ सड़क पर आ चुका था। संघ, सुभाष, सेना व समाज सब अपने-अपने ढंग से स्वतन्त्रता की अलख जगा रहे थे। सन 1948 तक प्रतीक्षा न करते हुए 3 जून, 1947 को अंग्रेज अधीन भारत के विभाजन व स्वतन्त्रता की घोषणा औपचारिक रूप से कर दी गयी। यहां यह बात ध्यान में रखने वाली है कि उस समय भी भारत की 562 ऐसी छोटी-बड़ी रियासतें (राज्य) थीं, जो अंग्रेज के अधीन नहीं थीं। इनमें से सात ने आज के पाकिस्तान में तथा 555 ने जम्मू-कश्मीर सहित आज के भारत में विलय किया। भयानक रक्तपात व जनसंख्या की अदला-बदली के बीच 14, 15 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि में पश्चिम एवं पूर्व पाकिस्तान बनाकर अंग्रेज ने भारत का 7वां विभाजन कर डाला। आज ये दो भाग पाकिस्तान व बांग्लादेश के नाम से जाने जाते हैं। भारत के दक्षिण में सुदूर समुद्र में मालद्वीप (छोटे-छोटे टापुओं का समूह) सन 1947 में स्वतन्त्र देश बन गया, जिसकी चर्चा व जानकारी होना अत्यन्त महत्वपूर्ण व उपयोगी है। यह बिना किसी आन्दोलन व मांग के हुआ है।<br style="outline: none;" />भारत का वर्तमान परिदृश्य :- सन 1947 के पश्चात् फेंच के कब्जे से पाण्डिचेरी, पुर्तगीज के कब्जे से गोवा देव- दमन तथा अमेरिका के कब्जें में जाते हुए सिक्किम को मुक्त करवाया है। आज पाकिस्तान में पख्तून, बलूच, सिंधी, बाल्टीस्थानी (गिलगित मिलाकर), कश्मीरी मुजफ्फरावादी व मुहाजिर नाम से इस्लामाबाद (लाहौर) से आजादी के आन्दोलन चल रहे हैं। पाकिस्तान की 60 प्रतिशत से अधिक जमीन तथा 30 प्रतिशत से अधिक जनता पाकिस्तान से ही आजादी चाहती है। बांग्लादेश में बढ़ती जनसंख्या का विस्फोट, चटग्राम आजादी आन्दोलन उसे जर्जर कर रहा है। शिया-सुन्नी फसाद, अहमदिया व वोहरा (खोजा-मल्कि) पर होते जुल्म मजहबी टकराव को बोल रहे हैं। हिन्दुओं की सुरक्षा तो खतरे में ही है। विश्वभर का एक भी मुस्लिम देश इन दोनों देशों के मुसलमानों से थोडी भी सहानुभूति नहीं रखता। अगर सहानुभूति होती तो क्या इन देशों के 3 करोड़ से अधिक मुस्लिम (विशेष रूप से बांग्लादेशीय) दर-दर भटकते। ये मुस्लिम देश अपने किसी भी सम्मेलन में इनकी मदद हेतु आपस में कुछ-कुछ लाख बांटकर सम्मानपूर्वक बसा सकने का निर्णय ले सकते थे। परन्तु कोई भी मुस्लिम देश आजतक बांग्लादेशी मुसलमान की मदद में आगे नहीं आया। इन घुसपैठियों के कारण भारतीय मुसलमान अधिकाधिक गरीब व पिछड़ते जा रहा है क्योंकि इनके विकास की योजनाओं पर खर्च होने वाले धन व नौकरियों पर ही तो घुसपैठियों का कब्जा होता जा रहा है। मानवतावादी वेष को धारण कराने वाले देशों में से भी कोई आगे नहीं आया कि इन घुसपैठियों यानि दरबदर होते नागरिकों को अपने यहां बसाता या अन्य किसी प्रकार की सहायता देता। इन दर-बदर होते नागरिकों के आई.एस.आई. के एजेण्ट बनकर काम करने के कारण ही भारत के करोडों मुस्लिमों को भी सन्देह के घेरे में खड़ा कर दिया है। आतंकवाद व माओवाद लगभग 200 के समूहों के रूप में भारत व भारतीयों को डस रहे हैं। लाखों उजड़ चुके हैं, हजारों विकलांग हैं और हजारों ही मारे जा चुके हैं। विदेशी ताकतें हथियार, प्रशिक्षण व जेहादी, मानसिकता देकर उन प्रदेश के लोगों के द्वारा वहां के ही लोगों को मरवा कर उन्हीं प्रदेशों को बर्बाद करवा रही हैं। इस विदेशी षड्यन्त्र को भी समझना आवश्यक है।<br style="outline: none;" />सांस्कृतिक व आर्थिक समूह की रचना आवश्यक :- आवश्यकता है वर्तमान भारत व पड़ोसी भारतखण्डी देशों को एकजुट होकर शक्तिशाली बन खुशहाली अर्थात विकास के मार्ग में चलने की। इसलिए अंग्रेज अर्थात् ईसाईयत द्वारा रचे गये षड्यन्त्र को ये सभी देश (राज्य) समझें और साझा व्यापार व एक करन्सी निर्माण कर नए होते इस क्षेत्र के युग का सूत्रपात करें। इन देशों 10 का समूह बनाने से प्रत्येक देश का भय का वातावरण समाप्त हो जायेगा तथा प्रत्येक देश का प्रतिवर्ष के सैंकड़ों-हजारों-करोड़ों रुपये रक्षा व्यय के रूप में बचेंगे जो कि विकास पर खर्च किए जा सकेंगे। इससे सभी सुरक्षित रहेंगे व विकसित होंगे।<br style="outline: none;" />- लेखक मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक हैं।</div>
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शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-32244833793625120092013-08-13T16:30:00.001+05:302013-08-13T16:30:22.701+05:30अखंड भारत के खंडन का इतिहास <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<header class="entry-header" style="background-color: #11100b; border: 0px; color: #444444; font-family: 'Open Sans', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 12px; line-height: 9.600000381469727px; margin: 0px 0px 1.714285714rem; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;"><h2 style="border: 0px; clear: both; color: #c5953b; font-size: 20px; margin: 15px 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;">
अखंड भारत के खंडन का इतिहास</h2>
<div class="comments-link" style="border: 0px; color: #fafad3; font-size: 14px; line-height: 19px; margin: 1.714285714rem 0px 0px; outline: none; padding: 0px; text-align: justify; vertical-align: baseline; width: 625px;">
<a href="http://sanghmarg.com/%e0%a4%85%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1-%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%96%e0%a4%82%e0%a4%a1%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a4%be-%e0%a4%87%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%b9%e0%a4%be/#comments" style="border: 0px; color: #757575; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;" title="Comment on अखंड भारत के खंडन का इतिहास">1 Reply</a></div>
</header><div class="entry-content" style="background-color: #11100b; border: 0px; color: #fafad3; font-family: 'Open Sans', Helvetica, Arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; text-align: justify; vertical-align: baseline; width: 625px;">
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<a href="http://sanghmarg.com/wp-content/uploads/2013/08/255_10_58_26_Akhand-Bharat_H@@IGHT_501_W@@IDTH_608.jpg" style="border: 0px; color: #f4ac2e; font-size: 13px; margin: 0px 0px 5px; outline: none; padding: 0px; text-decoration: none; vertical-align: baseline;"><img alt="255_10_58_26_Akhand-Bharat_H@@IGHT_501_W@@IDTH_608" class="alignnone size-full wp-image-1644" height="501" src="http://sanghmarg.com/wp-content/uploads/2013/08/255_10_58_26_Akhand-Bharat_H@@IGHT_501_W@@IDTH_608.jpg" style="border-bottom-left-radius: 3px; border-bottom-right-radius: 3px; border-top-left-radius: 3px; border-top-right-radius: 3px; border: none; box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.2) 0px 1px 4px; height: auto; margin: 0px; max-width: 100%; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline;" width="608" /></a></div>
<div style="border: 0px; font-size: 14px; margin-bottom: 1.714285714rem; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline; width: 625px;">
(14 अगस्त, अखंड भारत संकल्प दिन)</div>
<div style="border: 0px; font-size: 14px; margin-bottom: 1.714285714rem; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline; width: 625px;">
डेढ़ सौ वर्षों में भारत के खंडन से बने 9 नए देश</div>
<div style="border: 0px; font-size: 14px; margin-bottom: 1.714285714rem; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline; width: 625px;">
सम्भवत: ही कोई पुस्तक (ग्रन्थ) होगी जिसमें यह वर्णन मिलता हो कि इन आक्रमणकारियों ने अफगानिस्तान, (म्यांमार), श्रीलंका (सिंहलद्वीप), नेपाल, तिब्बत (त्रिविष्टप), भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया। यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि यह भू-प्रदेश कब, कैसे गुलाम हुए और स्वतन्त्र हुए। प्राय: पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। शेष इतिहास मिलता तो है परन्तु चर्चित नहीं है। सन 1947 में विशाल भारतवर्ष का पिछले 2500 वर्षों में 24वां विभाजन है।<br style="outline: none;" />- इन्द्रेश कुमार<br style="outline: none;" />सम्पूर्ण पृथ्वी का जब जल और थल इन दो तत्वों में वर्गीकरण करते हैं, तब सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्दू महासागर कहते हैं, के निवासी हैं। इस जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है। हिमालय पर्वत में विश्व की सर्वाधिक ऊँची चोटी सागरमाथा, गौरीशंकर हैं, जिसे 1835 में अंग्रेज शासकों ने एवरेस्ट नाम देकर इसकी प्राचीनता व पहचान को बदलने का कूटनीतिक षड्यंत्र रचा।<br style="outline: none;" />हम पृथ्वी पर जिस भू-भाग अर्थात् राष्ट्र के निवासी हैं उस भू-भाग का वर्णन अग्नि, वायु एवं विष्णु पुराण में लगभग समानार्थी श्लोक के रूप में है :-<br style="outline: none;" />उत्तरं यत् समुद्रस्य, हिमाद्रश्चैव दक्षिणम्।<br style="outline: none;" />वर्ष तद् भारतं नाम, भारती यत्र संतति।।<br style="outline: none;" />अर्थात् हिन्द महासागर के उत्तर में तथा हिमालय पर्वत के दक्षिण में जो भू-भाग है उसे भारत कहते हैं और वहां के समाज को भारती या भारतीय के नाम से पहचानते हैं।<br style="outline: none;" />वर्तमान में भारत के निवासियों का पिछले सैकडों हजारों वर्षों से हिन्दू नाम भी प्रचलित है और हिन्दुओं के देश को हिन्दुस्तान कहते हैं। विश्व के अनेक देश इसे हिन्द व नागरिक को हिन्दी व हिन्दुस्तानी भी कहते हैं। बृहस्पति आगम में इसके लिए निम्न श्लोक उपलब्ध है :-<br style="outline: none;" />हिमालयं समारम्भ्य यावद् इन्दु सरोवरम।<br style="outline: none;" />तं देव निर्मित देशं, हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।।<br style="outline: none;" />अर्थात् हिमालय से लेकर इन्दु (हिन्द) महासागर तक देव पुरुषों द्वारा निर्मित इस भूगोल को हिन्दुस्तान कहते हैं। इन सब बातों से यह निश्चित हो जाता है कि भारतवर्ष और हिन्दुस्तान एक ही देश के नाम हैं तथा भारतीय और हिन्दू एक ही समाज के नाम हैं।