गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

"मुद्दा" १८५७ बनाम "मुद्दा" २०१२ (कालाधन, ब्यवस्था परिवर्तन, भ्रष्टाचार)

आज २०१२ के प्रथम चरण को छूते छूते हम एक बार फिर १८५७ के चौराहे पर आ खड़े हुए है, अंग्रेजो के बंसज "कांग्रेस" अत्त्याचार, भ्रष्टाचार, दुराचार, कुब्य्वस्था का पर्याय बन कर वैसे ही नंगी खड़ी है जैसे उनके पूर्वज "अंग्रेज" १८५७ में खड़े थे, लोगो में रोष ज्वालामुखी के लावे की तरह उबल कर बाहर आने को बेताब था हम, १८५७ में आजाद हो गए होते लेकिन देसी और बिदेसी पूंजीपतियो की गद्दारी भरी साजिश का सिकार हो गए हमारे तत्कालीन जननायक, "मुद्दों" के आधार पर बिखेर कर रख दिया हमारे जननायको को पूंजीपतियो ने, जैसा आज हो रहा है चोर हमारे सामने है, कांग्रेस बड़ी बेहयाई से बेपर्दा बीच चौराहे पर खड़ा हो कर ताल ठोक कर कह रहा है "मै हु चोर" पकड़ना तो दूर अंगुली तो उठाओ, और हमारे जननायक अपना पिछवाडा एक दुसरे की ओर करके हवा में हाँथ लहरा कर आम मजलूमों को बरगलाने में लगे है, नारा है मै हु "नायक", पूंजीपतियो, भ्रष्टाचारियो, देसद्रोहियो, के हाँथ तुरुप का एक पत्ता अन्नाहजारे के रूप में लग गया है, ख़ैर छोडिये दो दो बाते सीधे नायको से, बाबा रामदेव - "बाबा जी सही जा रहे हो लगे रहो देस आपके साथ है", सुब्रमनियम स्वामी - "एक अकेला चना भी भाड़ फोड़ सकता है आपने साबित कर दिया बीर तुम बढे चलो हम तुम्हारे साथ है" श्री श्री रविशंकर - "शर्माने से काम नहीं चलेगा अभी नहीं तो कभी नहीं" आशाराम बापू - "सुहाग की सेज से प्रवचन और गोबर पिलाना छोडिये देस खतरे में है हथियार उठाइए देस को आपसे बहुत उम्मीदे है" मुरारी बापू - "राम कृष्ण की कथा कुछ दिनों के लिए छोडिये धनुष ओर सुदर्शन उठाइए आज की पुकार यही है देश की दरकार यही है " महात्मा श्री अन्नाहजारे जी - "आपका मुद्दा देश का मुद्दा हमारा मुद्दा एक नहीं तीन कालाधन, ब्यवस्था परिवर्तन, और भ्रष्टाचार समय रहते सभल जाइये बापू बनने के चक्कर में कही मुलाकात गोडसे से हो गई तो आपतो बापू बन जाओगे लेकिन बापू के रामराज्य के सपने को देशद्रोही फिर एक बार नोटों तक समेट देगे                      

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"आपका बहुत बहुत धन्यवाद"