शनिवार, 19 नवंबर 2011

देस पर पड़ेगा भारी" अन्ना हजारे कि गद्दारी,



"गाँधी" का दर्शन, रामराज्य की परिकल्पना स्वराज्य, स्वदेसी, सुशासन से ओत प्रोत था पर उनकी भूमिकाये और उनका निर्णय उनके खुद के दर्शन से कोसो दूर था, गाँधी द्वारा दिया गया अहिंसा का दर्शन तो जैसे देश के लिए अभिशाप और पूंजीपतियो के लिए बरदान साबित हुआ, पूंजीपतियो से मेरा मतलब अंग्रेजी सल्तनत और देसी धनपतियो से है, गाँधी के विवेकहीन निर्णयों के परिणामस्वरूप देस को ६४ साल की बर्तमान गुलामी उपहार स्वरुप मिली है और इसके लिए अकेले गाँधी कि हि जिम्मेदारी होती है, क्यों कि १९१५ से लेकन १९४७ तक तो देस को "अहिंसावाद" शब्द से अपाहिज कर देने का श्रेय उनको हि जाता है, आज भी गाँधीवादी अहिंसा का इस्तेमाल बिस्व के दुसरे देस हमको गाँधी के तिन बन्दर बनाने के लिए हि करते है उदाहरण के लिए यूरोपीय देसों का ब्यवहार इराक, लीबिया, अफगानिस्तान इत्यादि के मामलो में देखा जा सकता है, यहाँ सवाल गड़े मुर्दे उखाड़ने का नहीं है, बल्कि १९१५ से १९४७ के इतिहास कि पुनराब्रित्ति का है, एक बार फिर एक नासमझ गाँधीवादी अन्ना हजारे को हथियार बनाकर देसी बिदेसी पूंजीवादी पूंजीपतियो ने साजिस के तहत देस को गाँधी के तिन बन्दर बनाने कि कोशिश में लगे हुए है और कुछ हद तक सफल भी हुए है क्युकी सुचना तंत्र आज भी उनके हि हाथ में है, बड़े दुःख के साथ ये लिखना पड़ रहा है कि देश ९५ साल पहले पूर्णतया (वास्तविक आजादी) आजाद हो गया होता काश? देश में गाँधी न होते, ख़ैर देश फिर एक बार ९५ साल पहले के चौराहे पर खड़ा है इस बार भी देसी बिदेसी पूंजीपतियो का हथियार है सुचना तंत्र और मोहरे बने है "गाँधीवादी अन्नाहजारे", पांच साल के अथक परिश्रम से बाबा रामदेव ने घर घर जाकर जन जागरण कर अभियान चलाकर पुरे देस को कालेधन, ब्यवस्था परिवर्तन और भ्रष्टाचार के बारे अलख जगाकर उठाया तो देसी बिदेसी पूंजीपतियो ने अपने अंजाम से बौखला कर तुरुप के पत्ते कि तरह अन्नाहजारे को आगे कर दिया खुद को बचाने के लिए, सायद अन्नाहजारे को लगता हो कि वो सही काम कर रहे है लेकिन देस को डरना चाहिए अगले सौ साल कि गुलामी से जिसके लिए एक मात्र गाँधी कि तरह अन्न्हाजारे जिम्मेदार होगे, लोकपाल बिल भले हि देस को सुधारने के लिए हो लेकिन कालाधन और ब्यवस्था परिवर्तन देश को उठ खड़ा होने के लिए है, यदि देस उठ कर खड़ा हि नहीं होगा तो जमीन पर पड़े पड़े सुधर कर क्या करेगा इतनी छोटी सी बात अन्नाहजारे नहीं समझ रहे है एसा देस नहीं मान सकता इससे बात साफ है कि अन्नाहजारे देश से जानबूझ कर धोका कर रहे है, ब्यक्तित्ववादी मह्त्वाकांछा कि भूख मिटाने के लिए देस से गद्दारी कर रहे है यदि मेरे आरोप गलत है तो अन्नाहजारे जबाब दे, या फिर कालाधन, ब्यवस्था परिवर्तन के साथ लोकपाल बिल का मामला उठाये..ॐ जयहिंद बंदेमातरम

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