<br style="outline: none;" />जब हम अपने देश (राष्ट्र) का विचार करते हैं तब अपने समाज में प्रचलित एक परम्परा रही है, जिसमें किसी भी शुभ कार्य पर संकल्प पढ़ा अर्थात् लिया जाता है। संकल्प स्वयं में महत्वपूर्ण संकेत करता है। संकल्प में काल की गणना एवं भूखण्ड का विस्तृत वर्णन करते हुए, संकल्प कर्ता कौन है ? इसकी पहचान अंकित करने की परम्परा है। उसके अनुसार संकल्प में भू-खण्ड की चर्चा करते हुए बोलते (दोहराते) हैं कि जम्बूद्वीपे (एशिया) भरतखण्डे (भारतवर्ष) यही शब्द प्रयोग होता है। सम्पूर्ण साहित्य में हमारे राष्ट्र की सीमाओं का उत्तर में हिमालय व दक्षिण में हिन्द महासागर का वर्णन है, परन्तु पूर्व व पश्चिम का स्पष्ट वर्णन नहीं है। परंतु जब श्लोकों की गहराई में जाएं और भूगोल की पुस्तकों अर्थात् एटलस का अध्ययन करें तभी ध्यान में आ जाता है कि श्लोक में पूर्व व पश्चिम दिशा का वर्णन है। जब विश्व (पृथ्वी) का मानचित्र आँखों के सामने आता है तो पूरी तरह से स्पष्ट हो जाता है कि विश्व के भूगोल ग्रन्थों के अनुसार हिमालय के मध्य स्थल ‘कैलाश मानसरोवर’ से पूर्व की ओर जाएं तो वर्तमान का इण्डोनेशिया और पश्चिम की ओर जाएं तो वर्तमान में ईरान देश अर्थात् आर्यान प्रदेश हिमालय के अंतिम छोर हैं। हिमालय 5000 पर्वत शृंखलाओं तथा 6000 नदियों को अपने भीतर समेटे हुए इसी प्रकार से विश्व के सभी भूगोल ग्रन्थ (एटलस) के अनुसार जब हम श्रीलंका (सिंहलद्वीप अथवा सिलोन) या कन्याकुमारी से पूर्व व पश्चिम की ओर प्रस्थान करेंगे या दृष्टि (नजर) डालेंगे तो हिन्द (इन्दु) महासागर इण्डोनेशिया व आर्यान (ईरान) तक ही है। इन मिलन बिन्दुओं के पश्चात् ही दोनों ओर महासागर का नाम बदलता है।<br style="outline: none;" />इस प्रकार से हिमालय, हिन्द महासागर, आर्यान (ईरान) व इण्डोनेशिया के बीच के सम्पूर्ण भू-भाग को आर्यावर्त अथवा भारतवर्ष अथवा हिन्दुस्तान कहा जाता है। प्राचीन भारत की चर्चा अभी तक की, परन्तु जब वर्तमान से 3000 वर्ष पूर्व तक के भारत की चर्चा करते हैं तब यह ध्यान में आता है कि पिछले 2500 वर्ष में जो भी आक्रांत यूनानी (रोमन ग्रीक) यवन, हूण, शक, कुषाण, सिरयन, पुर्तगाली, फेंच, डच, अरब, तुर्क, तातार, मुगल व अंग्रेज आदि आए, इन सबका विश्व के सभी इतिहासकारों ने वर्णन किया। परन्तु सभी पुस्तकों में यह प्राप्त होता है कि आक्रान्ताओं ने भारतवर्ष पर, हिन्दुस्तान पर आक्रमण किया है। सम्भवत: ही कोई पुस्तक (ग्रन्थ) होगी जिसमें यह वर्णन मिलता हो कि इन आक्रमणकारियों ने अफगानिस्तान, (म्यांमार), श्रीलंका (सिंहलद्वीप), नेपाल, तिब्बत (त्रिविष्टप), भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया। यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि यह भू-प्रदेश कब, कैसे गुलाम हुए और स्वतन्त्र हुए। प्राय: पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। शेष इतिहास मिलता तो है परन्तु चर्चित नहीं है। सन 1947 में विशाल भारतवर्ष का पिछले 2500 वर्षों में 24वां विभाजन है। अंग्रेज का 350 वर्ष पूर्व के लगभग ईस्ट इण्डिया कम्पनी के रूप में व्यापारी बनकर भारत आना, फिर धीरे-धीरे शासक बनना और उसके पश्चात् सन 1857 से 1947 तक उनके द्वारा किया गया भारत का 7वां विभाजन है। आगे लेख में सातों विभाजन कब और क्यों किए गए इसका संक्षिप्त वर्णन है।<br style="outline: none;" />सन् 1857 में भारत का क्षेत्रफल 83 लाख वर्ग कि.मी. था। वर्तमान भारत का क्षेत्रफल 33 लाख वर्ग कि.मी. है। पड़ोसी 9 देशों का क्षेत्रफल 50 लाख वर्ग कि.मी. बनता है।<br style="outline: none;" />भारतीयों द्वारा सन् 1857 के अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े गए स्वतन्त्रता संग्राम (जिसे अंग्रेज ने गदर या बगावत कहा) से पूर्व एवं पश्चात् के परिदृश्य पर नजर दौडायेंगे तो ध्यान में आएगा कि ई. सन् 1800 अथवा उससे पूर्व के विश्व के देशों की सूची में वर्तमान भारत के चारों ओर जो आज देश माने जाते हैं उस समय देश नहीं थे। इनमें स्वतन्त्र राजसत्ताएं थीं, परन्तु सांस्कृतिक रूप में ये सभी भारतवर्ष के रूप में एक थे और एक-दूसरे के देश में आवागमन (व्यापार, तीर्थ दर्शन, रिश्ते, पर्यटन आदि) पूर्ण रूप से बे-रोकटोक था। इन राज्यों के विद्वान् व लेखकों ने जो भी लिखा वह विदेशी यात्रियों ने लिखा ऐसा नहीं माना जाता है। इन सभी राज्यों की भाषाएं व बोलियों में अधिकांश शब्द संस्कृत के ही हैं। मान्यताएं व परम्पराएं भी समान हैं। खान-पान, भाषा-बोली, वेशभूषा, संगीत-नृत्य, पूजापाठ, पंथ सम्प्रदाय में विविधताएं होते हुए भी एकता के दर्शन होते थे और होते हैं। जैसे-जैसे इनमें से कुछ राज्यों में भारत इतर यानि विदेशी पंथ (मजहब-रिलीजन) आये तब अनेक संकट व सम्भ्रम निर्माण करने के प्रयास हुए।<br style="outline: none;" />सन 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम से पूर्व-मार्क्स द्वारा अर्थ प्रधान परन्तु आक्रामक व हिंसक विचार के रूप में मार्क्सवाद जिसे लेनिनवाद, माओवाद, साम्यवाद, कम्यूनिज्म शब्दों से भी पहचाना जाता है, यह अपने पांव अनेक देशों में पसार चुका था। वर्तमान रूस व चीन जो अपने चारों ओर के अनेक छोटे-बडे राज्यों को अपने में समाहित कर चुके थे या कर रहे थे, वे कम्यूनिज्म के सबसे बडे व शक्तिशाली देश पहचाने जाते हैं। ये दोनों रूस और चीन विस्तारवादी, साम्राज्यवादी, मानसिकता वाले ही देश हैं। अंग्रेज का भी उस समय लगभग आधी दुनिया पर राज्य माना जाता था और उसकी साम्राज्यवादी, विस्तारवादी, हिंसक व कुटिलता स्पष्ट रूप से सामने थी। <br style="outline: none;" />अफगानिस्तान :- सन् 1834 में प्रकिया प्रारम्भ हुई और 26 मई, 1876 को रूसी व ब्रिटिश शासकों (भारत) के बीच गंडामक संधि के रूप में निर्णय हुआ और अफगानिस्तान नाम से एक बफर स्टेट अर्थात् राजनैतिक देश को दोनों ताकतों के बीच स्थापित किया गया। इससे अफगानिस्तान अर्थात् पठान भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम से अलग हो गए तथा दोनों ताकतों ने एक-दूसरे से अपनी रक्षा का मार्ग भी खोज लिया। परंतु इन दोनों पूंजीवादी व मार्क्सवादी ताकतों में अंदरूनी संघर्ष सदैव बना रहा कि अफगानिस्तान पर नियन्त्रण किसका हो ? अफगानिस्तान (उपगणस्तान) शैव व प्रकृति पूजक मत से बौद्ध मतावलम्बी और फिर विदेशी पंथ इस्लाम मतावलम्बी हो चुका था। बादशाह शाहजहाँ, शेरशाह सूरी व महाराजा रणजीत सिंह के शासनकाल में उनके राज्य में कंधार (गंधार) आदि का स्पष्ट वर्णन मिलता है।<br style="outline: none;" />नेपाल :- मध्य हिमालय के 46 से अधिक छोटे-बडे राज्यों को संगठित कर पृथ्वी नारायण शाह नेपाल नाम से एक राज्य का सुगठन कर चुके थे। स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों ने इस क्षेत्र में अंग्रेजों के विरुद्ध लडते समय-समय पर शरण ली थी। अंग्रेज ने विचारपूर्वक 1904 में वर्तमान के बिहार स्थित सुगौली नामक स्थान पर उस समय के पहाड़ी राजाओं के नरेश से संधी कर नेपाल को एक स्वतन्त्र अस्तित्व प्रदान कर अपना रेजीडेंट बैठा दिया। इस प्रकार से नेपाल स्वतन्त्र राज्य होने पर भी अंग्रेज के अप्रत्यक्ष अधीन ही था। रेजीडेंट के बिना महाराजा को कुछ भी खरीदने तक की अनुमति नहीं थी। इस कारण राजा-महाराजाओं में जहां आन्तरिक तनाव था, वहीं अंग्रेजी नियन्त्रण से कुछ में घोर बेचैनी भी थी। महाराजा त्रिभुवन सिंह ने 1953 में भारतीय सरकार को निवेदन किया था कि आप नेपाल को अन्य राज्यों की तरह भारत में मिलाएं। परन्तु सन 1955 में रूस द्वारा दो बार वीटो का उपयोग कर यह कहने के बावजूद कि नेपाल तो भारत का ही अंग है, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने पुरजोर वकालत कर नेपाल को स्वतन्त्र देश के रूप में यू.एन.ओ. में मान्यता दिलवाई। आज भी नेपाल व भारतीय एक-दूसरे के देश में विदेशी नहीं हैं और यह भी सत्य है कि नेपाल को वर्तमान भारत के साथ ही सन् 1947 में ही स्वतन्त्रता प्राप्त हुई। नेपाल 1947 में ही अंग्रेजी रेजीडेंसी से मुक्त हुआ।<br style="outline: none;" />भूटान :- सन 1906 में सिक्किम व भूटान जो कि वैदिक-बौद्ध मान्यताओं के मिले-जुले समाज के छोटे भू-भाग थे इन्हें स्वतन्त्रता संग्राम से लगकर अपने प्रत्यक्ष नियन्त्रण से रेजीडेंट के माध्यम से रखकर चीन के विस्तारवाद पर अंग्रेज ने नजर रखना प्रारम्भ किया। ये क्षेत्र(राज्य) भी स्वतन्त्रता सेनानियों एवं समय-समय पर हिन्दुस्तान के उत्तर दक्षिण व पश्चिम के भारतीय सिपाहियों व समाज के नाना प्रकार के विदेशी हमलावरों से युद्धों में पराजित होने पर शरणस्थली के रूप में काम आते थे। दूसरा ज्ञान (सत्य, अहिंसा, करुणा) के उपासक वे क्षेत्र खनिज व वनस्पति की दृष्टि से महत्वपूर्ण थे। तीसरा यहां के जातीय जीवन को धीरे-धीरे मुख्य भारतीय (हिन्दू) धारा से अलग कर मतान्तरित किया जा सकेगा। हम जानते हैं कि सन 1836 में उत्तर भारत में चर्च ने अत्यधिक विस्तार कर नये आयामों की रचना कर डाली थी। सुदूर हिमालयवासियों में ईसाईयत जोर पकड़ रही थी।<br style="outline: none;" />तिब्बत :- सन 1914 में तिब्बत को केवल एक पार्टी मानते हुए चीनी साम्राज्यवादी सरकार व भारत के काफी बड़े भू-भाग पर कब्जा जमाए अंग्रेज शासकों के बीच एक समझौता हुआ। भारत और चीन के बीच तिब्बत को एक बफर स्टेट के रूप में मान्यता देते हुए हिमालय को विभाजित करने के लिए मैकमोहन रेखा निर्माण करने का निर्णय हुआ। हिमालय सदैव से ज्ञान-विज्ञान के शोध व चिन्तन का केंद्र रहा है। हिमालय को बांटना और तिब्बत व भारतीय को अलग करना यह षड्यंत्र रचा गया। चीनी और अंग्रेज शासकों ने एक-दूसरों के विस्तारवादी, साम्राज्यवादी मनसूबों को लगाम लगाने के लिए कूटनीतिक खेल खेला। अंग्रेज ईसाईयत हिमालय में कैसे अपने पांव जमायेगी, यह सोच रहा था परन्तु समय ने कुछ ऐसी करवट ली कि प्रथम व द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् अंग्रेज को एशिया और विशेष रूप से भारत छोड़कर जाना पड़ा। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने समय की नाजकता को पहचानने में भूल कर दी और इसी कारण तिब्बत को सन 1949 से 1959 के बीच चीन हड़पने में सफल हो गया। पंचशील समझौते की समाप्ति के साथ ही अक्टूबर सन 1962 में चीन ने भारत पर हमला कर हजारों वर्ग कि.मी. अक्साई चीन (लद्दाख यानि जम्मू-कश्मीर) व अरुणाचल आदि को कब्जे में कर लिया। तिब्बत को चीन का भू-भाग मानने का निर्णय पं. नेहरू (तत्कालीन प्रधानमंत्री) की भारी ऐतिहासिक भूल हुई। आज भी तिब्बत को चीन का भू-भाग मानना और चीन पर तिब्बत की निर्वासित सरकार से बात कर मामले को सुलझाने हेतु दबाव न डालना बड़ी कमजोरी व भूल है। नवम्बर 1962 में भारत के दोनों सदनों के संसद सदस्यों ने एकजुट होकर चीन से एक-एक इंच जमीन खाली करवाने का संकल्प लिया। आश्चर्य है भारतीय नेतृत्व (सभी दल) उस संकल्प को शायद भूल ही बैठा है। हिमालय परिवार नाम के आन्दोलन ने उस दिवस को मनाना प्रारम्भ किया है ताकि जनता नेताओं द्वारा लिए गए संकल्प को याद करवाएं।<br style="outline: none;" />श्रीलंका व म्यांमार :- अंग्रेज प्रथम महायुद्ध (1914 से 1919) जीतने में सफल तो हुए परन्तु भारतीय सैनिक शक्ति के आधार पर। धीरे-धीरे स्वतन्त्रता प्राप्ति हेतु क्रान्तिकारियों के रूप में भयानक ज्वाला अंग्रेज को भस्म करने लगी थी। सत्याग्रह, स्वदेशी के मार्ग से आम जनता अंग्रेज के कुशासन के विरुद्ध खडी हो रही थी। द्वितीय महायुद्ध के बादल भी मण्डराने लगे थे। सन् 1935 व 1937 में ईसाई ताकतों को लगा कि उन्हें कभी भी भारत व एशिया से बोरिया-बिस्तर बांधना पड़ सकता है। उनकी अपनी स्थलीय शक्ति मजबूत नहीं है और न ही वे दूर से नभ व थल से वर्चस्व को बना सकते हैं। इसलिए जल मार्ग पर उनका कब्जा होना चाहिए तथा जल के किनारों पर भी उनके हितैषी राज्य होने चाहिए। समुद्र में अपना नौसैनिक बेड़ा बैठाने, उसके समर्थक राज्य स्थापित करने तथा स्वतन्त्रता संग्राम से उन भू-भागों व समाजों को अलग करने हेतु सन 1965 में श्रीलंका व सन 1937 में म्यांमार को अलग राजनीतिक देश की मान्यता दी। ये दोनों देश इन्हीं वर्षों को अपना स्वतन्त्रता दिवस मानते हैं। म्यांमार व श्रीलंका का अलग अस्तित्व प्रदान करते ही मतान्तरण का पूरा ताना-बाना जो पहले तैयार था उसे अधिक विस्तार व सुदृढ़ता भी इन देशों में प्रदान की गई। ये दोनों देश वैदिक, बौद्ध धार्मिक परम्पराओं को मानने वाले हैं। म्यांमार के अनेक स्थान विशेष रूप से रंगून का अंग्रेज द्वारा देशभक्त भारतीयों को कालेपानी की सजा देने के लिए जेल के रूप में भी उपयोग होता रहा है।<br style="outline: none;" />पाकिस्तान, बांग्लादेश व मालद्वीप :- 1905 का लॉर्ड कर्जन का बंग-भंग का खेल 1911 में बुरी तरह से विफल हो गया। परन्तु इस हिन्दु मुस्लिम एकता को तोड़ने हेतु अंग्रेज ने आगा खां के नेतृत्व में सन 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना कर मुस्लिम कौम का बीज बोया। पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश जनजातीय जीवन को ईसाई के रूप में मतान्तरित किया जा रहा था। ईसाई बने भारतीयों को स्वतन्त्रता संग्राम से पूर्णत: अलग रखा गया। पूरे भारत में एक भी ईसाई सम्मेलन में स्वतन्त्रता के पक्ष में प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। दूसरी ओर मुसलमान तुम एक अलग कौम हो, का बीज बोते हुए सन् 1940 में मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में पाकिस्तान की मांग खड़ी कर देश को नफरत की आग में झोंक दिया। अंग्रेजीयत के दो एजेण्ट क्रमश: पं. नेहरू व मो. अली जिन्ना दोनों ही घोर महत्वाकांक्षी व जिद्दी (कट्टर) स्वभाव के थे। अंग्रेजों ने इन दोनों का उपयोग गुलाम भारत के विभाजन हेतु किया। द्वितीय महायुद्ध में अंग्रेज बुरी तरह से आर्थिक, राजनीतिक दृष्टि से इंग्लैण्ड में तथा अन्य देशों में टूट चुके थे। उन्हें लगता था कि अब वापस जाना ही पड़ेगा और अंग्रेजी साम्राज्य में कभी न अस्त होने वाला सूर्य अब अस्त भी हुआ करेगा। सम्पूर्ण भारत देशभक्ति के स्वरों के साथ सड़क पर आ चुका था। संघ, सुभाष, सेना व समाज सब अपने-अपने ढंग से स्वतन्त्रता की अलख जगा रहे थे। सन 1948 तक प्रतीक्षा न करते हुए 3 जून, 1947 को अंग्रेज अधीन भारत के विभाजन व स्वतन्त्रता की घोषणा औपचारिक रूप से कर दी गयी। यहां यह बात ध्यान में रखने वाली है कि उस समय भी भारत की 562 ऐसी छोटी-बड़ी रियासतें (राज्य) थीं, जो अंग्रेज के अधीन नहीं थीं। इनमें से सात ने आज के पाकिस्तान में तथा 555 ने जम्मू-कश्मीर सहित आज के भारत में विलय किया। भयानक रक्तपात व जनसंख्या की अदला-बदली के बीच 14, 15 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि में पश्चिम एवं पूर्व पाकिस्तान बनाकर अंग्रेज ने भारत का 7वां विभाजन कर डाला। आज ये दो भाग पाकिस्तान व बांग्लादेश के नाम से जाने जाते हैं। भारत के दक्षिण में सुदूर समुद्र में मालद्वीप (छोटे-छोटे टापुओं का समूह) सन 1947 में स्वतन्त्र देश बन गया, जिसकी चर्चा व जानकारी होना अत्यन्त महत्वपूर्ण व उपयोगी है। यह बिना किसी आन्दोलन व मांग के हुआ है।<br style="outline: none;" />भारत का वर्तमान परिदृश्य :- सन 1947 के पश्चात् फेंच के कब्जे से पाण्डिचेरी, पुर्तगीज के कब्जे से गोवा देव- दमन तथा अमेरिका के कब्जें में जाते हुए सिक्किम को मुक्त करवाया है। आज पाकिस्तान में पख्तून, बलूच, सिंधी, बाल्टीस्थानी (गिलगित मिलाकर), कश्मीरी मुजफ्फरावादी व मुहाजिर नाम से इस्लामाबाद (लाहौर) से आजादी के आन्दोलन चल रहे हैं। पाकिस्तान की 60 प्रतिशत से अधिक जमीन तथा 30 प्रतिशत से अधिक जनता पाकिस्तान से ही आजादी चाहती है। बांग्लादेश में बढ़ती जनसंख्या का विस्फोट, चटग्राम आजादी आन्दोलन उसे जर्जर कर रहा है। शिया-सुन्नी फसाद, अहमदिया व वोहरा (खोजा-मल्कि) पर होते जुल्म मजहबी टकराव को बोल रहे हैं। हिन्दुओं की सुरक्षा तो खतरे में ही है। विश्वभर का एक भी मुस्लिम देश इन दोनों देशों के मुसलमानों से थोडी भी सहानुभूति नहीं रखता। अगर सहानुभूति होती तो क्या इन देशों के 3 करोड़ से अधिक मुस्लिम (विशेष रूप से बांग्लादेशीय) दर-दर भटकते। ये मुस्लिम देश अपने किसी भी सम्मेलन में इनकी मदद हेतु आपस में कुछ-कुछ लाख बांटकर सम्मानपूर्वक बसा सकने का निर्णय ले सकते थे। परन्तु कोई भी मुस्लिम देश आजतक बांग्लादेशी मुसलमान की मदद में आगे नहीं आया। इन घुसपैठियों के कारण भारतीय मुसलमान अधिकाधिक गरीब व पिछड़ते जा रहा है क्योंकि इनके विकास की योजनाओं पर खर्च होने वाले धन व नौकरियों पर ही तो घुसपैठियों का कब्जा होता जा रहा है। मानवतावादी वेष को धारण कराने वाले देशों में से भी कोई आगे नहीं आया कि इन घुसपैठियों यानि दरबदर होते नागरिकों को अपने यहां बसाता या अन्य किसी प्रकार की सहायता देता। इन दर-बदर होते नागरिकों के आई.एस.आई. के एजेण्ट बनकर काम करने के कारण ही भारत के करोडों मुस्लिमों को भी सन्देह के घेरे में खड़ा कर दिया है। आतंकवाद व माओवाद लगभग 200 के समूहों के रूप में भारत व भारतीयों को डस रहे हैं। लाखों उजड़ चुके हैं, हजारों विकलांग हैं और हजारों ही मारे जा चुके हैं। विदेशी ताकतें हथियार, प्रशिक्षण व जेहादी, मानसिकता देकर उन प्रदेश के लोगों के द्वारा वहां के ही लोगों को मरवा कर उन्हीं प्रदेशों को बर्बाद करवा रही हैं। इस विदेशी षड्यन्त्र को भी समझना आवश्यक है।<br style="outline: none;" />सांस्कृतिक व आर्थिक समूह की रचना आवश्यक :- आवश्यकता है वर्तमान भारत व पड़ोसी भारतखण्डी देशों को एकजुट होकर शक्तिशाली बन खुशहाली अर्थात विकास के मार्ग में चलने की। इसलिए अंग्रेज अर्थात् ईसाईयत द्वारा रचे गये षड्यन्त्र को ये सभी देश (राज्य) समझें और साझा व्यापार व एक करन्सी निर्माण कर नए होते इस क्षेत्र के युग का सूत्रपात करें। इन देशों 10 का समूह बनाने से प्रत्येक देश का भय का वातावरण समाप्त हो जायेगा तथा प्रत्येक देश का प्रतिवर्ष के सैंकड़ों-हजारों-करोड़ों रुपये रक्षा व्यय के रूप में बचेंगे जो कि विकास पर खर्च किए जा सकेंगे। इससे सभी सुरक्षित रहेंगे व विकसित होंगे।<br style="outline: none;" />- लेखक मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक हैं।</div>
<div class="juiz_sps_links juiz_sps_displayed_bottom" style="border: 0px; clear: both; font-size: 14px; margin: 1em 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: baseline; width: 625px; word-wrap: normal !important;">
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<ul class="juiz_sps_links_list juiz_sps_hide_name" style="border: 0px; line-height: 1.714285714; list-style-image: initial; list-style-position: outside; margin: 0px 0px 1.714285714rem; outline: none; padding: 0px !important; vertical-align: baseline;">
<li class="juiz_sps_item juiz_sps_link_facebook" style="border: 0px; display: inline; list-style: none !important; margin: 0px 0px 0px 2.571428571rem; outline: none; padding: 0px !important; vertical-align: baseline;"><a href="https://www.facebook.com/sharer/sharer.php?u=http%3A%2F%2Fsanghmarg.com%2F%25e0%25a4%2585%25e0%25a4%2596%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%25a1-%25e0%25a4%25ad%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25b0%25e0%25a4%25a4-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%2596%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%25a1%25e0%25a4%25a8-%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%2587%25e0%25a4%25a4%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25b9%25e0%25a4%25be%2F" rel="nofollow" style="-webkit-background-clip: padding-box; -webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.188235) 0px 1px 1px, rgba(255, 255, 255, 0.380392) 0px 0px 5px inset; background-clip: padding-box; background-color: #3b5999; background-image: linear-gradient(to top, rgba(255, 255, 255, 0) 0%, rgba(255, 255, 255, 0.258824) 100%); border-bottom-left-radius: 4px; border-bottom-right-radius: 4px; border-top-left-radius: 4px; border-top-right-radius: 4px; border: 1px solid rgb(49, 75, 131); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.188235) 0px 1px 1px, rgba(255, 255, 255, 0.380392) 0px 0px 5px inset; color: white; display: inline-block; font-size: 12px; font-weight: bold; margin: 2px 5px 2px 0px; outline: none; padding: 2px 10px; text-decoration: none; text-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.34902) 1px 1px 1px; vertical-align: middle;" target="_blank" title="Share this article on Facebook"><span class="juiz_sps_icon" style="background-image: url(http://sanghmarg.com/wp-content/plugins/juiz-social-post-sharer/img/sps_sprites_tt.png); background-position: -64px 0px; background-repeat: no-repeat no-repeat; border: 0px; display: inline-block; height: 32px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: middle; width: 32px;"></span><span class="juis_sps_network_name" style="-webkit-transition: max-width 0.4s; border: 0px; display: inline-block; margin: 0px; max-width: 0px; outline: none; overflow: hidden; padding: 0px; transition: max-width 0.4s; vertical-align: middle; white-space: nowrap !important;"></span></a></li>
<li class="juiz_sps_item juiz_sps_link_twitter" style="border: 0px; display: inline; list-style: none !important; margin: 0px 0px 0px 2.571428571rem; outline: none; padding: 0px !important; vertical-align: baseline;"><a href="https://twitter.com/intent/tweet?source=webclient&original_referer=http%3A%2F%2Fsanghmarg.com%2F%25e0%25a4%2585%25e0%25a4%2596%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%25a1-%25e0%25a4%25ad%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25b0%25e0%25a4%25a4-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%2596%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%25a1%25e0%25a4%25a8-%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%2587%25e0%25a4%25a4%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25b9%25e0%25a4%25be%2F&text=%E0%A4%85%E0%A4%96%E0%A4%82%E0%A4%A1+%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4+%E0%A4%95%E0%A5%87+%E0%A4%96%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A4%A8+%E0%A4%95%E0%A4%BE+%E0%A4%87%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B8&url=http%3A%2F%2Fsanghmarg.com%2F%25e0%25a4%2585%25e0%25a4%2596%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%25a1-%25e0%25a4%25ad%25e0%25a4%25be%25e0%25a4%25b0%25e0%25a4%25a4-%25e0%25a4%2595%25e0%25a5%2587-%25e0%25a4%2596%25e0%25a4%2582%25e0%25a4%25a1%25e0%25a4%25a8-%25e0%25a4%2595%25e0%25a4%25be-%25e0%25a4%2587%25e0%25a4%25a4%25e0%25a4%25bf%25e0%25a4%25b9%25e0%25a4%25be%2F&related=creativejuiz&via=creativejuiz" rel="nofollow" style="-webkit-background-clip: padding-box; -webkit-box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.188235) 0px 1px 1px, rgba(255, 255, 255, 0.380392) 0px 0px 5px inset; background-clip: padding-box; background-color: #59d1df; background-image: linear-gradient(to top, rgba(255, 255, 255, 0) 0%, rgba(255, 255, 255, 0.258824) 100%); border-bottom-left-radius: 4px; border-bottom-right-radius: 4px; border-top-left-radius: 4px; border-top-right-radius: 4px; border: 1px solid rgb(79, 181, 193); box-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.188235) 0px 1px 1px, rgba(255, 255, 255, 0.380392) 0px 0px 5px inset; color: white; display: inline-block; font-size: 12px; font-weight: bold; margin: 2px 5px 2px 0px; outline: none; padding: 2px 10px; text-decoration: none; text-shadow: rgba(0, 0, 0, 0.34902) 1px 1px 1px; vertical-align: middle;" target="_blank" title="Share this article on Twitter"><span class="juiz_sps_icon" style="background-image: url(http://sanghmarg.com/wp-content/plugins/juiz-social-post-sharer/img/sps_sprites_tt.png); background-position: 0px 0px; background-repeat: no-repeat no-repeat; border: 0px; display: inline-block; height: 32px; margin: 0px; outline: none; padding: 0px; vertical-align: middle; width: 32px;"></span></a></li>
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शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-25120677736934860222013-05-04T20:09:00.003+05:302013-05-04T20:09:24.549+05:30भारतीय संष्कृति , संस्कारो एवं उच्च आध्यात्मिक मूल्यो पर आधारित वेदिक शिक्षा पद्धति ही एक मात्र समाधान है। चरित्र निर्माण का, दुराचार व भ्रश्ट्राचार मुक्त भारत बनाने का ।<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px;">भारतीय संष्कृति , संस्कारो एवं उच्च आध्यात्मिक मूल्यो पर आधारित वेदिक शिक्षा पद्धति ही एक मात्र समाधान है। चरित्र निर्माण का, दुराचार व भ्रश्ट्राचार मुक्त भारत बनाने का ।</span><br style="background-color: white; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px;">200 करोड़ वर्ष पुरानी भारत की आध्यात्मिक संस्कृति पर कैसे भरी पड़ रहे है । यूरोप व पश्चिम की भोगवादी व भोतिक़वादी अपसंस्कृति के 200 वर्ष ।.....</span><br style="background-color: white; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px;">पश्चिम</span><span class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: grey; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px;">ी अपसंस्कृति का प्रायोजित तरीके से कैसे दुसप्रचार किया जा रहा है। इसके लिए श्र्रद्देय स्वामी जी ने निस्कृर्ष के रूप मैं कुछ बिन्दु तय किए है । हम आपको मूल बिन्दु तथा उनका विस्तार भी साथ मैं सम्प्रेसित कर रहे है 01 . è असंयम का प्रोत्साहन ,<br /><br />02 . è उपभोकत्तावाद व भोतिकवाद का महिमामंडन ,<br /><br />03 . è अनैतिक यौन संबंधो का महिमामंडन ,<br /><br />04 . è पश्चिम का महिमामंडन ,<br /><br />05 . è भारत की महानता का अनादर ,<br /><br />06 . è नास्तिकता का प्रचार ,<br /><br />07 . è झूठी धर्मनिरपेक्षता का प्रचार ,<br /><br />08 . è अवैज्ञानिक विकासवाद ,<br /><br />09 . è समानता के स्थान पर सहिष्णुता ,<br /><br />10 . è शौषन पर आधारित न्याय व्यवशथा ,<br /><br />11 . è अहिंसा व शांति के नाम पर हिंसा व युद्ध की प्रथिस्ठा , ।<br /><br /><br /><br />è……<br /><br />एक अरब छियानवे करोड़ , आंठ लांख तिरपन हजार एक सो चोदह वर्ष पुरानी भारत की वैदिक संष्कृति , सभ्यता व ऋषि परंम्प्ररा वाले देश के अधिकांश आधुनिक युवाओ के माइंड सेट , उनकी सामाजिक ,साँस्क्रतिक , आर्थिक व राजनेतिक सोच मे पश्चिम के आदर्शो , सिद्धांतों व विचारधाराओ को कैसे डाला जा रहा है ।<br /><br />कैसे भारत को सामाजिक ,धार्मिक , सांष्कृतिक एवं आर्थिक रूप से गुलाम बनाया जा रहा है।<br /><br />इस संदर्भ मे बहुत विचार मंथन व चिंतन करके हम कुछ निष्कर्ष पर पहुँचे हे। हम आपसे यह विचार इसलिए साझा कर रहे है । जिससे की हम सब मिलकर इस पूरे चक्रविहु को तोड़ सके एवं एक आध्यात्मिक व आर्थिक शक्ति संपन्न परम वैभवशाली भारत का निर्माण कर सके।<br /><br />1 è ॰ असंयम का प्रोत्साहन:è हमारे बच्चो के कोमल दिल-दिमाग मे बचपन से ही स्कूल से लेकर विश्वविधालय तक एक भोगवादी विचार को बहुत ही चतुराई से डाला जाता है की जीवन मैं सब टेस्ट एक बार जरूर लेकर देखने चाहिए, चाहे वह नशा, वासना, मांसाहार या अन्य कोई भी उपभोक्तावादी तामसिक वाणी , व्यवहार ,आहार , काला व न्रत्य आदि ।<br /><br />जबकि हमारे पूर्वज ऋषि-ऋषिकाओ , वीर-वीरांगनाओ का निर्र्वादित रूप से यह मानना है को पाप, अनाचार , दुराचार , नशा, मांसाहार , अशलील , अनैतिक एवं अधार्मिक कार्य को एक बार भी नहीं करना चाहिए । एक छन के लिए भी हमारे मानव जीवन मे अशुभ ,अज्ञान , अनाचार , व अपवित्रता को स्थान नहीं देना चाहिए । क्योकि जो एक बार आचरण से पतित हो जाता है । हिंसा , झूठ , दुर्व्यसन , बेईमानी व दुराचार आदि मैं फंस जाता है उसका वापस लोटकर आना मुश्किल काम है । कई बार तो असंभव ही हो जाता है । ओर जीवन बर्बाद हो जाता है । एक क्षण के लिए भी हमारे मानव जीवन मैं अशुभ , अज्ञान , अनाचार व अपवित्रता को स्थान नहीं देना चाहिए । क्या हम साइनाइड का एक भी बार टेस्ट लेकर देखेंगे ?. क्या हम बिजली के करंट या आग मैं हाथ डालकर देखेंगे ?.<br /><br />2 è.॰ उपभोकतवाद व भोतिकवाद का महिमामंडन :è आधुनिक युवाओ के मन मैं प्रचार माध्यमों का दुरुपयोग करके एक उपभोक्तावादी , भोगवादी एवं भोतीकवादी विचार को मन मैं गहरा बैठा दिया । खूब कमाओ , खूब खाओ व भोगो । हमे योगी से भोगी व रोगी तथा उपासक से उपभोक्ता बना दीया ।<br /><br />हमारे यहाँ जीवन का आदर्श था क्या इसके बिना भी मेरा गुजारा हो सकता है ? तथा पूर्ण विवेक व भाव के साथ पुरुषार्थ करते हुए न्यायपूर्ण तरीके से जो कुछ भी ऐश्वर्य मुझे मिलता है । उसमे से मैरे तथा मेरे परिवार आदि के लिए जो नितांत आवश्यक उसे अपने लिए रखकर शेष सब सेवा मैं समर्पित करने की हमारी तप , त्याग, दान व सेवा की पावनी परम्परा रही है । त्यागवाद , अध्यात्मवाद व टूस्टीशिप की परम्परा अर्थात सब कुछ भगवान का है । भद्रमिच्छंत ऋषय: स्वविर्द: तपोदिक्षमुद निषेदु रग्रे। ततो राष्ट्र बलमोजशचजातं तदस्मै देवा उप संनन्मंतु ।<br /><br />इशावास्यमिदअसर्व यक्तिज्ञ्च जगत्या जगतम ।<br /><br />तेन त्यक्तेन भुज्जीथा माँ ग्रध: कस्य सिव्द्ध्नम ।।- यजु 40/1<br /><br />इस ऊंची व आदर्श परम्परा के स्थान पर चारो ओर भोगवाद व बाजारवाद का तृष्णाभरा दूषित जहरीला वातावरण बना दिया ओर अंतहिन विनाश के रास्ते पर मनुष्य को बड़ा कर दिया ।<br /><br />3 è: अनैतिक यौन सम्बन्धो का महिमामंडन : वासना { सेक्स } को प्लेजर की तरह महिमा मंडित करके तथा संयमित यौन सम्बन्धो व परिवार व संस्कारो की वेज्ञानिक परम्परा के स्थान पर पश्चिम अनेतिक व उन्मुक्त यौन सम्बन्धो को महिमामंडित करके उसे एक अलोकिक सुख का दर्जा दे रहा है । तथा परिवार , संस्कार व सम्बन्धो की दिव्यता से अनभिज्ञ होने के कारण एक असभ्यतापूर्ण पाशविक जंगली अपसंस्कृति का शिकार हो रहा है ।<br /><br />4. पष्चिम का महिमामंडन- जो कुछ भी अच्छा है वह पष्चिम से आया है चाहे वह साइंस एण्ड टैक्नोलाजी है अथवा कलचर सिविलाइजेषन, डवलपमेंट रिसर्च एवं इन्वेंषन हो। जबकि हकीकत यह है कि 500 साल पहले अमेरिका का कोई नाम तक नहीं जानता था, 2000 वर्ष पहले यूरोप की कोई संस्कृति नहीं थी। इसी प्रकार 1400 साल पहले इस्लाम का कोई पता न था, तब से हमारी संस्कृति है। दुर्भाग्य से आविष्कारों,इतिहास व विकास के नाम पर दुनिया में सबसे अधिक झूठ बोला गया और हिन्दुतान के लोगों के मनों में अपने प्रति घृणा तथा हर बात में पष्चिम के प्रति एक आदर्ष, आदर व आकर्षण का भाव भरा गया है।<br />5. भारत की महानता का अनादर:-भारत के अधिकांष नेताओं ने अंग्रेजों के साथ मिलकर देष में सबसे बड़ा पाप यह किया कि विष्व के सबसे अधिक धनवान, प्रज्ञावान, बलवान व महान राष्ट्र को गरीब बता-बता कर लूटते रहे तथा आज भी यह लूट व झूठ निरन्तर जारी है। लूटेरे, दरिद्र, भूखे-नंगे ब्रिटेन को ग्रेट बना कर हमारे सामने रखा गया तथा आज भी यह लूट निरन्तर जारी है। लूटेरे, दरिद्र, भूखे-नंगे ब्रिटेन को ग्रेट बना कर हमारे सामने रखा गया।<br />6. नास्तिकता का प्रचार- जो आंखों से नहीं दिखता उसका अस्तित्व नहीं होता। आत्मा-परमात्मा आखों से नहीं दिखता, इसलिए दोनों दिव्य शाष्वत तत्वों को नकार करके समाज को आत्मविमुख व नास्तिक बना दिया। हमारी संस्कृति में हमें सिखाया जाता है कि भाई जो दिखता वह तो क्षणिक सत्य है।<br />नित्य, शाष्वत, अखण्ड सत्य कभी भी आंखें से नहीं दिखता वही अन्तिम सत्य है तथा सम्पूर्ण दृष्य जगत् भी एक अदृष्य शक्ति से ही उत्पन्न हुआ है। सारा आकार उस निराकार ने ही गढ़ा है। विज्ञान में भी तो हाइड्रोजन व आक्सिजन दो अदृष्य तत्वों से ही तो दृष्य जल तत्व बना है। इसी प्रकार रस, गंध, शब्द व स्पर्षगत सत्य आॅंखों से कहाॅं दिखता है?<br />7. झूठी धर्मनिरपेक्षता का प्रचार- धर्म निरपेक्षता का झूठा नारा देकर पूरे देष का धर्मविमुख बना दिया। आज पढ़े-लिखे नादान लोग खुद को सैक्युलर कहने में गौरवान्वित महसूस करते हैं। भारतीय ऋषियों ने भौतिक व आध्यात्मिक उन्नति व समृद्धि को धर्म कहा है, हमारे ऋषि मुनियों ने जीवन मूल्यों, अहिंसा, सत्य, अस्तेय, संयम, सदाचार एवं अपरिग्रह आदि को अर्थात वैयक्तिक व सार्वजनिक जीवन के ऊूंचे मूल्यों व आदर्ष को ही धर्म माना है। कोई कर्मकाण्ड आदि की क्रिया मात्र को धर्म नहीं माना है और हमारे धर्मग्रन्थों, वेदों, दर्षन, स्मृतियों व अन्य आर्य ग्रन्थों में सृष्टि का सम्पूर्ण ज्ञान-विज्ञान सन्निहित है जबकि पष्चिम में ऐसा नहीं होने से धर्म के बारे में वहाॅं बहुत ही भ्रमपूर्ण विचारधारा है।<br />8. अवैज्ञानिक विकासवाद- पष्चिम के तथाकथित आधुनिक वैज्ञानिक मुनष्य कर उत्प को एक दुर्घटना या प्राकृतिक संयोग मानते हैं विज्ञान व विकासवाद के तथाकथित सिद्धान्तों के आधार पर मनुष्य के पूर्वज अमीबा व बन्दर मानते हैं जबकि आज भी अमीबा है वह अमीबा, बन्दर तथा बन्दर विकसित होेकर आदमी नहीं बन रहा है। वे मनुष्य को एक सामाजिक जानवर कहते हैं। जबकि हमारे पूर्वज ऋषि-मुनियों ने मनुष्य को भगवान की सर्वश्रेष्ठ रचना, अमृत पुत्र तथा धरती पुत्र कहा है। हम मात्र पांच तत्वों के संघात व उसमें आकस्मिक मस्तिष्क की उत्पŸिा को नहीं मानते तथा मनुष्य के जीवन का अन्तिम लक्ष्य सभी अपूर्णताओं से मुक्त होकर अमिमानवत्वयुक्त दिव्य जीवन या जीवन मुक्ति को मानते हैं।<br />9. समानता के स्थान पर सहिष्णुता- समानता, बराबरी के स्थान पर भारतवासियों को सहिष्णुता की बात करके भारत को सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक व राजनैतिक रूप से खूब लूटा, दबाया व गुलाम बनाया और हमें कहते रहे सहिष्णु बनो, हम जो भी अत्याचार कर रहे हैं उसे सहन करो, अपने लिए समान रूप से न्याय व स्वाभिमान की बात मत करो। इसी नीति के तहत हमारे देष, धर्म, संस्कृति को विदेषियों ने कभी भी बराबरी या समानता का हक नहीं दिया।<br />10. शोषण पर आधारित न्याय व्यवस्था - ताकत व शोषण पर आधारित न्याय व विकास का ऐसा कुचक्र चलाया तथा ऐसे कानून बनाए जिससे पूरे विष्व में राजनैतिक लोगों के द्वारा स्ािापित कानून व्यवस्था के स्थान पर सत्य व न्याय पर आधारित सभी कानून, नीतियां व व्यवस्थाएं होनी चाहिए।<br />11. अहिंसा व शान्ति के नाम पर हिंसा व युद्ध की प्रतिष्ठा- अहिंसा व शान्ति के सार्वभौमिक व सर्वकालिक नियमों के स्थान पर पष्चिम ने पक्षपात पूर्ण अहिंसा के झूठे नारे दियंे हैं कि केवल इन्सान को छोड़ कर शेष किसी भी जीव गाय, भैंस, भेड़-बकरियां और मुर्गे व मछली आदि खाने तथा मनमाने ढंग से युद्धों व अन्य आर्थिक व सामाजिक संघर्षो में दुनियां को धकेलकर अनगिनत अक्षम्य पाप व अपराध पष्चिम ने किए हैं। निष्कर्ष के रूप में सभी भारतीयांे का अपने गौरवषाली आध्यात्मिक ऋषि परम्परां पर गर्व होना चाहिए और पष्चिम अवैज्ञानिक दोषपूर्ण अपसंस्कृति से मुक्त राष्ट्र व विष्व के निर्माण के लिए सबको संकलित व संगठित होकर काम करना चाहिए।</span><br />
शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-84977996592090116492013-04-15T21:04:00.003+05:302013-04-15T21:04:58.316+05:30"टोपी भी पहननी पड़ेगी, तिलक भी लगाना पड़ेगा" नितीस कुमार एक बाप की औलाद हो तो किसी मुसलमान को तिलक लगा कर दिखाओ<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
श्रीमान नितीस कुमार जी ने "टोपी और तिलक" से अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदी श्रीमान मोदी जी को पटकनी देने की कोशिश करते हुए कहा कि देस चलाने के लिए टोपी भी पहननी पड़ेगी और तिलक भी लगाना पड़ेगा, यूँ तो नितीस जी ने टोपी का तीर मोदी जी पर छोड़ा था लेकिन अति उत्साह में तिलक वाला तीर भी दे मारा जो उलट कर उन्हें ही आ लगा, इस तिलक के तीर को सोसल मिडिया ने ऐसा पकड़ा ऐसा पकड़ा कि आज दो दिन से सोसल मिडिया में नितीस का तिलक ही छाया हुआ है, सोसल मिडिया का कहना है "नितीस जी जिनकी टोपी पहनने और देस को पहनाने कि बात कर रहे हो अगर असली सेक्युलर हो या सेक्युलरो के झंडाबरदार हो तो उन्हें तिलक लगा के दिखा दो" या राजनीती छोड़ दो, अब नितीस भाई करे तो क्या करे बात तो बिलकुल सच है धर्म निरपेक्छ्ता सिर्फ टोपी पर तो लागु हो नहीं सकता यदि १०० करोड़ लोगो को आप टोपी पहना सकते है या पहनने कि सलाह दे सकते है तो कम से कम एक को तो तिलक लगवा के दिखाओ और अगर ऐसा नहीं कर सकते तो राजनीती छोडो<br />
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RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-31550376333852922072013-04-12T21:00:00.000+05:302013-04-12T21:00:08.658+05:30"अनिवार्य मतदान"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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यदि २०१४ से पहले "अनिवार्य मतदान" का कानून नहीं बना तो यु. पी. ऐ. मुलायम सिंह, ममता बनर्जी, मायावती, करूणानिधि, सरद पवार, अजित सिंग, लालुयादाव, रामबिलास, नीतिस कुमार, केजरीवाल, अन्ना हजारे, प्रकास करात, और सरद यादव जैसे दलालों के मदत से फिर सरकार बना लेगी<br />
कुल मतदाताओ में ४०% मतदाता परमपूज्य स्वामी रामदेव जी के भक्त है स्वामी जी के लिए वोट करेगे और यही बी जे पी जैसी राष्ट्र वादी पार्टियो के समर्थक है लेकिन दुर्भाग्य से यही ३०% मतदाता वोट करने ही नहीं जाते "अनिवार्य मतदान" के कानून के आलावा इनसे मतदान नहीं कराया जा सकता <br />
चुनाव में मुकाबला गुन्डे, चोर, बलात्कारी, खूनी, भ्रष्ट नेताओ और इमानदार राष्ट्रवादी नेताओ के बीच भले ही हो लेकिन जीत फतवाई मुसलमान, बिरयानी और पौवे पर वोट डालने वाले अज्ञानी आम आदमी, पैसे पर वोट बेचने वाले भ्रष्टाचारी की हो जाती है क्युकी समझदार और विवेकशील जिनमे देस को नेत्रित्व देने की समझ होती है वो मतदान ही नहीं करता<br />
देस में ब्यवस्था परिवर्तन, भ्रष्टाचार उन्मूलन, काला धन आवर्तन तभी होगा जब संसद में राष्ट्रवादी पहुचेंगे जो बिना "अनिवार्य मतदान" के हो ही नहीं सकता तो २०१४ तक "गंभीर आन्दोलन" अनिवार्य मतदान के लिए चलाया जाना चाहिए इसके लिए परम पूज्य स्वामी रामदेव, नरेंद्र मोदी, सुब्रमनियम स्वामी तथा सभी राष्ट्रवादियो को आगे आना चाहिए<br />
देस में ब्यवस्था परिवर्तन, भ्रष्टाचार उन्मूलन, काला धन आवर्तन चाहिए तो "अनिवार्य मतदान" कानून के लिए आन्दोलन तेज करो <br />
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RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-43701078657636650102013-04-11T21:37:00.000+05:302013-04-11T21:37:45.294+05:30समस्याओ का समाधान, सिर्फ अनिवार्य मतदान <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
मतदान अनिवार्य कर दिया जाय तो गुन्डे, चोर, बलात्कारी, खूनी, और भ्रष्ट संसद में पहुचना बंद हो जायेगे, कम से कम कांग्रेस पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगी आज परम पूज्य स्वामी रामदेव जी, भारतीय जनता पार्टी और देस के सारे संत समाज को मिलकर अनिवार्य मतदान के लिए कानून बनाने के पच्छ में आन्दोलन करना चाहिए, कांग्रेस को वोट फतवाई मुसलमान, बिरयानी और पौवे पर वोट डालने वाले अज्ञानी आम आदमी, पैसे पर वोट बेचने वाले भ्रष्टाचारी और कांग्रेसी दलाल जिनकी संख्या १०% भी नहीं है, औसतन ६०% मतदान होता है ४०% वोटर जो मतदान नहीं करता उनमे से ३०% मतदाता मध्यवर्गीय समझदार और विवेकशील होता है जिनमे देस को नेत्रित्व देने की समझ होती है लेकिन इनसे बिना कानून के मतदान नहीं करवाया जा सकता जिसदिन यह ३०% मतदाता वोट करेगा देस की तकदीर बदल जाएगी<br />
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RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-27292039599966252672013-01-17T11:46:00.001+05:302013-01-17T11:46:29.148+05:30क्या भारत आज़ाद है<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">क्यों भारतवासियों के साथ भद्दा मजाक किया जा रहा है l इस सन्दर्भ में निम्नलिखित तथ्यों को जानें .... :</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">1.</span><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;"> भारत को सत्ता हस्तांतरण 14-15 अगस्त 1947 को गुप्त दस्तावेज के तहत, जो की 1999 तक प्रकाश में नहीं आने थे (50 वर्षों तक ) l</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">2. भारत सरकार का संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेदों में संशोधन करने का अधिकार नहीं है l</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">3. संविधान के अनुच्छेद 348 के अंतर्गत उच्चतम न्यायलय, उच्च न्यायलय तथा संसद की कार्यवाही अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में होने के बजाय अंग्रेजी भाषा में होगी l</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">4. अप्रैल 1947 में लन्दन में उपनिवेश देश के प्रधानमंत्री अथवा अधिकारी उपस्थित हुए, यहाँ के घोषणा पात्र के खंड 3 में भारत वर्ष की इस इच्छा को निश्चयात्मक रूप में बताया है की वह ... </span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">क ) ज्यों का त्यों ब्रिटिश का राज समूह सदस्य बना रहेगा तथा </span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">ख ) ब्रिटिश राष्ट्र समूह के देशों के स्वेच्छापूर्ण मिलाप का ब्रिटिश सम्राट को चिन्ह (प्रतीक) समझेगा, जिनमे शामिल हैं .. .(इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैण्ड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्री लंका) ... तथा </span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">ग ) सम्राट को ब्रिटिश समूह का अध्यक्ष स्वीकार करेगा l</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">5. भारत की विदेश नीति तथा अर्थ नीति, भारत के ब्रिटिश का उपनिवेश होने के कारण स्वतंत्र नहीं है अर्थात उन्हीं के अधीन है l</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">6. नौ-सेना के जहाज़ों पर आज भी तथाकथित भारतीय राष्ट्रीय ध्वज नहीं हैl</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">7. जन गन मन अधिनायक जय हे ... हमारा राष्ट्र-गान नहीं है, अपितु जार्ज पंचम के भारत आगमन पर उसके स्वागत में गाया गया गान है, उपनिवेशिक प्रथाओं के कारण दबाव में इसी गीत को राष्ट्र-गान बना दिया गया ... जो की हमारी गुलामी का प्रतीक है l</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">8. सन 1948 में बने बर्तानिया कानून के अंतर्गत भाग 1 (1) 1948 के बर्तानिया के कानून के अनुसार हर भारतवासी बर्तानिया की रियाया है और यह कानून भारत के गणराज्य प्राप्त कर लेने के पश्चात भी लागू है l</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">9. यदि 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ तो प्रथम गवर्नर जनरल माउन्ट-बेटन को क्यों बनाया गया ??</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">10. 22 जून 1948 को भारत के दुसरे गवर्नर के रूप में चक्रवर्ती राजगोपालचारी ने निम्न शपथ ली l"मैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यथाविधि यह शपथ लेता हूँ की मैं सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी के प्रति कानून के मुताबिक विश्वास के साथ वफादारी निभाऊंगा, एवंमैं चक्रवर्ती राजगोपालचारी यह शपथ लेता हूँ की मैं गवर्नर जनरल के पद पर होते हुए सम्राट जार्ज षष्ठ और उनके वंशधर और उत्तराधिकारी की यथावत सव्वा करूँगा l "</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">11. 14 अगस्त 1947 को भारतीय स्वतन्त्रता विधि से भारत के दो उपनिवेश बनाए गए जिन्हें ब्रिटिश Common-Wealth की ...धारा नं. 9 (1) - (2) - (3) तथाधारा नं. 8 (1) - (2)धारा नं. 339 (1)धारा नं. 362 (1) - (3) - (5)G - 18 के अनुच्छेद 576 और 7 के अंतर्गत ....इन उपरोक्त कानूनों को तोडना या भंग करना भारत सरकार की सीमश्क्ति से बाहर की बात है तथा प्रत्येक भारतीय नागरिक इन धाराओं के अनुसार ब्रिटिश नागरिक अर्थात गोरी सन्तान है l</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">12. भारतीय संविधान की व्याख्या अनुच्छेद 147 के अनुसार गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 तथा indian independence act 1947 के अधीन ही की जा सकती है ... यह एक्ट ब्रिटिश सरकार ने लागू किये l</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">13. भारत सरकार के संविधान के अनुच्छेद नं. 366, 371, 372 एवं 392 को बदलने या रद्द करने की क्षमता भारत सरकार को नहीं है l</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">14. भारत सरकार के पास ऐसे ठोस प्रमाण अभी तक नहीं हैं, जिनसे नेताजी की वायुयान दुर्घटना में मृत्यु साबित होती है l इसके उपरान्त मोहनदास गांधी, जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना और मौलाना अबुल कलाम आजाद ने ब्रिटिश न्यायाधीश के साथ यह समझौता किया कि अगर नेताजी ने भारत में प्रवेश किया, तो वह गिरफ्तार ककर ब्रिटिश हुकूमत को सौंप दिया जाएगाlबाद में ब्रिटिश सरकार के कार्यकाल के दौरान उन सभी राष्ट्रभक्तों की गिरफ्तारी और सुपुर्दगी पर मुहर लगाईं गई जिनको ब्रिटिश सरकार पकड़ नहीं पाई थी l</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">15. डंकल व् गैट, साम्राज्यवाद को भारत में पीछे के दरवाजों से लाने का सुलभ रास्ता बनाया है ताकि भारत की सत्ता फिर से इनके हाथों में आसानी से सौंपी जा सके lउपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट होता है की सम्पूर्ण भारतीय जनमानस को आज तक एक धोखे में ही रखा गया है, तथाकथित नेहरु गाँधी परिवार इस सच्चाई से पूर्ण रूप से अवगत थे परन्तु सत्तालोलुभ पृवृत्ति के चलते आज तक उन्होंने भारत की जनता को अँधेरे में रखा और विश्वासघात करने में पूर्ण रूप से सफल हुए l सवाल उठता है कि ... यह भारतीय थे या .... काले अंग्रेज ? नहीं स्वतंत्र अब तक हम, हमे स्वतंत्र होना हैकुछ झूठे देशभक्तों ने, किये जो पाप, धोना हैसरदार भगत सिंह कि मृत्यु के पीछे अंग्रेजों के कानूनों के बहाने गुंडागर्दी एवं क्रूरता के राज्य का पर्दाफाश करना एवं भारत के नौजवानों को भारत कि पीड़ा के प्रति जागृत करना उद्देश था l</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">राजीव दीक्षित कि शहादत भी षड्यंत्रकारी प्रतीत होती है, SEZ , परमाणु संधि, विदेशी बाजारों के षड्यंत्र ... आदि योजनाओं एवं कानूनी मकडजाल में फंसे भारत को जागृत करने तथा नवयुवकों को इन कार्यों के लिए आगे लाने के कारण l यदि भगत सिंह और राजीव दीक्षित और समय तक जीवित रहते तो परिवर्तन और रहस्यों कि परत और खुल सकती थी l भारत इतना गरीब देश है कि 100000,0000000 (1 लाख करोड़) के रोज रोज नए नए घोटाले होते हैं.... ?</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">क्या गरीब देश भारत से साड़ी दुनिया के लुटेरे व्यापार के नाम पर 20 लाख करोड़ रूपये प्रतिवर्ष ले जा सकते हैं ? विदेशी बेंकों में जमा धन कितना हो सकता है ? एक अनुमान के तहत 280 लाख करोड़ कहा जाता है ? पर यह सिर्फ SWISS बेंकों के कुछ बेंकों कि ही report है ... समस्त बेंकों कि नहीं, इसके अलावा दुनिया भर के और भी देशों में काला धन जमा करके रखा हुआ है ? </span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">भारत के युवकों, अपनी संस्कृति को पहचानो, जिसमे शास्त्र और शस्त्र दोनों कि शिक्षा दी जाती थी l आज तुम्हारे पास न शास्त्र हैं न शस्त्र हैं .. क्यों ?? क्या कारण हो सकते हैं ??भारत गरीब नहीं है ... भारत सोने कि चिड़िया था ... है ... और सदैव रहेगा l तुम्हें तुम्हारे नेता, पत्रकार और प्रशासक झूठ पढ़ाते रहे हैं l</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">वो इतिहास पढ़ा है तुमने जो नेहरु के प्रधानमंत्री निवास में 75 दिनों तक अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय और अंग्रेजों के निर्देशों पर बनाया गया lजिसमे प्राचीन शिव मन्दिर तेजो महालय को ताज महल, ध्रुव स्तम्भ को क़ुतुब मीनार और शिव मन्दिर को जामा मस्जिद ही पढ़ाया जाता है lसारे यूरोप - अमेरिका के लिए लूट का केंद्र बने भारत को गुलामी कि जंजीरों से मुक्त करवाने हेतु आगे आओ lउठो.... सत्य और धर्म की संस्थापना कि हुंकार तो भरो एक बार, विश्व के सभी देशों कि बोद्धिक संपदा बने भारत l</span><br style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: large; line-height: 14px;" /><span style="background-color: white; color: #6600cc; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: medium; line-height: 14px;">जय हिंद…….जय भारत .........</span><br />
शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-88498791927948454072012-12-13T11:52:00.000+05:302012-12-13T11:52:26.922+05:30जैसी करनी वैसी भरनी पूज्य श्री स्वामी रामदेव जी के पीठ में छुरा मारने वाले अन्ना हजारे के पीठ में उन्ही के चेले अरविन्द केजरीवाल ने छुरा मारा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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दिनांक ६ दिसंबर को अन्ना हजारे जी ने अरविन्द केजरीवाल के विरुद्ध जो वक्तव्य दिया उससे अरविन्द केजरीवाल की निष्ठा सन्दिग्ध हुई है। अन्नाजी ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल सत्ता और धन के लिए राजनीति कर रहे हैं और वे कभी भी केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के पक्ष में वोट नहीं डालेंगे। अन्नाजी कोई दिग्विजय सिंह नहीं हैं जिनके कथन को हवा में उड़ा दिया जाय। अन्नाजी के कारण ही केजरीवाल ज़ीरो से हीरो बने। उन्होंने यश और प्रसिद्धि के लिए अन्ना जी का भरपूर दोहन किया। अन्नाजी को जब केजरीवाल की असली मन्शा का पता लगा तो उन्होंने अविलंब केजरीवाल से संबन्ध तोड़ लिया। अन्ना के जन आन्दोलन के साथ अरविन्द केजरीवाल की निष्ठा आरंभ से ही सन्दिग्ध रही है। कांग्रेस के एजेन्ट स्वामी अग्निवेश केजरीवाल की ही अनुशंसा पर अन्ना की कोर कमिटी के सदस्य बने। अग्निवेश के चरित्र को सबसे पहले किरण बेदी ने पहचाना और वीडियो के माध्यम से आम जनता के सामने रखा। किरण बेदी और केजरीवाल के बीच मतभेदों की यही शुरुआत थी। आज भी स्वामी अग्निवेश से केजरीवाल के संबन्ध पूर्ववत हैं। सन २००५-०६ में केजरीवाल ने स्वामी अग्निवेश के माध्यम से सोनिया गांधी तक उनकी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सदस्यता पाने के लिए जोरदार लाबिंग की थी। किसी तरह आमंत्रित सदस्य के रूप में दिनांक ४ अप्रिल २००११ को स्वामी अग्निवेश के साथ राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की बैठक में सोनिया गांधी के साथ चाय पीने की उनकी आकांक्षा सफल हो पाई।<br />
केजरीवाल के दादा हरियाणा के एक सफल व्यवसायी थे। धन के प्रति केजरीवाल का लोभ भी जगजाहिर हो चुका है। अन्नाजी ने उनके इस लोभ को सार्वजनिक किया है। केजरीवाल अपने और अपने एनजीओ के लिए देसी या विदेशी, कहीं से भी धन लेने में तनिक भी परहेज़ नहीं करते। वे घोषित रूप से मुख्यतया ‘परिवर्तन’ और ‘कबीर’ नामक दो एनजीओ से संबन्धित हैं। उनकी संस्था ‘कबीर’ ने अमेरिका के फोर्ड फाउन्डेशन से वर्ष २००५ मे १,७२००० एवं वर्ष २००६ में १,९७,००० डालर प्राप्त किए। इसके पर्याप्त साक्ष्य हैं। उन्होंने वर्ष २०१० में भी लाखों डालर फोर्ड फाउन्डेशन से प्राप्त किए। इन सभी अनुदानों का क्या उपयोग हुआ और और किन उद्देश्यों के लिए प्राप्त किए गए, आज तक रहस्य बने हुए हैं। फोर्ड एक मज़े हुए व्यवसायी हैं। बिना लाभ के वे एक धेला भी खर्च नहीं कर सकते। उनके माध्यम से अमेरिका विदेशों में अपने हित साधन करता है। अमेरिका में ‘आवाज़’ नामक एक एनजीओ है जिसे वहां के उद्योगपति चलाते हैं। इस संस्था ने विश्व में अमेरिका के हित में कार्य करते हुए अनेक संस्थाओं को प्रत्यक्ष वित्तीय अनुदान दिया है। मिस्र के तहरीर चौक में आन्दोलन चलाने के लिए इसने करोड़ों डालर खर्च किए, लीबिया में तख्ता पलट के लिए उसने सारे खर्चे उठाए और अब सीरिया में गृह युद्ध के लिए यह संस्था दोनों हाथों से धन ऊलीच रही है। केजरीवाल के दोनों एनजीओ ‘आवाज़’ से संबद्ध हैं।<br />
केजरीवाल को कांग्रेस तथा सरकार में तबतक कोई बुराई या भ्रष्टाचार दिखाई नहीं पड़ा जबतक वे सोनिया गांधी के नेतृत्व में कार्यरत राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सदस्यता के प्रति आशान्वित थे। वे सरकार के आशीर्वाद से ही लगभग २० वर्षों तक आयकर विभाग में वे दिल्ली में ही पदस्थापित थे। दिल्ली के बाहर उनका एक बार भी स्थानान्तरण नहीं हुआ। जबकि उनके स्तर के अन्य अधिकारियों को इतनी ही अवधि में पूरा देश दिखा दिया जाता है। उनकी पत्नी श्रीमती सुनीता केजरीवाल जो उनकी बैचमेट हैं, आज भी विगत २० वर्षों से अतिरिक्त इन्कम टैक्स कमिश्नर के पद पर दिल्ली में ही जमी हुई हैं। उनका भी आज तक दिल्ली के बाहर एक बार भी तबादला नहीं हुआ है। ये उनकी कुछ ऐसी कमजोरियां हैं जिनका केन्द्रीय सरकार जब चाहे अपने पक्ष में इस्तेमाल करती हैं। भाजपा के नेताओं पर केजरीवाल ने कांग्रेस के इशारे पर ही आरोप लगाए थे। वे मुकेश अंबानी, अनु पटेल इत्यादि के चुटकी भर धन के विदेशी बैंकों में जमा होने का भंडाफोड़ करते हैं। मुकेश अंबानी एक अन्तराष्ट्रीय व्यवसायी हैं, उनके यदि सौ करोड़ विदेशी बैंकों में जमा हैं, तो कौन सी आश्चर्य की बात है? केजरीवाल ऐसे ही रहस्योद्घाटन करते हैं। विदेशों में कार्यरत या वहां से वापस आने वाले भारत के लाखों इन्जीनियरों, डाक्टरों, प्रबन्धकों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों के खाते विदेशी बैंकों में हैं। क्या उनके द्वारा जमा धन काला धन है? केजरीवाल सोनिया गांधी और राजीव गांधी के विदेशी बैंकों में जमा लाखों करोड़ रुपयों पर रहस्यमयी चुप्पी साध लेते हैं। बाबा रामदेव पूरे हिन्दुस्तान में प्रमाणों के साथ चिल्ला-चिल्ला कर यह बात कहते हैं, सुब्रहमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री को भेजी अपनी २५६ पेज की याचिका में प्रमाणों के साथ इन तथ्यों का खुलासा किया है, लेकिन केजरीवाल सोनिया जी पर एक शब्द भी नहीं बोलते।<br />
१९७४-७५ में इन्दिरा सरकार और कांग्रेस आज की तरह ही भ्रष्टाचार और निरंकुशता का प्रतीक बन चुकी थी। इन्दिरा गांधी के लोकसभा के चुनाव को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अवैध घोषित कर दिया था, जय प्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रान्ति का देशव्यापी आन्दोलन अपने चरम पर था। इन्दिरा जी ने आपात्काल लागू करके अपनी सत्ता बचा ली और लोकतंत्र का गला घोंट दिया। उस समय कांग्रेस के कुशासन और तानाशाही से देश की मुक्ति के लिए सभी विरोधी दलों का एकीकरण अत्यन्त आवश्यक था। जयप्रकाश नारायण ने यह असंभव कार्य कर दिखाया और १९७७ में पहली बार मोरारजी भाई के नेतृत्व में एक प्रभावी और भ्रष्टाचारमुक्त गैरकांग्रेसी सरकार बनी। अपने ढाई साल के कार्यकाल में उस सरकार ने जिस तरह महंगाई, भ्रष्टाचार और तानाशाही के विरुद्ध प्रभावशाली नियंत्रण स्थापित किया उसे हिन्दुस्तान की जनता आज भी याद करती है। अल्प समय में ही वह सरकार कांग्रेस के षडयंत्र का शिकार बन गई। उस समय राजनारायण और चौधरी चरण सिंह ने इन्दिरा जी के इशारे पर जनता के साथ जो विश्वासघात किया, वही कार्य सोनिया जी के इशारे पर आज अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया कर रहे हैं। अगर २०१४ के आम चुनावों के बाद भ्रष्ट और निकम्मी कांग्रेस पुनः सत्ता में वापस आती है, तो इसका पूरा श्रेय राहुल-सोनिया को नहीं, अरविन्द केजरीवाल को जाएगा जो विपक्ष की विश्वसनीयता को सन्देह के घेरे में लाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं<br />
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<span style="color: #888888;"><span style="background-color: white; font-family: Georgia, Georgia; font-size: 15px; line-height: 25px;"></span></span><br />
शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-47399635627598315332012-10-24T10:52:00.004+05:302012-10-24T10:52:54.033+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">नेहरु खानदान बनाम (सीआईए एजेंट) सोनिया मैनो:-</span><br style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;" /><span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">=================================</span><br style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;" /><span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">मोतीलाल नेहरु और जवाहर लाल नेहरु अंग्रेजो की दलाली करते रहे, अंग्रेजो को सत्ता चलाने में और उनके जाने के बाद उनके अधिपत्य को कायम रखने में अपनी पूरी ताक़त लगा द</span><br />
<div class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #333333; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">
ी नेहरु खानदान वस्तुतः मुसलमान था देश को धोखा देने की नियत से हिन्दू बना वर्ण शंकर होने के बाद दोनों का न रहा अंग्रेजो की वफ़ादारी में इसाइयत को आगे बढ़ाने का काम किया अन्दर से हमेसा मुसलमान होने के नाते पाकिस्तान का साथ देता रहा आइ एस आइ (पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी) के लिए काम करता रहा लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में रूश और अमेरिका में खीचा तानी होने के नाते भारत का झुकाव रुष के पक्छ में रहता था, नेहरु का खुनी खेल २३ जून १९५३ में श्यामा प्रसाद मुखर्जी के खून से ही सुरु हो गया था बाद में मरने के बाद इंदिरा ने सत्ता के लिए लालबहादुर शास्त्री को के जी बी (रूशी ख़ुफ़िया एजेंसी) से मिलकर ११ जनवरी १९६६ को तासकंद में मरवा दिया इसके बाद तो जो भी इनके रास्ते में आया या प्रधानमंत्री बनने के सपने पाले मार दिए गए, संजय गाँधी को इंदिरा ने खुद २३ जून १९८० में मरवा दिया और इंदिरा गाँधी को सोनिया मैनो ने मरवाया यहाँ से सोनिया मैनो ने खुनी खेल की कमान सभाली फिर भी आगे बढने से पहले सोनिया के बारे में बताना चाहूँगा,<br />सोनिया मैनो सीआईए (अमेरिकन खुपिया एजेंसी) एजेंट कैसे बनी? और नेहरु खानदान में कैसे आई? जानने के लिए सोनिया मैनो है कौन?<br />तो पहले अंतर्राष्ट्रीय पहलू जानना होगा, तथा कथित आजादी के बाद भारत का झुकाव हमेसा रूस के तरफ रहा जो अमेरिका को नागवार गुजरता था सो अमेरिका ने एक दूरगामी साजिस के तहत सोनिया के बाप को जो के जी बी (रूशी ख़ुफ़िया एजेंसी) का एजेंट था उसे सीआईए (अमेरिकन खुपिया एजेंसी) में सामिल करवाया और फिर उसके उपर डबल एजेंट होने का आरोप लगा कर उसकी बेटी सोनिया मैनो को सीआईए (अमेरिकन खुपिया एजेंसी) में सामिल करके भारत को अपने बस में करने की साजिस रची, यहाँ से सीआईए एजेंट सोनिया मैनो का काम सुरु हुआ सोनिया ने खुद को राजीव के सामने परोसा वर्ण संकरी संस्कार बिहीन राजीव सोनिया के जाल में फस कर सादी कर ली तो सोनिया का अगला सिकार इंदिरा गाँधी बनी जिसे सीआईए और खालिस्तानी मिलिटेंट के द्वारा ३१ अक्तूबर १९८४ को मरवा दिया आगे राजीव गाँधी के प्रधानमंत्री बन जाने पर भी भारत रूस की तरफ ही रहा तो उधर रूस बिखर रहा था इधर सीआईए और लिट्टे से मिल कर राजीव गाँधी को २१ मई १९९१ में अपना दूसरा सिकार बना दिया यही से भारत में अमेरिका का सिक्का चलना सुरु हुआ गुजराल, देव गौडा, नरसिंह राव को मोहरे की तरह इस्तेमाल करते हुए सोनिया ने भारत को अमेरिका का पिछलग्गू बना दिया इस बिच जिसने भी सोनिया की हकीकत समझने और प्रधानमंत्री बनने की कोसिस की जैसे राजेस पायलट को ११ जून २००० में कार एक्सीडेंट में मरवा दिया और माधव राव सिंधिया को ३० सितम्बर २००१ में प्लेन क्रेश में मरवा दिया मनमोहन सिंह जैसे टट्टू को प्रधानमंत्री बना कर सरकार चला रही सीआईए एजेंट सोनिया के जरिये अमेरिका भारत पर राज्य कर रहा है<br /></div>
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शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-60187010849859676492012-10-02T17:08:00.002+05:302012-10-02T17:08:47.577+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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भारत दुनिया का बिश्व गुरु था, आज भी है और आगे भी रहेगा, लाखो वर्सो से पूरी दुनिया पर भारत ने राज्य किया है, सिर्फ पिछले ३०० सालो में मुग़ल लुटेरो, अंग्रजो और अंग्रेजो के भारतीय दलालों ने हमारी संस्कृती को नष्ट करने की कोशिस की, इतिहास को तोड़ मरोड़ कर गलत तरीके से पेस किया, सब कुछ भूगोल को नष्ट करने, बदलने और लुटने के लिए हमें गुमराह किया, हम कभी भी आतताई और दुराचारी नहीं थे लेकिन असुरो, नराधमो और दुष्टों का नास हमेसा से करते आये है हमारी रगों में "धनुर्धर राम" और " चक्र धारी कृष्ण" का खून तथा "खड्ग धारी माँ दुर्गा" और "बिनासिनी काली" का ढूध दौड़ता है, हमारे तो देवी देवता भी शस्त्र धारी थे, हम अहिंसावादी कायरो की नहीं दुष्ट विनासक बीरो की संतान है, हमें आज के "अधर्मी वर्ण शंकरो" के बिनास के लिए शस्त्र धारण करना ही होगा<br />
बन्दे मातरम<br />
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शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
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<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">उत्तर प्रदेस में मुसलमानों द्वारा मचाया जा रहा आतंक कानूनन गलत है लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है जैसे आप लोगो ने मुसलमान सिंग आतंकवादी को वोट देकर उसके टपोरी बेटे को मुख्यमंत्री बनवा दिया वैसे ही संसदीय चुनाव में भी वोट देकर मुसलमान सिंह को</span><br />
<div class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #333333; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">
प्रधानमंत्री बनवा देना १०० दिन में भारत को मुस्लिम राष्ट्र न घोषित कर दिया तो ,,,,,,<br />मुसलमान तुम्हारी माँ बहन को भी उठा कर ले जायेगा तो भी पुलिस तुम्हारी रिपोर्ट नहीं लिखेगी<br />इसी का नाम तो सेक्युलरिज्म है</div>
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<div class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #333333; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">
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शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
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<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">दुनिया में सबसे ज्यादा भारत को ही लूटा ज़ा रहा है, भारत और चीन की तुलना करके देखिये की चीन तेजी से ऊपर क्यों ज़ा रहा है .....विदेशी कम्पनियां चीन को नहीं लूट पाती है क्योकि.....</span><br style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;" /><br style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;" /><span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">१-भारत में इस समय अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार सत्ता में है,</span><br />
<div class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #333333; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">
जब की चीन में भ्रष्ट लोगो के लिए मौत की सजा का कानून है और अभी अगस्त में २ बड़े अधिकारियो को फांसी दे दी गयी है.<br /><br />२-भारत की सरकार कालाधन जमा करने वालो को बचाती है, जब की चीन की सरकार ने अभी अभी स्वामी रामदेवजी के 4जून के अनशन से प्रभावित होकर विदेश में खाता रखने वालो के लिए फांसी की सजा का प्राविधान किया है.<br /><br />३-भारत में एक प्रभावी लोकपाल के लिए जनता को सड़क पर उतरना पड़ रहा है, वही चीन में भ्रष्टो के लिए फांसी का कानून रामबाण सिद्ध हो गया है, अब तो कालाधन रखने वाले भी इसी श्रेणी में आ गए है जो की स्वामी रामदेवजी के कारन हुआ.<br /><br />४-भारत में हर मंत्रालय सिर्फ आयात पर जोर देता है जिससे की कालाधन बनाया ज़ा सके, चीन की सरकार सिर्फ निर्यात पर जोर देकर अकूत विदेशी मुद्रा कमा रही है.आयात को कम करते ज़ा रहे है.<br /><br />५-भारत में विदेशी कंपनी आती है तो सिर्फ ऑफिस खोलकर बाहर से सामान आयात करके भारत को बाजार बनाते है, निर्यात नहीं करते है जिससे भारत का ही पैसा बाहर ज़ा रहा है, जब की चीन में विदेशी कंपनी आती है, कारखाना लगाती है, चीनियों को रोजगार देती है,चीन का कच्चा माल प्रयोग करती है, सारा सामान चीन से बाहर निर्यात करके अकूत विदेशी मुद्रा चीन को मिलती है.<br /><br />६-भारत में देशी कंपनियों को प्रताड़ित किया जाता है और उन्हें टैक्स और कानून के शिकंजे में फंसाकर विदेशी कंपनियों को खुश किया जाता है, जब की चीन में सरकार खुद देशी कंपनियों को बताती है किस प्रकार उत्पादन बढ़ाये और निर्यात बढ़ाये, इसके लिए उन्हें विदेशी कानूनों से भी बचाया जाता है. देशी कंपनियों को दुनिया भर की रियायत दी जाती है.<br /><br />७-भारत में एक ही काम के लिए बीस टैक्स और बीस कानून हैं, चीन में कानून पारदर्शी और अपरिहार्य कानून और टैक्स है जो निर्यात में मदद करते है.<br /><br />८-भारत में लालफीता शाही घुसखोरी का मुख्य कारण है, चीन में घुस खोरी की सजा फांसी है. हर मर्ज की एक दवा है. सही काम तुरंत होता है, सरकार बाधा के सख्त खिलाफ है.<br /><br />९-भारत सरकार के ऊपर ३४ लाख करोड़ रुपये का कर्जा है, जब की चीन सरकार अकेले अमेरिका को ही ७५० करोड़ डालर का कर्जा दे रखा है, बाकि का कोई हिसाब नहीं है,<br /><br />१०-भारत का ४०० लाख करोड़ रूपये का कालाधन ७० विदेशी बैंको में जमा है जो भारत के किसी काम नहीं आ रहा है, जबकि चीन की सरकार ने अन्दर ही अन्दर अपना कालाधन वापस ले लिया है और प्रक्रिया जोर से चालू है. अब तो कालाधन के खातेदरों केलिए भी फांसी की सजा निर्धारित कर दिया है.<br /><br />११-भारत में गोपनीयता के नाम पर सेना में भारी लूट मची है और सेना की ताकत प्रभावित हो रही है, जब की चीन में फांसी की सजा का प्राविधान होने के कारन सेना भ्रष्टाचार से पूरी तरह मुक्त है.<br /><br />१२-भारत में अंग्रजी दवा बनाने वाली विदेशी कंपनियों की लूट मची है, चीन में आदि काल से ही आयुर्वेदिक औषधियों को प्राथमिकता दी जाती है.विश्व में सबसे ज्यादा देशी दवाये चीन में प्रयोग की जाती है, भारत दुसरे नंबर पर है जब की चीन में करीब १३५ करोड़ लोग है, भारत में १२१ करोड़. भारत के सबसे ज्ञानवान आयुर्वेदिक पंडित आचार्य बालकृष्ण जी को फर्जी जांच में उलझाया जाता है क्योकि वह रामदेव जी के सहयोगी है.<br /><br />१३-भारत में सरकार के पास भ्रष्टाचार रोकने की इक्षाशक्ति नहीं है, जब की चीन में हर मर्ज की एक दवा है-"भ्रष्टो को मौत"<br /><br />१४-भारत में ४५% लोग अशिक्षित है और १% लोग अंगेजी जानते है, चीन में १००%शिक्षा चीनी भाषा में दी जाती है और उनके कम्पुटर भी अंग्रेजी में नहीं, चीनी भाषा में होते है.<br /><br />१५-भारत में विदेशी घुसपैठिये को वोटर कार्ड दिया जाता है, चीन में विदेशियों को इतनी ताड़ना दी जाती है की कोई वहा गलत तरीके से जाता ही नहीं और गया तो छुप नहीं पाता है, चीन के लिए खतरा बने लोग ऊपर भेज दिए जाते है, भारत में मुक़दमा किया जाता है और बिरयानी खिलाई जाती है.<br /><br />१६-भारत अपनी जमीन छोड़ देता है और पीछे हटने को बोल दिया जाता है, जबकि चीन औसत हर साल करीब एक जिले के बराबर जमीन कही न कही कब्ज़ा करता है.<br /><br />१७-भारत में सरकार ने ऐसे व्यवस्था बना दिया है की बच्चों के पालन में ही पूरी उर्जा समाप्त हो जाती है और पूरा परिवार त्रस्त रहता है, जब की चीन सरकार आम जनता को दुनिया भर की रियायत देती है, शिक्षा और सुरक्षा सरकार फ्री में करती है और निर्यातक नीति की वजह से सबको काम दिया जाता है, माता पिता को सिर्फ एक संतान पैदा करने की अनुमति है.<br /><br />१८-भारत में वोट की राजनीति होती जिसकी वजह से लोकतंत्र को लूटतंत्र में बदल दिया गया है, चीन में सिर्फ यही एक चीज नहीं है इसलिए हमें विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का गौरव मिला हुआ है. भारत में हर कदम वोट को ध्यान में रखकर उठाया जाता है.<br /><br />"इन्ही सब कारणों से भ्रष्टो को जीने का हक़ नहीं है, उन्हें फांसी होनी ही चाहिए"</div>
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<div class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #333333; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">
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शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-40282433549855159002012-08-25T19:49:00.001+05:302012-08-25T19:49:43.572+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">हमारी दुर्दशा का कारण …</span><br style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;" /><br style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;" /><span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">हमारे देश का लगभग 400 लाख करोड़ रुपये कालाधन देश-विदेशों में जमा है तथा देश गरीबी, महंगाई व बेरोजगारी आदि समस्याओं से जूझ रहा है। आज पूरा राष्ट्र एक बहुत बड़े संकट के दौर से गुजर रहा है। पूरे देश में त्राहि-त्राहि मची</span><br />
<div class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #333333; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">
हुई है। सभी जाति, वर्ग व सभी मजहबों के लोग भ्रष्ट- व्यवस्था से त्रस्त हैं। देश के 121 करोड़ लोगों में एक बहुत बड़े परिवर्तन के लिए जबरदस्त आक्रोश है। भारत माता के सीने को देश के ही कुछ गद्दारों ने धोखा व विश्वासघात करके लहू-लुहान कर दिया है। ऐसे में करोड़ो देशभक्त नागरिकों के हृदय में जुनून, आक्रोश, शौर्य व स्वाभिमान उमड़ रहा है और उनका खून खौल रहा है। जब कालेधन, भ्रष्टाचार, महंगाई व गरीबी के मुद्दे पर मिस्र, लीबिया व ट्यूनेशिया में प्रलयंकारी परिवर्तन हो सकता है तो भारत में शान्तिपूर्ण व अहिंसक परिवर्तन क्यों नहीं। अब और कितने दिनों तक लुटते रहेंगे तथा गरीबी, भूख व अपमान की जिंदगी जीते रहेंगे। आज जब देश को लूटने में यदि कुछ चंद लोग हैं तो भारत माता की रक्षा के लिए करोड़ों लोगों के खड़े होने की आवश्यकता है।<br />हमारा देश कमजोर नहीं है, हमारी किस्मत(भाग्य) या कर्म भी खराब नहीं तथा हम अपनी जाति, वर्ग या मजहब के कारण गरीब, अनपढ़ या बेरोजगार नहीं हैं, बल्कि कालाधन, भ्रष्टाचार व भ्रष्ट-व्यवस्था के कारण हमारी व हमारे देश की यह दुर्दशा हुई है।</div>
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<div class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #333333; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">
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शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-71271263788156078452012-08-25T19:48:00.003+05:302012-08-25T19:48:39.879+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">नीतिस कुमार, सोनियागांधी, राहुलगाँधी, प्रियंका गाँधी, सरद पवार, ममता बनर्जी, मायावती, मनमोहन सिंह और मुलायम सिंह मिल कर सामूहिक प्रधानमंत्री का चुनाव "नरेन्द्र मोदी" के खिलाफ लड़ेगे फिर भी नरेन्द्र मोदी २०१४ में दो तिहाई बहुमत से सरकार बनायेगे </span><br style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;" /><span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">भविष्य वाणी २०१४</span>
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<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;"><br /></span>
शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
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<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">कोयला घोटाला मनमोहन सिंह ने नहीं १० जनपथ की डायन अंग्रेजन ने करवाया है, पूरा पैसा भी उसी ने लिया है दुनिया की चौथी अमीर बनने के लिए, और इसका खुलासा भी सी ऐ जी ने उसी डायन के कहने पर किया है प्रधानमंत्री को रास्ते से हटा कर रौल विंसी (गोरे क</span><br />
<div class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #333333; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">
ौवे) को प्रधानमंत्री बनाने के लिए, देखते जाइये इस "रोम" राज्य में और क्या क्या होता है..<br />"कांग्रेस का हाँथ "रोम" राज्य के साथ"<br />मनमोहन सिंह क्या? घोटाला करेगा,<br />देस के सारे घोटाले तो सोनिया करवाती </div>
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<div class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #333333; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">
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शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
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<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">स्वामी रामदेव जी जैसे युग द्रष्टा और आचार्य बालकृष्ण जैसे जन कल्याणी लोगो को षड्यंत्र करके परेसान कर, साथ में खड़ी पार्टियो और बिपक्छ को सी बी आई का डर दिखा कर और आम जनता की आँखों में धुल झोक कर घोटालो का रिकार्ड बना रहा नेहरु खानदान और कां</span><br />
<div class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #333333; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">
ग्रेस सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि आम आदमी के सब्र का बांध टूटने वाला है जिसदिन आम आदमी सड़क पर आ गया उस दिन भारत तो क्या दुनिया कि कोई ताकत "इंडियन कर्नल गाद्दाफियो" को नहीं बचा पायेगी<br />आम आदमी</div>
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<div class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #333333; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">
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शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-35999935310302807692012-08-25T19:45:00.002+05:302012-08-25T19:45:39.687+05:30<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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हे भारत वासिओ तुम इंडियन मतलब जंगली हो तभी तो ४०० सालो तक मुगलों के गुलाम बने रहे २०० सालो तक हमारे भर्तारो (अंग्रेजो) के गुलाम बने रहे और आज मुझ जैसी अंग्रेजन के गुलाम हो मै तुम्हे खा रही हु और पुरे देस को खा जाउंगी मै दुनिया की छठवी ताकतवर और चौथी अमीर बन गई तुम कुत्तो की तरह आपस में लड़ते रहो, तुम गुलाम थे गुलाम हो और गुलाम रहोगे क्युकी तुम्हारी मानसिकता गुलाम है <br />
तुम मुझ जैसी डायन के तलवे चाटते हो और स्वामी रामदेव जी जैसे लोगो पर लाठिया बरसाते हो गधे भी तुमसे समझदार होते है<br />
मै हु सोनिया डायन तुम्हे तुम्हारी औकात बता रही हु<br />
भारत को गुलाम बनाना मेरा सपना था मैने नेहरु खानदान के लौंडे को अंग्रेजी भोगासन सिखा कर गुलाम बना लिया तुम तो थे ही नेहरु की भेड़ हो गया भारत मेरा गुलाम मै दुनिए की चौथी अमीर हु लेकिन मेरी सम्पत्ति के बारे में पूंछ भी नहीं सकते, पूछने का साहस स्वामी रामदेव जी ने किया था तुमको योग और आयर्वेद सिखाया स्वदेसी का पाठ पढाया मेरा काला धन माँगा पांच सौ नोटिस ठोक दिया पांच हजार सरकारी भारतीय कुत्ते छोड़ दिया उसके उपर और दो सौ संसदीय कुत्ते भोकने के लिए लगा रक्खे है ये सब जानने के बाद भी तुम भारतियो मेरे तलवे चाटोगे और हमें वोट भी दोगे "तुम गुलाम हो" भारत में लोक तंत्र नहीं मेरा तंत्र चलता है <br />
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शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>
RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-3865287013009528952012-01-25T16:15:00.000+05:302012-01-25T16:15:20.036+05:30जब तक इस देश में नेहरु खानदान का एक भी ब्यक्ति रहेगा तबतक देस नहीं कह सकता अंग्रेज देश छोड़ कर चले गए,<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span style="background-color: white; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px;">जब तक इस देश में नेहरु खानदान का एक भी ब्यक्ति रहेगा तबतक देस नहीं कह सकता अंग्रेज देश छोड़ कर चले गए, और जबतक देस में एक भी कांग्रेसी रहेगा तबतक देस स्वतंत्र नहीं हो सकता "यह अटल सत्य है" १५ अगस्त और २६ जनवरी तो बस एक दिन है देश की ७० प्रतिसत भूखी, नंगी जनता का उपहास करने के लिए</span> <br />
शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-11153338067516639122012-01-20T11:53:00.002+05:302012-01-20T11:53:52.188+05:30यदि अन्नाहजारे और उनके सदस्य, पांच राज्यों में हो रहे चुनाव में कांग्रेस का सीधे बिरोध नहीं करते तो यह देस के साथ सीधे सीधे वादा खिलाफी होगी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">यदि अन्नाहजारे और उनके सदस्य, पांच राज्यों में हो रहे चुनाव में कांग्रेस का सीधे बिरोध नहीं करते तो यह देस के साथ सीधे सीधे वादा खिलाफी होगी, आम आदमी के साथ धोखा होगा ये बात पूरी तरह से साबित हो जाएगी कि अन्नाहजारे और उनके सदस्य पूंजीपतियो, काले धन कुबेरों, देशद्रोहियो, भ्रष्टाचारियो और कांग्रेसियो के द्वारा प्रायोजित थे जिसे मै दस महीनो से लिखते आ रहा हूँ <br />
शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-5798838129059195082.post-21300360322144657502011-12-28T17:32:00.000+05:302011-12-28T17:32:07.823+05:30अन्ना हजारे जी कम से कम अब तो सही रास्ते पर आ जाइये<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br />
अन्ना हजारे जी कम से कम अब तो सही रास्ते पर आ जाइये देस की यही मांग है की आप, बाबारामदेव, सुब्रमनियम स्वामी मिल कर भ्रष्टाचार, कालाधन, और ब्यवस्था परिवर्तन के मुद्दे को एकजुटता के साथ उठाइए पूरा देस आप के साथ खड़ा रहेगा फिर पूंजीपतियो, काले धन कुबेरों, देशद्रोहियो, भ्रष्टाचारियो और कांग्रेसियो को कोई नहीं बचा पायेगा ॐ बंदेमातरम जयहिंद <br />
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शम्पूर्ण आजादी, विकेन्द्रित विकासवाद, अध्यात्मिक समाजवाद के लिए समग्र क्रांति ही हमारा लक्छ्य है,</div>RDMANMOHANhttp://www.blogger.com/profile/02201864315708707236noreply@blogger.com0